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उसने फूट-फूटकर रोते हुए कहा, “मेरे पति ने 12 साल तक मेरा रेप (Rape) किया और एक साल तक मेरी बेटी का.” 34 साल की उस रेप सर्वाइवर ने क्विंट से बातचीत में यह बात कही. हाल ही में कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka Highcourt) ने एक आदेश में कहा है कि “बलात्कार आखिर बलात्कार ही है.” इसके बाद उसने इस तरह अपना दर्द बयां किया.
23 मार्च को मैरिटल रेप पर कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला सुर्खियों में आया था. उसमें अदालत में कहा था कि बलात्कार, चाहे वह एक पुरुष यानी पति, किसी महिला यानी अपनी पत्नी के साथ करे, आखिर में बलात्कार ही है.
उसकी जब शादी हुई तब वह 17 साल की थी. वह कहती है, “जब मैं दो साल की थी, तब मेरे पिता की मौत हो गई थी. मेरी मां ने जबरदस्ती मेरी शादी करा दी. 2004 में हम ओडिशा (वह वहीं की रहने वाली है) से दिल्ली आ गए.”
वह आरोप लगाती है कि जल्द ही उसके पति ने उसके साथ सेक्स स्लेव जैसा व्यवहार करना शुरू कर दिया.
वह अपने आंसू पोंछते हुए कहती है, “वह अपनी मां से मुझे बात नहीं करने देता था. मेरे पास जाने के लिए कोई जगह नहीं थी. वह पीरियड्स के दिनों में भी मुझे नहीं बख्शता था. जब भी मैं रेस्टरूम जाती थी, मुझे दर्द होता था. मैंने पानी पीना और खाना छोड़ दिया क्योंकि मैं घबराती थी कि जब मैं टॉयलेट जाऊंगी तो मुझे बहुत ज्यादा तकलीफ होगी.”
उसका पति आईटी एग्जीक्यूटिव है. वह अमेरिका आता-जाता रहता था. वह कहती है, “साल में पांच महीने वह अमेरिका में रहता था, तब कहीं जाकर मुझे थोड़ी राहत मिलती थी.” वह कहती है कि शादी के तुरंत बाद वह प्रेग्नेंट हो गई लेकिन उसे दो महीने में अबॉर्शन कराना पड़ा.
वह रोते हुए कहती है, “सारी यातनाओं के बावजूद 2008 में मैंने बच्ची को जन्म दिया. वह बहुत पीड़ा देने वाला था, जब बच्ची के सामने उसने मेरे साथ रेप किया.” बच्ची के जन्म से पहले वे लोग बेंगलुरू चले गए थे, क्योंकि उसके पति का तबादला वहां हो गया था.
बेंगलुरू आकर उसे अपनी मां से बात करने और आपबीती सुनाने का मौका मिला. वह कहती है, “वह मेरी मां थी और चाहती थी कि मेरी शादी बची रहे. उसने मेरे पति को समझाया और वहां से चली गई.”
अब उस रेप सर्वाइवर के पास इसके अलावा कोई चारा नहीं था कि कहीं और से मदद ली जाए.
उसके पड़ोस में एक वकील रहती थी, जो उसकी दोस्त बन गई. 2016 में उसने उसकी मुलाकात एडवोकेट एडी रमानंदा से कराई. रमानंदा और उनकी पत्नी ने उस रेप सर्वाइवर की मदद करने का फैसला किया और मां-बेटी को घर ले आए.
उसकी बेटी मजबूती से कहती है, “मैं चाहती हूं कि मेरे पिता को फांसी हो. वह अपने प्राइवेट पार्ट में गुब्बारा लगाता था और मेरे प्राइवेट पार्ट पर उसे रगड़ता था. हर बार जब वह ऐसा करता था, मुझे तकलीफ होती थी. वह मेरा मुंह बंद कर देता था ताकि मैं चिल्लाऊं नहीं. वह धमकाता कि अगर मैंने इस बारे में अपनी मां को बताया तो वह मेरी मां को मार डालेगा.
यह सब एक साल तक चलता रहा, जब तक मैं और मेरी मां वहां से चले नहीं गए.” वह कहती है कि उसे अपनी मां को यह सब बताने की हिम्मत तब हुई, जब मेरी मां ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.
शिकायत दर्ज कराने के बावजूद सर्वाइवर्स का कहना है कि पुलिस हर कदम पर आलस दिखाती रही- एफआईआर दर्ज करने से लेकर मेडिकल एग्जामिनेशन करने तक और जांच शुरू करने में भी. रमानंदा शिकायत करते हैं, “अदालत ने मुझसे कहा कि जांच में पुलिस वालों की मदद करूं. लेकिन पुलिस ने मुझे ही इस मामले में बेवजह गवाह बना दिया.”
इस बीच ट्रायल कोर्ट में आरोपी को बेल नहीं दी गई लेकिन 2018 में हाई कोर्ट में उसे “मुकदमे में देरी” के आधार पर बेल दे दी. एडवोकेट रमानंदा ने कहा कि स्पेशल कोर्ट ने बच्ची की याचिका को खारिज कर दिया था जो कि पॉक्सो एक्ट की धारा 33 (4) के तहत दायर की गई थी. अदालत का कहना था कि मां ‘गैरजरूरी एप्लीकेशन दाखिल करके मुकदमे में देरी कर रही है.’
धारा 375 कहती है: पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ सेक्शुअल इंटरकोर्स (अगर पत्नी की उम्र 18 साल से कम नहीं है) बलात्कार नहीं है. “मैरिटल रेप भी रेप है. मैंने देखा है कि मेरे पिता ने मेरी मां के साथ क्या किया है. हम आखिरी सांस तक लड़ेंगे.” बेटी मेज पर जोर से हाथ मारते हुए कहती है. मां अपने आंसू पीकर फुसफुसाती है, "हम यहीं नहीं रुकेंगे."
जब क्विंट ने बचाव पक्ष के वकीलों से संपर्क किया, तो उन्होंने एक बयान जारी किया, जिसमें लिखा था, “याचिकाकर्ता अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार करता है. वह निर्दोष है और तीसरे प्रतिवादी, जिसके एक ड्राइवर के साथ अवैध संबंध थे, ने याचिकाकर्ता और उसके माता-पिता के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई थी."
बयान में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने अपने खिलाफ लगाए गए “आरोपों को खारिज करने की प्रार्थना की है.”
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Published: 21 Apr 2022,08:01 AM IST