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पाकिस्तान चुनाव 2024: जेल में इमरान खान, अब उनकी पार्टी PTI को आउट करने की कोशिश

इमरान खान और उनकी पार्टी के प्रति जनता की सहानुभूति में वृद्धि को देखते हुए, पीटीआई अभी भी बाजी पलट सकती है.

अखिल बख्शी
नजरिया
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<div class="paragraphs"><p>पाकिस्तान चुनाव 2024: जेल में इमरान खान, अब उनकी पार्टी PTI को आउट करने की कोशिश</p></div>
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पाकिस्तान चुनाव 2024: जेल में इमरान खान, अब उनकी पार्टी PTI को आउट करने की कोशिश

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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पाकिस्तान (Pakistan) की 16वीं नेशनल असेंबली के सदस्यों का चुनाव 8 फरवरी 2024 को होने वाला है. सेना के जनरल, नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) की अलोकप्रिय पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) की वापसी और इमरान खान (Imran Khan) की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को खत्म करने के लिए एक सेटिंग बनाने में व्यस्त हैं, जो जनता की स्पष्ट पसंद है.

नवंबर 2022 में हत्या के प्रयास से बचने के बाद, पीटीआई के दिग्गज नेता इमरान खान अब जेल में हैं. उनकी गिरफ्तारी के बाद, उनके समर्थकों का विरोध प्रदर्शन हिंसक दंगों में बदल गया और कई सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया गया.

चुनाव आयोग की चुनाव सूची से इमरान को पीटीआई के प्रमुख पद से हटा दिया गया

सेना की कार्रवाई के परिणामस्वरूप हजारों पीटीआई कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी हुई, उन्हें यातनाओं का सामना करना पड़ा और कई लापता हो गए. गिरफ्तार पीटीआई नेताओं को एक ही विकल्प दिया गया: या तो पार्टी छोड़ों, किसी अन्य पार्टी में शामिल हो जाएं, या राजनीति से संन्यास ले लें- नहीं तो जेल में ही उन्हें सड़ना पड़ेगा. ऐसी धमकियों के बाद कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी.

इनमें से इमरान खान के मंत्रिमंडल में योजना, विकास, सुधार मंत्री असद उमर भी शामिल थे. बाद में नजरबंद किए जाने के बाद, एक शानदार रणनीतिकार और आयोजक उमर को पीटीआई के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में देखा जाने लगा. लेकिन उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने का फैसला किया.

हाल ही में, पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने, चुनाव अधिनियम और पार्टी के स्वयं के संविधान का अनुपालन नहीं करने के लिए पीटीआई के अंतर-पार्टी चुनावों को अमान्य घोषित कर दिया.

चुनाव आयोग ने रजिटर्ड पार्टियों की एक सूची जारी की जिसमें पीटीआई के पार्टी प्रमुख के रूप में इमरान खान का नाम हटा दिया गया और पीटीआई को एक नेतृत्वहीन पार्टी के रूप में दिखाया गया. इसके अलावा, चुनावी निगरानी संस्था ने पीटीआई से उसका चुनाव चिह्न- 'क्रिकेट बैट' भी छीन लिया.

चुनाव चिन्ह रद्द होने से पार्टी राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित सीटों से वंचित हो जाएगी.

26 दिसंबर को, पेशावर हाई कोर्ट ने पीटीआई के चुनाव चिह्न को बहाल करने का आदेश पारित किया. हाई कोर्ट के निर्देश का पालन करने की बजाय, चुनाव आयोग ने अदालत में समीक्षा याचिका दायर की है. याचिका की समीक्षा 9 जनवरी को होनी है.

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सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की 'बैठक'

पीटीआई के सामने तमाम बाधाएं खड़ी होने के बावजूद पार्टी जनता के बीच लोकप्रिय बनी हुई है. लोगों की भावनाओं को महसूस करते हुए सत्ताधीष और केयरटेकर सरकार नवाज शरीफ की पार्टी के लिए दो-तिहाई बहुमत सुनिश्चित करने की कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ रही है.

पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर ऐसी खबरें जोर पकड़ रही है कि सेना प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर की पाकिस्तानी नागरिकों को राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करने वाली सरकारी एजेंसी राष्ट्रीय डेटाबेस और पंजीकरण प्राधिकरण (NADRA) के अध्यक्ष के साथ बैठक हो रही है.

माना जाता है कि सेना प्रमुख ने मृत मतदाताओं और विदेशी पाकिस्तानियों के नाम पर नकली मतदाता पहचान पत्र जारी करके 266 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में से प्रत्येक में कम से कम 15,000 फर्जी वोट बनाने के निर्देश दिए थे - जिनमें से 99% ने कभी भी अपने मतदान अधिकार का प्रयोग नहीं किया.

उन पाकिस्तानियों का भी डेटा उपलब्ध है जिन्हें मतदाता कार्ड जारी किए गए हैं लेकिन उन्होंने कभी मतदान नहीं किया.

ऐसे मतदाताओं के डुप्लीकेट कार्ड बनाए जाएंगे और संभावित उपयोग के लिए सहयोगियों को दिए जाएंगे. बताया जाता है कि NADRA के चेयरमैन ने इन निर्देशों से नाखुश होकर बैठक की जानकारी लीक कर दी.

क्या पीटीआई हवा का रुख अपने पक्ष में कर सकती है?

यह सुनिश्चित करते हुए कि पीटीआई के लिए कोई समान अवसर नहीं है, सरकार अन्य प्रमुख दलों को अनुचित लाभ देना जारी रख रही है.

30 दिसंबर को, सेंट्रल पावर परचेजिंग एजेंसी ने इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर्स (आईपीपी) को 74 अरब रुपये जारी किए - जिनमें से कई का स्वामित्व शरीफ परिवार और जरदारी समूह के पास है. पाकिस्तान में 42 आईपीपी हैं - जिनमें से 14 शक्तिशाली राजनीतिक परिवारों से संबंधित हैं, जिनमें सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी या उनके परिवार के सदस्य भागीदार हैं.

इन 14 कंपनियों का दबदबा है. उनके पास LNG और LPG के आयात करने के लाइसेंस पर एकाधिकार है. इन्हीं कंपनियों के पास गेहूं और चीनी के निर्यात और आयात का लाइसेंस भी है.

किसी भी नई कंपनी को एलएनजी या एलपीजी आयात या चीनी और गेहूं के आयात/निर्यात के लिए लाइसेंस नहीं मिल सकता है. सरकार द्वारा इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर्स (आईपीपी) को फंड जारी करने से शरीफ और जरदारी ज्यादा मजबूत होंगे. सत्तारूढ़ स्पष्ट रूप से पीटीआई के खिलाफ एकजुट हो गया है.

इमरान खान और उनकी पार्टी के प्रति जनता की सहानुभूति में वृद्धि को देखते हुए, पीटीआई अभी भी बाजी पलट सकती है.

पीटीआई का नेतृत्व बैरिस्टर गोहर अली खान कर रहे हैं, जो पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) को छोड़कर जुलाई 2022 में पीटीआई में शामिल हुए थे.

पीटीआई का विरोध करने वाली पार्टियां भी जीत को लेकर आश्वस्त नजर नहीं आ रही हैं. पाकिस्तान के एक अनुभवी राजनीतिक पर्यवेक्षक ऐतजाज अहसन ने भविष्यवाणी की है कि नवाज शरीफ चुनाव से पहले देश छोड़ देंगे और विदेश से नतीजों को देखेंगे.

(रॉयल जियोग्राफिकल सोसाइटी के फेलो, एक्सप्लोरर्स क्लब यूएसए के फेलो और इंडियन माउंटेनियर के संपादक अखिल बख्शी ने 27 किताबें लिखी हैं, जिनमें से तीन किताबें तिब्बत: सिल्क रोड ऑन व्हील्स, ट्रेन टू ल्हासा और स्टेयरवे टू हेवेन शामिल हैं. यहां व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट हिंदी न तो उनका समर्थन करता है और न ही उनके लिए जिम्मेदार है।)

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