advertisement
शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) 2 नवंबर को अपना 58वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस साल उन्होंने बॉलीवुड को बैक-टू-बैक, दो शानदार कामयाब फिल्में- ‘पठान (Pathaan)’ और ‘जवान (Jawan)’ दी हैं.
बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस के अजीब चरित्र के चलते, उनकी सबसे अच्छी फिल्में उस तरह की जादुई कमाई नहीं कर पाईं, जैसी इन दो पूरी तरह पलायनवादी फिल्मों ने की, जिससे बॉलीवुड के अंदर और बाहर के सभी लोग खुश हैं. ये फिल्में बॉलीवुड के लिए प्रतीकात्मक रूप से दक्षिण की मसाला फिल्मों के चंगुल से खुद को आजाद करने या दूसरी तरह से देखें तो उनके साथ जुड़ाव का उदाहरण बन गईं हैं. जवान ने यह कर दिखाया है!
लेकिन इन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाई नहीं की और तब से अब तक स्टार एक्टर ने इस तरह की किसी और फिल्म का काम नहीं लिया.
इस फिल्म क्रिटिक के लिए, भारत में उनसे मिल पाने के मुकाबले ऑस्ट्रेलिया से कोलकाता की दो उड़ानों के बीच सिंगापुर के चांगी एयरपोर्ट पर मुलाकात ज्यादा आसान थी. इस मुलाकात में बॉलीवुड के निर्विवाद बादशाह, शाहरुख खान ने अपनी पर्सनालिटी का एक ऐसा पहलू पेश किया जो फिल्मी दुनिया की चकाचौंध में आसानी से नहीं दिखता है.
कामयाबी का शिखर छूने वाले जमीन से जुड़े स्टार, प्रोड्यूसर, टीवी एंकर और दिवंगत कारोबारी मीर ताज मोहम्मद खान और लतीफ फातिमा के बेटे की जिंदगी में सबसे बड़ा अफसोस यह है कि उनके मां-बाप उनकी कामयाबी को देखने के लिए अब इस दुनिया में नहीं हैं.
टाइम मैगजीन ने उन्हें दुनिया का सबसे ज्यादा जाना-माना एक्टर (most recognisable actor) कहा है. द गार्जियन अखबार ने उन्हें इस आधार पर दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म स्टार (world’s biggest film star) बताया है कि हॉलीवुड के 2.5 अरब दर्शकों की तुलना में बॉलीवुड के दुनिया में 3.6 अरब दर्शक हैं. नेशनल ज्योग्राफिक ने 2005 में उन्हें अपने लेख ‘इनसाइड बॉलीवुड’ के लिए अपने कवर पेज पर रखा. मार्च 2007 से उनका मोम का पुतला लंदन के मैडम तुसाद वैक्स म्यूजियम में अमिताभ बच्चन और ऐश्वर्या राय के साथ खड़ा है.
उनका जन्म 2 नवंबर 1965 को हुआ था और उनकी परवरिश नई दिल्ली में हुई. हालांकि उनकी जड़ें पेशावर में हैं, जो अब पाकिस्तान में है. उन्होंने सेंट कोलंबा स्कूल (St Columba’s school) से पढ़ाई की, जहां उन्हें शिक्षा, खेल और ड्रामा में उनकी ऑल-राउंड उपलब्धियों के लिए सम्मानित स्वोर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया.
दिल्ली के हंसराज कॉलेज से इकोनॉमिक्स ऑनर्स में ग्रेजुएट करने के बाद, शाहरुख खान ने बैरी जॉन के थिएटर ग्रुप TAG में काम किया और मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स डिग्री के लिए जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. हालांकि वह कोर्स पूरा नहीं कर सके.
इस बीच उन्हें 1988 में पहली बार टीवी सीरियल दिल दरिया (Dil Darya) से पहचान मिली. उन्हें खासकर फौजी (Fauji ) में नोटिस किया गया, जिसमें उन्होंने कमांडो अभिमन्यु राय का रोल किया. इसके बाद फिल्म 'इन व्हिच एनी गिव्स इट दोज वन्स' (In Which Annie Gives It Those Ones) में एक छोटी सी भूमिका निभाई. मां-बाप दोनों का निधन हो जाने जाने के बाद शाहरुख ने मुंबई शिफ्ट हो जाने का फैसला किया.
“बाकी दो जिन्हें पढ़कर सचमुच मजा आ गया, वे हैं मार्क हेडन (Mark Haddon) की मर्डर मिस्ट्री, द क्यूरियस इंसिडेंट ऑफ द डॉग इन द नाइट-टाइम (Curious Incident of the Dog in the Night-Time), और यान मार्टेल (Yann Martel) की फैंटेसी एडवेंचर लाइफ ऑफ पाई (Life of Pi). फिलहाल, मेरी पढ़ने की प्राथमिकता उन लोगों की बायोपिक्स पर ज्यादा है जिन्होंने दिलचस्प जीवन जिया है.’’
