advertisement
हिंदी में एक कहावत है – कथनी और करनी हो एक समान तभी बनते हैं चरित्रवान. भारत के ताकतवर हिंदुत्ववादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का एक घोषित लक्ष्य है चरित्र निर्माण. बिना किसी शक के RSS अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए समर्पण से जुटा हुआ है.
आरएसएस के लोग सादा जीवन और उच्च विचार के आदर्श को जीने वाले होते हैं. बिना किसी जाति और धर्म का भेदभाव किए ही RSS के लोग किसी भी कुदरती तबाही में सामाजिक सेवा करने के लिए तत्पर रहते हैं. अगर कुछ अपवादों को छोड़ दें तो सामान्यता RSS के लोग भ्रष्ट नहीं होते. यहां तक कि उनसे वैचारिक मतभेद रखने वाले भी आरएसएस के इन गुणों की तारीफ करते हैं. इसीलिए बहुत से लोग अपने बच्चों को आरएसएस की शाखाओं में भेजते हैं. इस उम्मीद में कि उनके बच्चे चरित्रवान बनेंगे और अच्छे गुण सीखेंगे.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की घोषणाओं और देश भर में मुसलमानों के खिलाफ चरमपंथी हिंदू संगठनों और भीड़ की जो हिंसा चल रही है उसको मोहन भागवत के मौन समर्थन दिए जाने से साफ है. ये अब कोई रहस्य नहीं है. ये स्पष्ट है कि देश में मुसलमानों के खिलाफ जो हिंसा चल रही है उसे मोहन भागवत का का मौन समर्थन हासिल है.
इस वक्त सांप्रदायिक हिंसा में तेजी का एक खतरनाक ट्रेंड देश में दिख रहा है. राम नवमी (10 अप्रैल) और हनुमान जयंती (16 अप्रैल) को देश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक जुलूसों में हिंदूओं की भीड़ में तलवारें, चाकू और बंदूकें लहराई गई थी. उन्होंने मस्जिदों के सामने भड़काऊ नारे लगाए. कुछ अन्य स्थानों पर आरोप है कि उन्होंने झंडा मीनारों के ऊपर फहराया.
कई महीनों से भगवाधारी संत जो कि संत के नाम पर कलंक हैं, ने मुसलमानों को मारे जाने के लिए भड़काऊ भाषण दिए हैं. ऐसे फर्जी साधु सभी मुस्लिम समुदाय को जिहादी बताते हैं. ये मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं को हथियार उठाने के लिए कहते हैं. बजरंग दल, हिंदी युवा वाहिनी और हिंदुत्व से जुड़े संगठनों जिनका संघ से जुड़ाव कोई छिपी हुई बात नहीं है ...वो देश भर में हिंसा और नफरत मुसलमानों के खिलाफ फैला रहे हैं.
हल्ला और हंगामा मचाने वाले ये संगठन खुले तौर पर मुसलमानों के बहिष्कार की अपील करते रहते हैं. यहां तक कि कई बार हिंसक धमकियां देते हैं. अक्सर ऐसे हमलों के शिकार गरीब मुसलमान होते हैं. सदियों पुरानी हिंदू –मुस्लिम परंपरा और संस्कृति को खत्म किया जा रहा है. अब मुसलमानों को हिंदुओं के पूजा स्थल या मेले से कारोबार करने से रोका जा रहा है.
इससे भी ज्यादा हिंदुओं की भीड़ को एक नए नारे के लिए उकसाया जा रहा है- हिंदुस्तान में रहना है तो जय श्री राम कहना है. कई मुसलमानों को सार्वजनिक रूप से सिर्फ इस लिए मारा पीटा जाता है क्योंकि वो ऐसा करने से मना कर देते हैं. आखिर में अब ‘बुलडोजर’ आ गया है और ये हिंदुत्व राजनीति का सबसे पसंदीदा शब्द इस वक्त बन गया है. बीजेपी शासित राज्य जैसे मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश सरकार मुसलमानों की संपत्ति को समाप्त करने के लिए नियमों की परवाह किए बगैर बुलडोजर का सहारा ले रही है.
जब ये सब हो रहा है तो हमने अभी तक मोहन भागवत की तरफ से जो कुछ सुना है वो सिर्फ मामूली लिप सर्विस जैसा है. जिस ढीलेढाले रवैये के साथ वो सख्ती की बात करते हैं उसका असर नहीं के बराबर है. और इस तरह की नसीहत भी वो यदा कदा ही देते हैं.
हिंदुवाद और राष्ट्रीय अखंडता पर एक भाषण में जिसे उन्होंने नागपुर में फरवरी में दिया था, आरएसएस चीफ ने कहा कि , “ धर्म संसद हिंदू विचारधारा का प्रतिनिधित्व नहीं करती है, धर्म संसद में जो कुछ कहा गया और किया गया वो ना तो हिंदूवादी विचार और ना ही हिंदूवादी मन के मुताबिक है, अगर कभी कुछ गुस्से में कहा जाता है तो ये हिंदुत्व नहीं है. फिर उनके हिसाब से हिंदुत्व क्या है ?
‘सबसे एक समान प्यार भाव रखना ही हिंदुत्व है ‘
बातें तो बहुत अच्छी हैं लेकिन ऐसा लगता है कि ये सिर्फ बहरों के लिए है. अतिवादी हिंदू समूह देश में अपनी नफरत और हिंसा की बात लगातार फैला रहे हैं.
इस तरह का ध्रुवीकरण आने वाले विधानसभा चुनावों और 2024 आम चुनाव के लिए काफी महत्वपूर्ण हो गए हैं. क्योंकि मोदी सरकार से लोगों में नाराजगी है और ये नाराजगी आर्थिक मिसमैनेजमेंट को लेकर ज्यादा है.
लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में जरूरी चीजें से ध्यान भटकाने के लिए आरएसएस इस तरह के बेतुके बयान देता रहता है. इनमें कोई तार्किकता नहीं होती. उदाहरण के लिए रामनवमी जुलूस के दौरान हिंसा भड़कने के बीच मोहन भागवत ने एक भाषण दिया जो बहुत चिंताजनक और समस्या खड़ी करने वाली है.
हरिद्वार में संतों के समागम में 13 अप्रैल को मोहन भागवत ने कहा कि संघ परिवार के अखंड भारत (इंडिया, पाकिस्तान और बांग्लादेश) के सपने को अगले 10 से 12 साल में पूरा किया जा सकता है. कैसे ये लक्ष्य हासिल किया जाएगा? इसके बारे में भी उन्होंने विस्तार से समझाया :
‘हम’ को लेकर जो बताया गया है उसके पीछे के भाव को समझने को कोशिश करें तो यो सिर्फ खुद में विरोधभासी ही नहीं है बल्कि ये चिंताजनक है. वो कहते हैं - “हम लोग अहिंसा की बात करेंगे लेकिन लाठी लेकर चलेंगे और वो लाठी थोड़ी दमदार होगी.”
आखिर इसमें ‘हम’ कौन है जिसके बारे में वो कह रहे हैं...वो खुद आगे इसे ‘जनता’ बता रहे हैं. ..पर ये वो जनता है जो संघ से प्रेरित है. आज बिना डरे आगे बढ़ रही है . ना सिर्फ लाठी के साथ बल्कि तलवार और बंदूकें भी लेकर. भागवत कहते हैं - हमारे पास ताकत होनी चाहिए और ये दिखनी चाहिए . आज कल संघ के समर्थक यही कर रहे हैं. वो अपने हथियारों का शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं. भड़काऊ भाषण जिनको वो सुनाना चाहते हैं और सुनाकर डराना चाहते हैं, इसे वो आराम से और जोर शोर से कर रहे हैं.
क्या आरएसएस ये उम्मीद करता है कि पाकिस्तानी, बांग्लादेशी और दक्षिण एशिया के अन्य लोग डरकर 'अखंड भारत' में शामिल होने के लिए सहमत हो जाएंगे. क्योंकि आरएसएस के पास दमदार लाठी है और जो जोर जबरदस्ती की बोली जानता है ? इस तरह की अपेक्षा रखना स्वाभाविक रूप से हास्यास्पद है.
अगर भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश दूसरे दक्षिण एशियाई देश किसी संघ की तरह एक मिलकर काम करना चाहते हैं तो वो प्रशंसनीय है लेकिन अखंड भारत नहीं. इस तरह का सेट अप किसी आदर्श पर आधारित होना चाहिए. इसमें बराबरी, शांति, सबका सहयोग और सबकी समृद्धि का सपना होना चाहिए और किसी से कोई भेदभाव नहीं होनी चाहिए.
भारत के मुस्लिम और दूसरे अल्पसंख्यक धर्मों के लोग और हिंदुओं की बहुत बड़ी आबादी खुद भी ऐसे विभाजन बढ़ाने वाले किसी हिंदू राष्ट्र की अवधारणा को खारिज कर देगी. वो कभी संविधान में इस तरह के बदलाव किए जाने की कभी इजाजत नहीं देंगे.
यह कभी नहीं बदलने वाली वास्तविकता है. अगर भागवत का मानना है कि अगले 10-15 वर्षों में सभी दक्षिण एशियाई राष्ट्रों को मिलाकर एक बड़ा 'हिंदू अखंड भारत' दुनिया के नक्शे पर पैदा होने वाला है, तो वो और उनके अनुयायी ऐसी वायवीय कल्पना कर सकते हैं ..लेकिन इस चक्कर में भारत के अमूल्य धरोहरों को कट्टरता, हिंसा और विनाश से बचाया जा सकता है जो उस अखंड भारत के सपने को पूरा करने के चक्कर में देश में बढ़ सकता है.
(लेखक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी सहयोगी थे. उनका ट्विटर हैंडल @SudheenKulkarni है और उन्हें sudheenkulkarni.gmail.com पर मेल किया जा सकता है. आर्टिकल में लिखे गए विचार उनके निजी विचार हैं और क्विंट का इससे सहमत होना जरूरी नहीं है.)
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)