मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019मॉब लिंचिंग और फेक न्यूज पर सरकार वाकई सीरियस है या सब दिखावा है?

मॉब लिंचिंग और फेक न्यूज पर सरकार वाकई सीरियस है या सब दिखावा है?

इस साल मॉब लिंचिंग से हुई मौतों की तादाद पिछले साल से दोगुणी है

नीरज गुप्ता
नजरिया
Updated:
दादरी मॉब लिंचिंग में मारे गए अखलाक के परिवार का फोटो प्रतीकात्मक तौर पर इस्तेमाल किया गया है 
i
दादरी मॉब लिंचिंग में मारे गए अखलाक के परिवार का फोटो प्रतीकात्मक तौर पर इस्तेमाल किया गया है 
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

मॉब लिंचिंग और फेक न्यूज जैसे मसलों पर केंद्र की एनडीए सरकार अचानक ज्यादा ही संजीदा नजर आ रही है. इस सिलसिले में सचिवों की कमेटी ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त कानून बनाने की सिफारिश की है.

पिछले महीने ‘भीड़तंत्र’ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद 23 जुलाई, 2018 को केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा की अध्यक्षता में ये कमेटी बनाई गई थी.

मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त कानून

गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कमेटी ने कहा है:

  • मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए IPC और CrPC में नए प्रावधान जोड़े जाएं
  • भड़काऊ संदेशों पर फेसबुक, वॉट्सएप, यू-ट्यूब और ट्वीटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी तय की जाए
  • सरकार के आदेश ना मानने पर भारत में उनके टॉप बॉस के खिलाफ FIR की जाए
  • ज्यादातर दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाली हिंसा की घटनाओं पर राज्य सरकारें कड़ा रुख अपनाएं
रिपोर्ट सौंपने से पहले कमेटी ने समाज के अलग-अलग वर्गों और स्टेकहोल्डर्स से विचार-विमर्श किया. उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे उन राज्यों के पुलिस अफसरों से भी बातचीत की गई जहां मॉब लिंचिंग के ज्यादा मामले सामने आए हैं.

इसी चर्चा में ये बात सामने आई कि खासतौर पर मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून में प्रावधान जोड़ने पर

  • हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करना
  • अपराध को गैर-जमानती बनाना
  • स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामलों की सुनवाई करवाना
  • पीड़ितों को केंद्रीय फंड से मुआवजा दिलाना

आसान हो जाएगा.

हालांकि फिलहाल ये सिर्फ सिफारिशें हैं. ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ये रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपेगा और कानून में बदलाव के लिए संसद की मंजूरी लेनी होगी. यानी दिल्ली अभी दूर है.

पीएम मोदी की नसीहत

29 जुलाई, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमो ऐप के जरिए वाराणसी के बीजेपी कार्यकर्ताओं से बात की. बातचीत के दौरान सोशल मीडिया पर भी चर्चा हुई. पीएम ने साफ कहा कि लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल गंदगी फैलाने के लिए न करें. पीएम मोदी ने कहा:

सोशल मीडिया पर कुछ लोग ऐसे-ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं, जो सभ्य समाज में अस्वीकार्य हैं, शोभा नहीं देते हैं. महिलाओं के खिलाफ कुछ भी लिख-बोल देते हैं. इसे किसी एक राजनीतिक दल से जोड़कर नहीं देखना चाहिए.
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

वैसे ये दिलचस्प है कि पीएम मोदी अपने आधिकारिक हैंडल पर करीब 2000 लोगों को फॉलो करते हैं. जिनमें से कईयों पर ट्रॉलिंग के आरोप लग चुके हैं. ये सवाल भी उठे हैं कि क्या पीएम उन ट्रॉल्स को अनफॉलो ना करके उन्हें शह नहीं दे रहे?

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

WhatsApp को चेतावनी

21 अगस्त, 2018 को WhatsApp के सीईओ क्रिस डेनियल से मुलाकात में आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि उनके मंच से फैलने वाली अफवाहों को रोकने की जिम्मेदारी WhatsApp की है.

सरकार ने WhatsApp को आगाह किया कि यदि सुधार रोकथाम न हुई तो कम्पनी को भारत में आपराधिक घटनाओं के बढ़ावा देने में मदद का जिम्मेदार भी ठहराया जा सकता है.

हालांकि तुर्रा ये कि WhatsApp ने सरकार की चेतावनी को दरकिनार कर दिया. कंपनी ने कहा कि ‘एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन’ के चलते वो ऐसा सॉफ्टवेयर नहीं बना सकते जो ये बता सके कि कोई मैसेज सबसे पहले कहां से शुरु हुआ था.

क्या है जमीनी हकीकत?

जुलाई 2018 में आई वेब पोर्टल इंडियास्पेंड की रिपोर्ट के मुताबिक

  • इस साल 61 ऐसे मामले हो चुके हैं जिनमें भीड़ ने कानून अपने हाथ में लेते हुए लोगों पर हमला कर दिया
  • इन हमलों में 24 लोगों की मौत हो गई
  • इस साल मॉब लिंचिंग में पिछले साल के मुकाबले दोगुनी मौते हुईं और साढ़े चार गुना ज्यादा हमले
  • 1 जुलाई, 2017 से 5 जुलाई, 2018 के बीच भीड़ के हाथों हुए 69 हमलों में 33 लोगों की मौत हुई
  • 2017 से पहले मॉब लिंचिंग का एक मामला अगस्त 2012 में हुआ था

साफ है कि जमीनी हकीकत सरकार के ‘तीखे तेवरों’ से मेल नहीं खाती. ऐसे में ये सवाल उठाना लाजिमी है कि

मॉब लिंचिंग और फेक न्यूज पर सरकार वाकई सीरियस है या फिर सब दिखावा है?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 30 Aug 2018,05:25 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT