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PM मोदी के संबोधन में छठ का जिक्र और बिहार में विधानसभा चुनाव

छठ पूजा तक गरीबों को मिलता रहेगा मुफ्त में राशन

मुकेश बौड़ाई
नजरिया
Published:
पांच महीने के लिए पीएम गरीब कल्याण योजना को बढ़ाया गया
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पांच महीने के लिए पीएम गरीब कल्याण योजना को बढ़ाया गया
(फोटो: TheQuint)

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कोरोना वायरस और चीन के साथ जारी तनाव के बीच 29 जून को पीएमओ ने बताया कि पीएम मोदी 30 जून शाम 4 बजे देश को संबोधित करेंगे. इसके बाद हमेशा की तरह इस संबोधन को लेकर भी कयासों का सिलसिला शुरू हो गया. पीएम के संबोधन की ये खबर चीनी ऐप बैन होने की खबर के कुछ ही देर बाद आई थी. जिसके बाद लोगों को लगा कि पीएम चीन को लेकर देश को कुछ बताने वाले हैं. लेकिन पीएम ने अपने संबोधन में सिर्फ एक बड़ा ऐलान किया और चले गए. लेकिन संबोधन में एक शब्द पर सबका ध्यान गया.

संबोधन को लेकर लगाए गए कयास

पीएम के संबोधन से पहले हर बार की तरह इस बार भी लोगों की एक्साइटमेंट बढ़ती रही. इसके बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के ट्वीट ने इसे और बढ़ा दिया. उन्होंने पीएम के संबोधन से कुछ घंटे पहले एक ट्वीट किया और जनता से कहा कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में वो इसे देखें. इसके बाद सभी को 4 बजने का इंतजार था.

शाम 4 बजे पीएम मोदी देश के सामने आए और उन्होंने पहले कोरोना के नियमों में लापरवाही का जिक्र किया. इसके बाद पीएम ने सरकार की तरफ से गरीबों को दी जाने वाली मदद की जानकारी दी. सभी लोग टकटकी लगाकर अगले मुद्दे का इंतजार कर रहे थे, तभी पीएम ने कहा कि वो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को नवंबर तक के लिए बढ़ा रहे हैं. इसी बात के साथ पीएम ने अपने संबोधन को खत्म कर दिया.

इसके बाद ये साफ हो गया कि पीएम का ये संबोधन चीन को लेकर कतई नहीं था, बल्कि ये प्रवासी मजदूरों को दी जाने वाली सरकारी मदद को लेकर था. इस संबोधन में पीएम ने दिवाली के साथ छठ के त्योहार का भी जिक्र किया.

तो सवाल ये है कि क्या पीएम ने अपने संबोधन में छठ के त्योहार का जिक्र बिहार चुनाव को लेकर किया?

बिहार चुनाव और छठ पूजा

बिहार में इस साल अक्टूबर या फिर नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. इस बार कोरोना और लॉकडाउन के चलते लाखों लोग अपने-अपने राज्यों को लौटे हैं. बिहार में भी करीब 20 लाख से ज्यादा लोग वापस लौटे हैं. ऐसे में इस चुनाव का एक बड़ा मुद्दा प्रवासी मजदूरों को रोजगार और उनके लिए राशन आदि की व्यवस्था है. अब केंद्र सरकार की तरफ से नवंबर तक गरीबों को राशन देने वाली योजना को बढ़ाया जाना और पीएम मोदी का संबोधन के दौरान बिहारियों के सबसे बड़े त्योहार छठ का जिक्र करना भी इन्हीं वोटर्स को साधने की एक कोशिश हो सकता है.

"जो पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा वो एक सरकारी नोटिफिकेशन के जरिए भी कहा जा सकता था."
कांग्रेस
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एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड का मतलब?

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में एक और बात कही, जिसका असर सीधा प्रवासी मजदूरों पर पड़ेगा. पीएम ने कहा कि हम एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड की व्यवस्था कर रहे हैं. जल्द ये व्यवस्था लागू होगी. यानी इसका फायदा सीधे उन लोगों को मिल सकेगा जो एक शहर से दूसरे शहर या फिर गांव आए हैं. अब बिहार चुनाव को देखते हुए ये ऐलान भी बीजेपी के लिए एक अच्छा दांव साबित हो सकता है.

हालांकि ये देखना जरूरी होगा कि गरीब वोटर्स को साधने की ये कोशिश किस हद तक कामयाब हो पाती है और इस तीर का निशाना कितना सटीक लगता है. पीएम के संबोधन के बाद विपक्षी दल भी इस दांव को समझने की कोशिश में जुट गए हैं.

बता दें कि बीजेपी ने बिहार और पश्चिम बंगाल के लिए अपना चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने खुद बिहार और पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए डिजिटल रैलियां की हैं. जिसमें उन्होंने अपनी सरकार की तमाम उपलब्धियों को गिनाया और विपक्ष पर जमकर हमला बोला. हालांकि इस सबके बावजूद शाह ने दावा किया कि वो सिर्फ लॉकडाउन से परेशान लोगों से संवाद करने आए हैं, उन्होंने इसे राजनीतिक रैली कहलाने से इनकार कर दिया.

ममता का मिशन 2021

पीएम मोदी ने जहां जून महीने में ही छठ पूजा का जिक्र कर बिहार चुनाव की तरफ इशारा कर दिया है, वहीं ममता बनर्जी ने भी मौका देखते हुए कुछ ऐसा ही ऐलान किया है. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी गरीबों को मुफ्त राशन देने की बात कही है. उन्होंने ऐलान किया है कि जून 2021 तक राज्य के गरीबों को मुफ्त में राशन मिलता रहेगा.

पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में ममता बनर्जी ने लॉकडाउन के बहाने गरीबों को राशन देने की योजना को बढ़ाते हुए वोट बैंक की तरफ निशाना साधा है. योजना को ठीक चुनावों की तारीखों के आसपास तक बढ़ा दिया गया है.

अब भले ही बिहार और पश्चिम बंगाल चुनावों पर फोकस करते हुए योजनाओं का ऐलान हो रहा है, लेकिन आखिर में जनता ही ये तय करेगी कि चुनाव में जनादेश किस पार्टी को देना है. हालांकि कोरोना को लेकर दोनों ही राज्य सरकारें सवालों के घेरे में आई थीं. बिहार की नीतीश कुमार सरकार पर आरोप लगा था कि वो लॉकडाउन में अपने लोगों को वापस लाने के लिए तैयार नहीं हैं. वहीं पश्चिम बंगाल सरकार पर भी कोरोना टेस्टिंग और लॉकडाउन नियमों को लेकर आरोप लगे.

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