Israel-Hamas war, Rafah Border Crossing Explained: 13 अक्टूबर को इजरायली सेना ने उत्तरी गाजा के 11 लाख से ज्यादा लोगों को इलाका खाली करने का निर्देश दिया. तब से इजरायल के जमीनी हमले से बचने की उम्मीद में फिलिस्तीन के लोग दक्षिणी गाजा पट्टी में मिस्र के साथ लगे रफा बॉर्डर पर इकठ्ठा हो रहे हैं.
रफा बॉर्डर क्रॉसिंग क्या है? यहां फिलिस्तीनी क्यों इकट्ठा हो रहे हैं? इसका इतिहास क्या रहा है? अमेरिकी प्रधानमंत्री जो बाइडेन से मुलाकात के बाद इस क्रॉसिंग को लेकर इजरायल के रुख में क्या बदलाव आया है? आपको इन सभी सवालों के जवाब देते हैं.
इजरायल-हमास जंग के बीच रफा बॉर्डर क्रॉसिंग क्यों अहम? गाजा की 'लाइफ लाइन' की कहानी
1. रफा बॉर्डर क्रॉसिंग क्या है?
रफा बॉर्डर क्रॉसिंग गाजा से बाहर निकलने के लिए सबसे दक्षिणी पोस्ट है. इसकी सीमा मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप से लगती है. इस क्रॉसिंग पर मिस्र का कंट्रोल है.
Expand2. इजरायल-फिलिस्तीन तनाव के बीच रफा बॉर्डर क्रॉसिंग का क्या महत्व है?
इस सवाल का जवाब देने के लिए, हमें गाजा पट्टी के भूगोल को समझना होगा. पूर्व और उत्तर में गाजा पट्टी की सीमा इजरायल से लगती है. गाजा पट्टी के पश्चिम में भूमध्य सागर है और उसपर भी इजरायल का नियंत्रण है. गाजा का सबसे दक्षिणी बिंदु पर मिस्र की सीमा है. यानी, मिस्र अकेला ऐसा देश है जो इजरायल के सिवा गाजा पट्टी के साथ बॉर्डर शेयर करता है. और यहीं पर रफा बॉर्डर क्रॉसिंग है.
तो, यह गाजा पट्टी और मिस्र के बीच की एकमात्र ऐसी क्रॉसिंग है जो गाजा से बाहर निकलने पर इजरायल में नहीं खुलती है. अब हमास के हमले के बाद इजरायल ने गाजा पर 'पूर्ण नाकेबंदी' लगा दी है वह बिजली काट रहा है, जरुरी सप्लाई रोक रहा है और सब कुछ बंद कर रहा है.
इसलिए किसी भी मानवीय सहायता की गाजा में एंट्री के लिए यही एकमात्र रास्ता है. और इसपर भी इजरायल के सैनिक लगातार बमबारी कर रहे हैं
Expand3. रफा क्रॉसिंग का इतिहास क्या है?
19वीं सदी तक सिनाई प्रायद्वीप पर ऑटोमन साम्राज्य का कंट्रोल था. इसके बाद यह अंग्रेजों के हाथ में चला गया जिनका 20वीं सदी के मध्य तक इसपर कंट्रोल रहा. 1917 में, ब्रिटेन के फॉरेन सेक्रेटरी आर्थर बाल्फोर ने फिलिस्तीन में एक यहूदी 'राष्ट्रीय मातृभूमि' बनाने की घोषणा की और 1948 में इजरायल का औपचारिक गठन हुआ था.
Expand4. 1979 की मिस्र-इजरायल शांति संधि
1967 में अरब देशों के साथ छह दिन चले युद्ध के बाद सिनाई पर इजरायल ने कब्जा कर लिया था. फिर 1979 में मिस्र और इजरायल के बीच शांति संधि हुई, जिसने दोनों देशों की सीमा 1906 में खींची गई रेखा के आधार पर फिर पुरानी स्थिति में आ गयी. इसका मतलब यह हुआ कि मिस्र ने सिनाई प्रायद्वीप पर वापस कब्जा पा लिया था. जबकि इजरायल ने गाजा शहर पर कब्जा कर लिया.
इजरायली सैनिकों के पीछे हटने के बाद, कैंप डेविड समझौते के तहत रफा क्रॉसिंग पॉइंट 1982 में खोल दिया गया था. इस प्रक्रिया के बीच में फिलिस्तीनियों ने अपनी जमीन के लिए संघर्ष जारी रखा.
Expand5. 1994 का गाजा-जेरिको समझौता
1987 में, फिलिस्तीनियों ने पहले इंतिफादा की घोषणा की. यह इजरायली कब्जे के खिलाफ एक विद्रोह था और यह 1993 तक चला. 1994 में गाजा-जेरिको समझौते ने फिलिस्तीन को स्वायत्तता दी और रफा क्रॉसिंग पर शेयर कंट्रोल की एक नई प्रणाली बनाई गई.
इस प्रणाली ने फिलिस्तीनी प्राधिकरण यानी PA को सुरक्षा और स्क्रीनिंग प्रक्रियाओं पर कुछ नियंत्रण दिया, लेकिन इजरायल ने ज्यादातर बॉर्डर क्रॉसिंग पर अपना कब्जा बनाए रखा साथ ही निरीक्षण करने और किसी को भी प्रवेश देने से इनकार करने की शक्ति भी बरकरार रखी.
समझौते के इस हिस्से को बाद में अमान्य कर दिया गया और ओस्लो II समझौते में लगभग इसे उसी भाषा से बदल दिया गया.
Expand6. 2000 में एरियल शेरोन की अल-अक्सा की यात्रा
2000 में, दक्षिणपंथी इजरायली राजनेता एरियल शेरोन ने यरूशलम के पुराने शहर में अल-अक्सा मस्जिद परिसर का दौरा किया. यह इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है जबकि यहूदी इसे टेम्पल माउंट के रूप में मानते हैं. यह यहूदियों का सबसे पवित्र स्थल है. इस दौरे को फिलिस्तीनियों ने 'उकसाना' माना- जिसके नतीजे में दूसरा इंतिफादा हुआ.
नतीजन, 2001 में इजरायल ने रफा पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया. हालांकि इजरायल 2005 में बॉर्डर से पीछे हट गया.
Expand7. गाजा पर हमास का कब्जा
फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने इजरायल के साथ मूवमेंट एंड एक्सेस समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे फिलिस्तीनी सरकार को बॉर्डर पर नियंत्रण करने का अधिकार मिल गया.
लेकिन इजरायल के पास अधिकार था कि जब भी वह चाहे बॉर्डर बंद कर सकता है. 2007 में हमास ने गाजा पर कब्जा कर लिया और तब से मिस्र सरकार ने सुरक्षा मुद्दों का हवाला देते हुए बॉर्डर क्रॉसिंग को ज्यादातर बंद कर दिया गया है.
फिलिस्तीनियों को बॉर्डर पार करने के लिए मिस्र के अधिकारियों के पास आवेदन करना पड़ता है.
Expand8. रफा क्रॉसिंग को फिर से खोलना क्यों महत्वपूर्ण हो गया है?
गाजा पूरी तरह से नाकाबंदी का सामना कर रहा है और वहां जरुरी सामान की कमी है. अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, सैकड़ों ट्रक सिनाई पहुंचे हैं. और मदद के साथ गाजा में एंट्री करने का इंतजार कर रहे हैं.
इजरायल ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के साथ बैठक के बाद रुख बदला है. इजरायल ने कहा है कि वो मिस्र से आती राहत को नहीं रोकेगा.
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रफा बॉर्डर क्रॉसिंग क्या है?
रफा बॉर्डर क्रॉसिंग गाजा से बाहर निकलने के लिए सबसे दक्षिणी पोस्ट है. इसकी सीमा मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप से लगती है. इस क्रॉसिंग पर मिस्र का कंट्रोल है.
इजरायल-फिलिस्तीन तनाव के बीच रफा बॉर्डर क्रॉसिंग का क्या महत्व है?
इस सवाल का जवाब देने के लिए, हमें गाजा पट्टी के भूगोल को समझना होगा. पूर्व और उत्तर में गाजा पट्टी की सीमा इजरायल से लगती है. गाजा पट्टी के पश्चिम में भूमध्य सागर है और उसपर भी इजरायल का नियंत्रण है. गाजा का सबसे दक्षिणी बिंदु पर मिस्र की सीमा है. यानी, मिस्र अकेला ऐसा देश है जो इजरायल के सिवा गाजा पट्टी के साथ बॉर्डर शेयर करता है. और यहीं पर रफा बॉर्डर क्रॉसिंग है.
तो, यह गाजा पट्टी और मिस्र के बीच की एकमात्र ऐसी क्रॉसिंग है जो गाजा से बाहर निकलने पर इजरायल में नहीं खुलती है. अब हमास के हमले के बाद इजरायल ने गाजा पर 'पूर्ण नाकेबंदी' लगा दी है वह बिजली काट रहा है, जरुरी सप्लाई रोक रहा है और सब कुछ बंद कर रहा है.
इसलिए किसी भी मानवीय सहायता की गाजा में एंट्री के लिए यही एकमात्र रास्ता है. और इसपर भी इजरायल के सैनिक लगातार बमबारी कर रहे हैं
रफा क्रॉसिंग का इतिहास क्या है?
19वीं सदी तक सिनाई प्रायद्वीप पर ऑटोमन साम्राज्य का कंट्रोल था. इसके बाद यह अंग्रेजों के हाथ में चला गया जिनका 20वीं सदी के मध्य तक इसपर कंट्रोल रहा. 1917 में, ब्रिटेन के फॉरेन सेक्रेटरी आर्थर बाल्फोर ने फिलिस्तीन में एक यहूदी 'राष्ट्रीय मातृभूमि' बनाने की घोषणा की और 1948 में इजरायल का औपचारिक गठन हुआ था.
1979 की मिस्र-इजरायल शांति संधि
1967 में अरब देशों के साथ छह दिन चले युद्ध के बाद सिनाई पर इजरायल ने कब्जा कर लिया था. फिर 1979 में मिस्र और इजरायल के बीच शांति संधि हुई, जिसने दोनों देशों की सीमा 1906 में खींची गई रेखा के आधार पर फिर पुरानी स्थिति में आ गयी. इसका मतलब यह हुआ कि मिस्र ने सिनाई प्रायद्वीप पर वापस कब्जा पा लिया था. जबकि इजरायल ने गाजा शहर पर कब्जा कर लिया.
इजरायली सैनिकों के पीछे हटने के बाद, कैंप डेविड समझौते के तहत रफा क्रॉसिंग पॉइंट 1982 में खोल दिया गया था. इस प्रक्रिया के बीच में फिलिस्तीनियों ने अपनी जमीन के लिए संघर्ष जारी रखा.
1994 का गाजा-जेरिको समझौता
1987 में, फिलिस्तीनियों ने पहले इंतिफादा की घोषणा की. यह इजरायली कब्जे के खिलाफ एक विद्रोह था और यह 1993 तक चला. 1994 में गाजा-जेरिको समझौते ने फिलिस्तीन को स्वायत्तता दी और रफा क्रॉसिंग पर शेयर कंट्रोल की एक नई प्रणाली बनाई गई.
इस प्रणाली ने फिलिस्तीनी प्राधिकरण यानी PA को सुरक्षा और स्क्रीनिंग प्रक्रियाओं पर कुछ नियंत्रण दिया, लेकिन इजरायल ने ज्यादातर बॉर्डर क्रॉसिंग पर अपना कब्जा बनाए रखा साथ ही निरीक्षण करने और किसी को भी प्रवेश देने से इनकार करने की शक्ति भी बरकरार रखी.
समझौते के इस हिस्से को बाद में अमान्य कर दिया गया और ओस्लो II समझौते में लगभग इसे उसी भाषा से बदल दिया गया.
2000 में एरियल शेरोन की अल-अक्सा की यात्रा
2000 में, दक्षिणपंथी इजरायली राजनेता एरियल शेरोन ने यरूशलम के पुराने शहर में अल-अक्सा मस्जिद परिसर का दौरा किया. यह इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है जबकि यहूदी इसे टेम्पल माउंट के रूप में मानते हैं. यह यहूदियों का सबसे पवित्र स्थल है. इस दौरे को फिलिस्तीनियों ने 'उकसाना' माना- जिसके नतीजे में दूसरा इंतिफादा हुआ.
नतीजन, 2001 में इजरायल ने रफा पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया. हालांकि इजरायल 2005 में बॉर्डर से पीछे हट गया.
गाजा पर हमास का कब्जा
फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने इजरायल के साथ मूवमेंट एंड एक्सेस समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे फिलिस्तीनी सरकार को बॉर्डर पर नियंत्रण करने का अधिकार मिल गया.
लेकिन इजरायल के पास अधिकार था कि जब भी वह चाहे बॉर्डर बंद कर सकता है. 2007 में हमास ने गाजा पर कब्जा कर लिया और तब से मिस्र सरकार ने सुरक्षा मुद्दों का हवाला देते हुए बॉर्डर क्रॉसिंग को ज्यादातर बंद कर दिया गया है.
फिलिस्तीनियों को बॉर्डर पार करने के लिए मिस्र के अधिकारियों के पास आवेदन करना पड़ता है.
रफा क्रॉसिंग को फिर से खोलना क्यों महत्वपूर्ण हो गया है?
गाजा पूरी तरह से नाकाबंदी का सामना कर रहा है और वहां जरुरी सामान की कमी है. अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, सैकड़ों ट्रक सिनाई पहुंचे हैं. और मदद के साथ गाजा में एंट्री करने का इंतजार कर रहे हैं.
इजरायल ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के साथ बैठक के बाद रुख बदला है. इजरायल ने कहा है कि वो मिस्र से आती राहत को नहीं रोकेगा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)