वह हालांकि कुबूल करते हैं कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को व्यवस्था, टेक्नोलॉजी और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के मामले में हॉलीवुड से बहुत कुछ सीखना है, लेकिन उनका कहना है कि कहानियां हमारे यहां, बॉलीवुड में हैं. हमारी फैंटेसी हासिल की जा सकने वाली हैं. हमारी फैंटेसी छोटी हैं. वे एक घर, शायद एक छोटी कार रखने के बारे में हैं. हॉलीवुड के उलट हम एलियंस को लेकर परेशान नहीं हैं,’’ जाहिर तौर पर शाह रुख डीप इम्पैक्ट (Deep Impact) और इंडिपेंडेंस डे (Independence Day) जैसी हॉलीवुड ब्लॉकबस्टर फिल्मों का जिक्र कर रहे हैं.
और उन्हें यह बात कहने का पूरा हक है क्योंकि उनकी ज्यादातर फैंटेसी देश और दुनिया के बाजार में बहुत अच्छी तरह से बिकती हैं.
उनका चेहरा ऐसा आइकन का है जो दुनिया के सबसे बड़े फिल्म उद्योगों में से एक की नुमाइंदगी करता है. लेकिन उन्होंने बुनियादी स्तर से शुरुआत की, दिल्ली में थोड़ा थिएटर किया और उसके बाद 1988 में फौजी और 1989 में सर्कस जैसे टीवी सीरियलों में उनकी खास उल्लेखनीय भूमिकाएं नहीं थीं.
कम ही लोगों को याद होगा कि 30 साल पहले 1991 में शादी करने से पहले उन्हें अपनी पत्नी गौरी की हां के लिए आठ साल तक इंतजार करना पड़ा. “गौरी मुझे कई सालों से जानती है और वह मुझे बहुत अच्छे से समझती है. मैं उसे अपनी जिंदगी की ताकत इसलिए कहता हूं क्योंकि हमने जिंदगी को एक-दूसरे से अलग नहीं जाना है. जिस चीज ने हमारे रिश्ते को कायम रखा है वह एक-दूसरे पर हमारा जबरदस्त भरोसा है. मैंने कभी उसके पर्स के अंदर नहीं झांका. यहां तक कि उसकी अलमारी में भी नहीं झांका,’' यह कहना है शाह रुख का, जिनके पास तकरीबन 100 फिल्मों में काम करने का तजुर्बा है, और जिनमें से कई उनकी खुद की बनाई हैं.
उनका बड़ा बेटा आर्यन (Aryan) 25 साल का हो चुका है, बेटी सुहाना (Suhana) 23 साल की है. उनका छोटा बेटा अबराम (Abram), जो एक सरोगेट मां से पैदा हुआ है.
वह जो चीजें स्क्रीन पर कभी नहीं करेंगे, उनमें घोड़े की सवारी करना और लड़की को किस करना शामिल है.
उनकी यह टिप्पणी अचंभे में डाल देने वाली है, “औरतों के मामले मैं से बहुत ज्यादा शर्मीला हूं और शायद इसीलिए जब हम स्क्रीन पर दिखावटी किरदार निभा रहे होते हैं तो मैं उनके साथ इतने अच्छे से रोमांस करता हूं. मुझे भारतीय सिनेमा की कुछ सबसे खूबसूरत और टैलेंटेड महिलाओं के साथ काम करने का मौका मिला और मेरी कामयाबी का कम से कम आधा श्रेय उन्हें जाता है. उन्होंने मुझे अच्छा दिखना सिखाकर मेरी पर्सनालिटी को निखारा और गानों पर डांस में मेरा साथ दिया. मैं जो कुछ भी हूं उनकी मदद की वजह से बना हूं,” बादशाह विनम्रता के साथ यह बात कहते हैं, जो उस पब्लिक इमेज को झुठलाती है जो सालों से उनकी प्रचार मशीनरी ने करीने से उनके लिए गढ़ी है.
यह एक ऐसा ‘राजा’ है जो इतनी सहजता के साथ टीवी शो को होस्ट करता है कि यह आपको सम्मोहित कर लेता है और साथ ही आपको अचंभित भी कर देता है. यह वही आदमी है जो फिल्मों में अपना करियर शुरू करते समय अपने घने काले बालों को घर में बने गोंद और पानी मिलाकर ठीक किया करता था.
यह एक ‘राजा’ है जो अपने तीन बच्चों से प्यार करता है, जो सोचते हैं कि “मैं दुनिया का सबसे अच्छा बाप हूं क्योंकि उनके पास ज्यादा ऑप्शन नहीं हैं.” शाह रुख इस बात पर जोर देते हैं कि वह कभी भी रेड लाइट जंप नहीं करते हैं और कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं. लेकिन इतना कहने के बाद वह सिंगापुर में नो- स्मोकिंग के नए कानून का पालन करने में खुद को नाकाम पाते हुए अपनी सिगरेट सुलगा लेते हैं.
(शोमा ए चटर्जी एक भारतीय फिल्म स्कॉलर, राइटर और फ्रीलांस जर्नलिस्ट हैं. यह लेखक के निजी विचार हैं. द क्विंट न तो इसका समर्थन करता है न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined