मेंबर्स के लिए
lock close icon

2019 चुनाव से पहले वोटरों को लुभाने में जुटे CM नीतीश

महिलाओं के लिए भी कई घोषणाएं मुख्यमंत्री ने की हैं. तो क्या नीतीश्‍ा 2019 के आम चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं?

निहारिका
नजरिया
Published:
बीते 13 सालों में नीतीश कुमार ने अपने लिए एक अलग वोटबैंक बनाया है
i
बीते 13 सालों में नीतीश कुमार ने अपने लिए एक अलग वोटबैंक बनाया है
(फोटो: Harsh Sahani)

advertisement

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीते महीनेभर से एक के बाद एक कई लोक-लुभावन योजनाओं के जरिए अनुसूचित जाति व जनजाति (SC-ST), अति पिछड़ी जातियों (EBC) और महिला वोटरों को लुभाने में जुट गए हैं. इसके लिए शराबबंदी कानून के तहत सजा में रियायत के साथ-साथ उनकी सरकार ने छात्रों, युवाओं और उद्यमियों के लिए नेमतों का पिटारा खोल दिया है. वहीं महिलाओं के लिए भी कई घोषणाएं मुख्यमंत्री ने की है. तो क्या नीतीश 2019 के आम चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं?

नीतीश और जनता दल (यू) SC-ST, EBC और महिलाओं के साथ का दावा करती है. पार्टी की मानें, तो बीते 13 सालों में नीतीश ने अपने लिए एक अलग वोटबैंक बनाया है. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक नवंबर, 2005 में सत्ता आने के बाद नीतीश अपना अलग वोटबैंक बनाने में जुट गए. इसी लक्ष्य के मद्देनजर उन्होंने दलितों में भी महादलित वर्ग बनाया और EBC के लिए विशेष योजनाएं बनाईं. वहीं उन्होंने महिला मतदाताओं को भी लुभाना शुरू किया.

साल 2009 और 2010 के चुनाव में इन सभी वर्गों ने नीतीश कुमार के पक्ष में खुलकर मतदान किया. वहीं 2015 के विधानसभा चुनाव में भी BJP की हराने में इन वर्गों ने नीतीश्‍ा की खुलकर मदद की थी. इसी का नतीजा है कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में ज्यादातर सुरक्षित सीटों पर महागठबंधन ने अपनी जीत दर्ज की थी.

हालांकि अब BJP और JD(U) के फिर से हाथ मिलाने के बाद माहौल अलग है. खुद JD(U) नेता भी मानते हैं कि बीते एक साल में इन वर्गों के समर्थन में कमी आई है. शराबबंदी का स्वागत तो हुआ, लेकिन इस बाबत जो कानून बना, उससे दलितों के मन में खौफ का माहौल पैदा हुआ. वहीं BJP शासित राज्यों में दलितों पर बढ़ते हमलों की वजह से भी नीतीश का वोटबैंक उनसे दूर हुआ है.

BJP और JD(U) का हाथ मिलाने से माहौल अलग है(फोटो: The Quint)

इसका खामियाजा जद(यू) को इस साल की शुरुआत विधानसभा उप-चुनावों में झेलना पड़ा. वहीं बीते दिनों SC-ST कानून में बदलाव कर इस मूल रूप में लागू करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सवर्ण संगठनों के भारत बंद का असर भी नीतीश के वोटरों पर हुआ है. विश्लेषकों के मुताबिक इन्हें फिर से लुभाने में कवायद में नेमतों का पिटारा खोला गया है.

