मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Kedarnath Floods: रिपोर्टर की भयावह यादें-'9 साल बाद भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं'

Kedarnath Floods: रिपोर्टर की भयावह यादें-'9 साल बाद भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं'

"सुबह साढ़े चार बजे मुझे एक दोस्त का फोन आया, जो केदारनाथ में दुकान चलाता था. उसने बताया कि सब तबाह हो गया है."

मधुसूदन जोशी
नजरिया
Updated:
<div class="paragraphs"><p>Kedarnath Floods 2013</p></div>
i

Kedarnath Floods 2013

(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

साल 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) में आई विनाशकारी आपदा में लापता हुए लोगों का दर्द आज भी उनके परिजनों के चेहरों पर साफ दिखाई पड़ता है. 9 साल बाद भी इस आपदा के जख्म नहीं भरे हैं. इस आपदा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु और स्थानीय लोग लापता हो गए थे, जिनका आज भी पता नहीं लग पाया है. केदारघाटी के अनेक गांवों के साथ ही देश-विदेश से आए तीर्थयात्रियों ने आपदा में जान गंवाई थी.

16 जून 2013 की सुबह के साढ़े चार बज रहे थे. बारिश बहुत तेज हो रही थी. भारत संचार निगम लिमिटेड की कनेक्टिविटी काफी कम आ रही थी. एकाएक दोस्त सतीश का फोन आया, जो केदारनाथ धाम में दुकान चलाता था. उसने बताया कि सब तबाह हो गया है. मंदिर के अंदर पानी भर गया है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु लापता हो गए हैं.

आपदा के बाद केदारनाथ धाम

(फोटो: मधुसूदन जोशी/क्विंट हिंदी)

मैंने तत्काल आजतक देहरादून ब्यूरो में अपने दोस्त दलीप सिह राठौड़ जी को फोन किया. मैंने उन्हें बताया कि केदारनाथ में भारी जानमाल की हानि हुई है, लेकिन खबर पुख्ता करने के लिए हमने जिलाधिकारी को फोन किया, तो उन्होंने खुद का केदारनाथ धाम में होना बताया, जबकि वो अपने आवास पर ही थे, क्योंकि हमने उन्हें फोन बेसलाइन पर किया था.

जब केदारनाथ भागा पूरा मीडिया

केदारनाथ में आई भयानक आपदा को 9 साल हो गए हैं. साल 2013 में 16 और 17 जून को आई इस आपदा में हजारों की तादाद में लोग मारे गए. कई दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश और फिर चौराबाड़ी झील के फटने से राज्य का ये हिस्सा तहस-नहस हो गया था. हमेशा सौम्य और शांत दिखने वाली मंदाकिनी अपने रौद्र रूप में आ गई थी. इस आपदा में असल में मरने वालों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से कहीं ज्यादा थे.

इस विनाशकारी आपदा को 9 साल गुजर गए हैं, लेकिन इस प्रलय के जख्म आपदा की बरसी पर फिर से ताजे होते चले जाते हैं.

बड़ी संख्या में श्रद्धालु और स्थानीय लोग इस आपदा की भेंट चढ़ गए. केदारघाटी के अनेक गांवों के साथ ही देश-विदेश से आए तीर्थयात्रियों ने आपदा में अपनी जान गंवाई. भीषण आपदा में अब भी 3200 से ज्यादा लोगों का कोई पता नहीं चल सका है.

खोए अपनों को आज भी याद करते हैं लोग 

(फोटो: मधुसूदन जोशी/क्विंट हिंदी)

सरकारी आंकड़ों को देखें तो पुलिस के पास आपदा के बाद कुल 1850 एफआईआर दर्ज हुईं. बाद में पुलिस ने सही तफ्तीश करते हुए 1256 एफआईआर को वैध मानते हुए कार्रवाई की. पुलिस के पास 3,886 गुमशुदगी दर्ज हुई, जिसमें से विभिन्न सर्च अभियानों में 703 कंकाल बरामद किए गए.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

मदद की आस में थे न जाने कितने श्रद्धालु

18/19 जून को चमोली जिले के गौचर हेलीपैड पर केदारनाथ से तीर्थयात्रियों को लाया जा रहा था. उसमें एक महिला जो गुजरात के जामनगर से थी. इस आपदा में अपने पति को गंवा चुकी थीं. वह गौचर हेलीपैड पर पहुंची तो अपने घर जाने की जिद्द करने लगी. वह टूटी फूटी हिंदी बोल रही थी, जिसे हम समझ नहीं पा रहे थे. हमारे सामने संकट था कि कैसे उनकी बात को समझें.

एकाएक ध्यान आया कि हमारे पहाड़ के लोग गुजरात में रहते हैं, शायद वह कुछ समझ सकें. फोन पर बात की और उन लोगों ने अपने मालिक से बात हमारी बात करवाई. वस्तु स्थिति से वाफिक कराया और उस महिला की बात करवाई गई. फिर उसकी बेटी ने मुझ से बात की और कहा कि आप इन्हें ऋषिकेश तक भिजवा दें.

मैंने कहा आप परेशान न हो, हम इन्हें भेज देंगे. लेकिन अब समस्या यह थी कि हमारे जेब में मुश्किल से दो सौ रूपये से ज्यादा नहीं थे, जबकि भाड़ा ही पांच सौ रूपये तक था. अपने व्यक्तिगत संपर्क से हमने उस महिला को ऋषिकेश भेजा. उस समय लगा कि इस महिला की तरह बहुत से तीर्थयात्री होंगे, जो छोटी सी मदद के मोहताज होंगे. खैर उनके घर पहुंचने पर बड़ी अनुभूति महसूस हुई.

बड़े पत्थर ने बाबा के मंदिर को किया था सुरक्षित

मंदिर के ठीक पीछे ऊपर से बहकर आए एक बड़े पत्थर ने बाबा के मंदिर को सुरक्षित कर दिया था. आज उस पत्थर को भीम शिला के नाम से जाना जाता है.

इस प्रलय में 2241 होटल, धर्मशाला और अन्य भवन पूरी तरह ध्वस्त हो गए थे. पुलिसकर्मियों ने अपनी जान पर खेलकर करीब 30 हजार लोगों को बचाया था. यात्रा मार्ग और केदारघाटी में फंसे 90 हजार से अधिक लोगों को सेना की ओर से सुरक्षित बचाया गया.

बहकर आए एक पत्थर ने मंदिर को बचाया

(फोटो: मधुसूदन जोशी/क्विंट हिंदी)

केदारनाथ आपदा के वो गहरे जख्म

  • केदारनाथ आपदा में 4400 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए.

  • 4200 से ज्यादा गांवों का पूरी तरह से संपर्क टूट गया.

  • 2141 भवन पूरी तरह से नष्ट हो गए.

  • जलप्रलय में 1300 हेक्टेयर कृषि भूमि बह गई थी.

  • सेना और अर्द्धसैनिक बलों ने 90 हजार लोगों को रेस्क्यू किया.

  • 30 हजार लोगों को पुलिस ने बचाया.

  • 55 नरकंकाल सर्च ऑपरेशन में खोजे गए.

  • 1000 स्थानीय लोग अलग-अलग जगहों पर मारे गए.

  • 11,000 से अधिक मवेशी बह गए या मलबे में दब गए.

  • 1,309 हेक्टेयर भूमि बाढ़ में बह गई.

  • 100 से ज्यादा बड़े और छोटे होटल ध्वस्त हो गए.

  • 9 राष्ट्रीय और 35 राज्य हाईवे क्षतिग्रस्त हो गए थे.

  • 2385 सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा.

  • 86 मोटर पुल और 172 बड़े व छोटे पुल बह गए.

मौत का सटीक आंकड़ा आजतक नहीं मिला

आपदा में कितने लोगों की जान गई, इसका सटीक आंकड़ा आज तक साफ नहीं हो पाया है. हजारों लोगों की मरने की सूचना पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है. इस आपदा में भारत के ही नहीं, बल्कि विदेश के लोगों ने भी अपनी जान गंवाई थी. केदारनाथ की इस प्रलयकारी आपदा के चश्मदीद आज भी उस पल को सोचकर सहम जाते हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 16 Jun 2022,11:07 AM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT