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Ladakh Crisis: लद्दाख के नेताओं और भारत सरकार की सकारात्मक बातचीत के बाद लद्दाख के सिविल सोसायटी ग्रुप्स ने मंगलवार, 20 फरवरी को कहा कि तीसरे दौर की वार्ता के बाद ही तय किया जाएगा कि आगे क्या कार्रवाई करनी है. तीसरे दौर की बातचीत 24 फरवरी को होने वाली है.
लद्दाख के दो प्रमुख सिविल सोसायटी ग्रुप- एपेक्स बॉडी ऑफ लेह (एबीएल) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने लद्दाख की हाई पावर्ड कमिटी (एचपीसी) से 19 फरवरी को मुलाकात की थी. गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय इस कमिटी के अध्यक्ष हैं. दूसरे दौर की यह बातचीत नई दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक में करीब डेढ़ घंटे चली.
लद्दाख के लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले इन समूहों की कई मांग हैं, जैसे भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के अनुसार संवैधानिक उपाय, लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा, शीघ्र भर्ती प्रक्रिया, लद्दाख के लिए एक लोक सेवा आयोग, लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीटें.
केडीए के सदस्य सज्जाद कारगिली ने कहा, "हम एक कदम आगे बढ़ गए हैं क्योंकि केंद्र हमारे चार सूत्री एजेंडा को चर्चा में शामिल करने के लिए राजी हो गया है. हमें उम्मीद है कि अगली बैठक भी सफल होगी.
यहां यह बताना जरूरी है कि 5 अगस्त 2019 को पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया था.
विशेष दर्जा हटने के बाद से मुस्लिम बहुल कारगिल जिले ने जम्मू-कश्मीर से अलग होने के खिलाफ कड़ी नाराजगी जताई. दूसरी तरफ लद्दाख के लोग केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे से बेहद खुश हुए.
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने की आड़ में उन्हें धोखा दिया, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें विधायी शक्ति मिलेगी, और उनकी जमीन और रोजगार महफूज होंगे.
एचपीसी बैठक में शामिल हुए कारगिली ने कहा कि सभी की निगाहें बैठक के तीसरे दौर पर हैं जो लद्दाख का भविष्य तय करेगी. उनका कहना है, "हम आगे क्या कदम उठाएंगे, यह शनिवार की बातचीत के नतीजे पर निर्भर करेगा."
दूसरे दौर की बातचीत में प्रतिनिधियों ने चार सूत्री एजेंडा पर जोर दिया, जो 16 जनवरी को एचपीसी को सौंप दिया गया था.
एलएबी के एक सदस्य चेरिंग दोरजे ने द क्विंट को बताया कि यह पहली बार है, जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली सरकार उनकी मांगों पर बातचीत करने को राजी हुई है. पहले उसने बैठक में इस एजेंडा को शामिल करने से इनकार कर दिया था.
दोरजे ने कहा कि बैठक के दौरान गृह मंत्रालय के कुछ सदस्य बार-बार उन्हीं मुद्दों को उठाने की कोशिश करते रहे जिनमें उनकी दिलचस्पी थी, जैसे लेह और कारगिल की लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषदों (एलएएचडीसी) को सशक्त बनाना आदि.
दोरजे ने कहा, "हालांकि हम अपनी मांगों (4 सूत्री एजेंडा) पर अड़े रहे और उनके तर्कों से रजामंद नहीं हुए. फिर वे (सरकार) हमारी मांगों पर बातचीत करने को तैयार हुए."
दिसंबर 2023 की बैठक के दौरान नित्यानंद राय ने जोर देकर कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार लद्दाख के विकास में तेजी लाने और उसके निवासियों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए समर्पित है.
इस बातचीत को "अहम" बताते हुए दोरजे ने कहा कि गृह मंत्रालय ने उनसे एक संयुक्त उपसमिति बनाने को कहा है, जो इन मुद्दों की बारीकियों पर काम करेगी.
केडीए और एलबीए ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि, "हमने एक उपसमिति का गठन किया है जिसमें केडीए और एलबीए, दोनों के सदस्य हैं. केडीए से थुपस्तान छेवांग, चेरिंग दोरजे लाक्रूक और श्री नवांग रिगज़िन जोरा इस संयुक्त उपसमिति में होंगे, और कमर अली अखून, असगर अली करबलाई और श्री सज्जाद कारगिली केडीए का प्रतिनिधित्व करेंगे.”
समूह ने उपसमिति के सदस्यों के नाम केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को दे दिए हैं.
बयान में कहा गया है, ''उपसमिति के सभी सदस्य दिल्ली में हैं और हम अगली बैठक में सार्थक चर्चा की उम्मीद करते हैं.'' जैसा कि पहले बताया गया था, लोगों ने मांगें पूरी नहीं होने पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने की धमकी दी है.
लद्दाख स्टूडेंट्स एनवायर्नमेंटल एक्शन फोरम (एलईएएफ) के अध्यक्ष पद्मा स्टैनज़िन ने कहा कि गृह मंत्रालय साफ तौर से अगले दौर की बैठकों में अपने कानूनी सलाहकारों को शामिल करेगा.
"जिसका मतलब है कि केंद्र लद्दाख को लेकर गंभीर है. हम भी बैठक के लिए तैयार हैं," स्टैनज़िन ने कहा, जो सोमवार को गृह मंत्रालय के साथ हुई बैठक में शामिल हुए थे.
सूत्रों के मुताबिक, मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सभी मुद्दों को सुलझाने की इच्छुक है और चीन और पाकिस्तान की सीमा वाले संवेदनशील क्षेत्र को अस्थिर नहीं रखना चाहती.
(आकिब जावेद श्रीनगर स्थित पत्रकार हैं. वह @AuqibJaveed पर ट्वीट करते हैं. यह एक ओपिनियन पीस है. इसमें व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है.)
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