रियायतों का यह सिलसिला शराबबंदी में रियायत से शुरू हुआ. इसके तहत राज्य सरकार ने पहले अपराध को जमानती बना दिया था. साथ ही मुख्यमंत्री ने परंपरागत रूप से शराब के कारोबार से जुड़े लोगों के पुनर्वास के लिए 1 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता का ऐलान किया था.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

कमजोर वर्गों के युवाओं के लिए नीतीश ने बीते महीने एक नई स्कीम की शुरुआत की है. इसके तहत SC-ST, EBC और अल्पसंख्यक छात्रों को हर महीने 1,000 रुपये की स्कॉलरशिप और 15 किलो अनाज मिलेगा. इसके अलावा, सरकार ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की Prelims परीक्षाओं को पास करने वाले SC-ST और EBC स्टूडेंट्स को एक लाख रुपये और बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की परीक्षाओं को पास करने वाले युवाओं को 50,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि देने का ऐलान किया है.

वहीं, राज्य सरकार ने SC-ST उद्यमियों के लिए Bihar SC-ST Entrepreneurs Scheme नाम की नई योजना शुरू की है. इसके तहत राज्य सरकार समाज के कमजोर वर्गों से आने वाले उद्यमियों को ट्रेनिंग के साथ-साथ 10 लाख रुपये की सहायता भी देगी. इसमें से 5 लाख शून्य ब्याज दर पर कर्ज और 5 लाख रुपये सब्सिडी के रूप में मिलेंगे.

राज्य सरकार ने SC-ST उद्यमियों के लिए Bihar SC-ST Entrepreneurs Scheme नाम की नई योजना शुरू की(फोटो: ट्विटर)

राज्य सरकार ने अब विधायकों की एक समिति को बड़े अफसरों के साथ जिला-जिला में भेजने का फैसला लिया है. यह समिति SC-ST की स्थिति की जानकारी लेगी. उन्हें खास तौर पर सामाजिक स्थिति, प्रमोशन में रिजर्वेशन की स्थिति, SC-ST होस्टल की हालत, SC-ST schemes में कैश ट्रंसफर में आने वाली दिक्कतों, राशन और केरोसिन तेल के उठाव और अलग-अलग योजनाओं में इन जातियों की हिस्सेदारी की जांच करने को कहा है.

राज्य सरकार ने सभी DM और SP को समिति के काम में हर मदद का आदेश भी जारी कर दिया है. वहीं काम में बाधा पहुंचाने वाले कर्मियों को कठोर कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है.

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें, तो ये सारे फैसले अगले साल के आम चुनाव को ध्यान में रखकर लिए जा रहे हैं. एक विश्लेषक ने कहा, ‘अब JD(U) की राष्ट्रीय जनतांत्रित गठबंधन (NDA) में वह हैसियत नहीं है, जो 2009 या 2010 में हुआ करती थी. इसीलिए नीतीश 2019 से पहले बिहार NDA में खुद को निर्णयक स्थिति में देखने चाहते हैं. इसीलिए वे अब अपने वोटबैंक को मजबूत करने में लगे हुए हैं.’

पटना यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एनके चौधरी ने कहा, ‘बीते साल में नीतीश की स्थिति काफी कमजोर हुई है. कानून-व्यवस्था की हालत काफी खराब हुई है. दलितों और अल्पसंख्यकों का नीतीश से मोहभंग हुआ है. इसीलिए मुख्यमंत्री को लोक-लुभावन फैसलों का सहारा लेना पड़ रहा है.’

दबी जुबान से पार्टी के कुछ नेता भी मानते हैं कि पिछड़े समुदाय में BJP को लेकर गुस्से का खामियाजा भी JD (U) को झेलना पड़ रहा है. वे इस गुस्से को फरवरी-मार्च में विधानसभा उप-चुनाव में हार में बड़ा कारण मानते हैं. उनके मुतबिक अगले साल के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के संभावित गठबंधन को शिकस्त देने के लिए पार्टी को इन वोटों की जरूरत है.

इसके अलावा, बिहार NDA में नीतीश को अपना रुतबा कायम रखने के लिए भी इन वोटों की जरूरत है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, साल 2020 में विधानसभा चुनाव में BJP नेताओं की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को काबू में रखने के लिए नीतीश को ज्यादा से ज्यादा वोटरों की जरूरत है.

(निहारिका पटना की जर्नलिस्‍ट हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT