मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019IT विभाग किन हालात में रेड कर सकता है,छापों के बाद क्या होता है? 

IT विभाग किन हालात में रेड कर सकता है,छापों के बाद क्या होता है? 

कई मामलों में, एक बड़ी हस्ती पर किसी छापे के बाद, इसके खिलाफ कड़ा विरोध होता है.

अजय मनकोटिया
नजरिया
Updated:
i
null
null

advertisement

इन दिनों मीडिया में, फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप और अभिनेत्री तापसी पन्नू, अब खत्म कर दी गई फैंटम फिल्म्स सहित दो बड़ी फिल्म प्रोडक्शन कंपनियों और KWAN सहित दो टैलेंट मैनेजमेंट कंपनियों पर मुंबई, पुणे, दिल्ली और हैदराबाद में इनकम टैक्स विभाग के छापों की खबरें भरी हुई हैं. कुल 28 जगहों पर छापे मारे गए हैं. 2011 में बनाई गई फैंटम फिल्म्स ने ‘लुटेरा’, ‘क्वीन’, ‘अग्ली’, ‘एनएच 10’, ‘मसान’ और ‘उड़ता पंजाब’ जैसी फिल्में प्रोड्यूस की हैं.

विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि असहमति को दबाने के लिए उठाया गया ये कदम ‘राजनीति से प्रेरित’ है. कश्यप सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं और नागरिकता संशोधन ऐक्ट (सीएए) का विरोध करते रहे हैं.

केंद्र सरकार ने आरोपों को गलत बताया है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि “ये बेकार की बात है. जांच एजेंसियां विश्वसनीय सूचना के आधार पर जांच की कार्रवाई करती हैं और बाद में मामला कोर्ट में भी जाता है.” यहां तक कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बयान दिया. “सबसे पहली बात तो ये कि मैं किसी खास व्यक्ति पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही हूं. (लेकिन) चूंकि नाम लिए गए थे, (मैं कहना चाहती हूं कि) इन्हीं लोगों पर 2013 में भी छापे पड़े थे.” उन्होंने आगे कहा कि “(2013 में) ये मुद्दा नहीं था लेकिन अब है.”

एक टैक्स छापे का उद्देश्य

कई मामलों में, एक बड़ी हस्ती पर किसी छापे के बाद, इसके खिलाफ कड़ा विरोध होता है. ये छापों की एक सामान्य बात है. दो दशक पहले मुंबई में जब हमने फिल्मी सितारों और फैशन डिजाइनर्स पर छापे मारे थे, तब फिल्म और फैशन डिजाइनिंग के लोगों ने इसका कड़ा विरोध किया था. 80 के दशक के मध्य में जब हमने एक विपक्ष के नेता पर छापे मारे, तो उन्होंने उनका करियर खत्म करने के लिए केंद्र सरकार पर साजिश का आरोप लगाया. लगभग सभी राजनीतिक दल ऐसा ही करते हैं.

आय कर विभाग ने, एक बयान में, कहा कि प्रमुख फिल्म प्रोडक्शन हाउस के द्वारा वास्तविक बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की तुलना में आय को ‘बड़ी मात्रा में छुपाने’ के ‘सबूत’ मिले हैं.

कंपनी के अधिकारी करीब 300 करोड़ का कोई हिसाब नहीं दे सके हैं. फिल्म के निर्देशकों और शेयरहोल्डर्स के बीच प्रोडक्शन हाउस के शेयर ट्रांजैक्शन के अंडर वैल्यूएशन और ‘हेराफेरी’, जो करीब 350 करोड़ की है- से जुड़े सबूत मिले हैं जिसकी आगे जांच की जा रही है.

इसके अलावा तापसी पन्नू के 5 करोड़ कैश लेने के ‘सबूत’ बरामद किए गए हैं. जिन कंपनियों पर छापे मारे गए हैं उनके कुछ इंटर लिंक ट्रांजैक्शन आयकर विभाग की जांच के दायरे में थे. छापों का उद्देश्य उनके खिलाफ कर चोरी के आरोपों की जांच के लिए और अधिक सबूत जुटाना था.

ये शुरुआती दिन हैं, और पूरी जानकारी बाहर आने में अभी और वक्त लगेगा.

निजता पर सबसे बड़ा आक्रमण

इस स्तर पर, बिना किसी का पक्ष लिए, छापों को लेकर आयकर विभाग के प्रावधानों को समझना उपयोगी होगा. संयोग से आय कर के प्रावधानों में शब्द ‘छापे’ का इस्तेमाल आम बोलचाल की भाषा में आधिकारिक शब्द ‘तलाशी और जब्ती’ के लिए किया जाता है.

कुछ ही ऐसी चीजें हैं जो टैक्सपेयर्स के घर पर टैक्स अधिकारियों के आने से ज्यादा परेशान करने वाली हैं.

सुबह-सुबह की दस्तक, जब न्यूजपेपर देने वाला भी न पहुंचा हो, जब घर के लोग तुरंत सो कर उठे हों, जब चाय बन रही हो, एक झकझोर देने वाली घटना है. अजनबियों के आपके निजी सामानों की जांच करना, छुपे हुए कीमती सामान या डुप्लीकेट खाता-बही की तलाश में फर्नीचर को इधर-उधर करना, आपकी निजी डायरी को पढ़ना, आपके फोन मैसेज को पढ़ना, एक जीवन को बदलने वाला अनुभव है.

चूंकि छापा निजता पर सबसे बड़ा हमला है, इसलिए टैक्स विभाग की ओर से लिया जाने वाला अंतिम कदम होता है. छापे कभी-कभी या बहुत कम ही मारे जाते हैं. लाखों टैक्सपेयर्स में कुछ ही लोग सुबह-सुबह न चाहते हुए भी आय कर टीम के मेजबान बनते हैं. लेकिन आय को छुपाने के खिलाफ छापे एक जरूरी बुराई भी हैं.

ये अलोकप्रिय और ऐसा काम है जिसके लिए कोई धन्यवाद नहीं कहता. छापे खास जानकारी के आधार पर मारे जाते हैं जिनके मुताबिक आय कर विभाग के पास ये मानने के कारण होते हैं कि टैक्सपेयर के पास अघोषित आय है जिसका खुलासा वो टैक्स विभाग के सामने करने को तैयार नहीं है.

किस आधार पर मारे जाते हैं छापे

खाता-बही, बिल और रसीद में हेर फेर, बिना ब्यौरे का कैश क्रेडिट, शेयर ट्रांजैक्शन में हेर फेर, बड़े-बड़े खर्च जिनका कोई हिसाब नहीं और इसी तरह की दूसरी चीजों के जरिए टैक्स चोरी की सूचना का स्रोत आम तौर पर आय कर विभाग की अपनी खुफिया जानकारी ही होती है.

बैंकों, मार्केट फंड्स, संपत्ति के रजिस्ट्रेशन, फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट, सीरियस फ्रॉड इनवेस्टिगेशन यूनिट और दूसरी एजेंसियों से भी जानकारियां मिलती हैं. ये जानकारी विश्वसनीय हैं या नहीं, इसका पता बाद में ही चलता है. नोटबंदी के दौरान मारे गए छापों के वक्त ये सूचनाएं विश्वनीय पाई गई थीं.

सूचना मिलने के बाद जांच अधिकारी टैक्स रिटर्न्स और सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध जानकारी से इसे परखते हैं और इन सूचनाओं की खुद से जांच करते हैं. वो आवासीय और दफ्तर दोनों ठिकानों की खुद से टोह भी लेते हैं.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

जांच अधिकारी एक ‘संतुष्टि नोट’ लिखते हैं, जिसमें ये कहा जाता है कि दी गई सूचना के आधार पर और उनकी अपनी जांच के आधार पर उनके पास ये मानने के कारण हैं कि टैक्सपेयर के पास बेहिसाब आय है और वो अपने सीनियर्स से इसे मंजूरी दिलाता है.

इसलिए, छापे पक्की सूचनाओं पर आधारित होते हैं, जांचे जाने के बाद जिन पर कार्रवाई की गई होती है. जांच अधिकारी का संतुष्ट होना जरूरी है कि वहां टैक्स की चोरी हुई है और ऊपरी स्तर तक इस पर मंजूरी लेना जरूरी होता है. नियंत्रण और संतुलन भी किए जाते हैं. आय कर विभाग बिना किसी आधार पर किसी व्यक्ति के घर छापा नहीं मार सकता.

टैक्स छापों के बाद क्या होता है?

‘संतुष्टि नोट’ एक अहम दस्तावेज होता है- इसमें सूचना, स्रोत, जांच अधिकारी की ओर से की गई जांच की जानकारी, बेहिसाब आय की मौजूदगी होने के बारे में उनकी राय तक पहुंचने के कारण शामिल होते हैं. यही वो आधार है जिस पर छापे शुरू करने और आगे का मूल्यांकन आदेश टिका होता है. आदेश पत्र में लिखे गए संतुष्ट होने के कारणों की हाईकोर्ट जांच कर सकता है और किसी तरह की कमी होने पर छापों को खत्म भी कर सकता है. इसलिए कानून और कार्य प्रणाली में दर्ज प्रक्रियाओं को गंभीरता से लिया जाता है.

हालांकि, खाना कैसा बना है ये चखने से ही पता चल सकता है. क्या टैक्स चोरी हुई या नहीं ये देखने के लिए हमें इंतजार करना होगा, और अगर चोरी हुई है, तो ये रकम कितनी थी.

टैक्स चोरी कितने की थी ये तय करने की प्रक्रिया छापे खत्म होने और सभी खाता-बही, दस्तावेज, बयान, कीमती सामान, कैश और दूसरे सबूतों की जांच के बाद शुरू होती है. पहला चरण जिसमें कुछ स्पष्टता दिखेगी वो तब जब जांच अधिकारी ‘एप्रेसल रिपोर्ट’ (मूल्यांकन रिपोर्ट) लिखता है -एक प्राथमिक रिपोर्ट जिसमें जब्त महत्वपूर्ण दस्तावेज को सूचीबद्ध किया जाता है, किस दिशा में जांच आगे बढ़े उसकी सलाह दी जाती है और कितने की टैक्स चोरी हो सकती है उसका एक अनुमान लगाया जाता है. इसके बाद मूल्यांकन इकाई आगे का काम संभालती है, गहराई से जांच की जाती है और एक मूल्यांकन आदेश जारी करती है.

इसके बाद एक अपील की प्रक्रिया होती है जो कमिश्नर ऑफ अपील्स से शुरू होती है, इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल से लेकर हाई कोर्ट और उसके आगे तक जाती है.

छापों के बाद मदद की तलाश

दूसरी तरफ पार्टियां बेहिसाब आय स्वीकार कर सकती हैं या ‘आत्मसमर्पण’ कर सकती हैं. यहां आय कर विभाग को बहुत सावधानी से काम करने की जरूरत होती है. आम तौर पर इस तरह के ‘आत्मसमर्पण’ किसी बेहिसाब आय को नहीं दिखाते लेकिन उत्पीड़न से बचने और ‘शांति की चाहत’ में दिए जाते हैं. दस्तावेजी सबूतों और कार्य प्रणाली की जानकारी के बिना ये बेकार की कोशिश है. पार्टियां बाद में ये दावा कर सकती हैं कि उनसे जबर्दस्ती कर चोरी को स्वीकार कराया गया.

इस बीच ये खबर भी आई है कि पन्नू के बॉयफ्रेंड मथाईस बोए ने ये मामला खेल मंत्री किरेण रिजीजू के सामने उठाया और उनसे इस मामले पर ध्यान देने की अपील की. खेल मंत्री ने ये कहते हुए जवाब दिया कि “देश का कानून सबसे ऊपर है” और उन्हें कानून का पालन करना चाहिए.

छापों के दौरान, और बाद में मदद मांगना बहुत ही सामान्य बात है. जबकि एक बार शुरू हो जाने के बाद छापे कमान से निकले तीर के समान हैं, जिसे कोई रोक नहीं सकता. जिन पर छापे मारे गए हैं वो नेताओं, अफसरों, उद्योगपतियों, टैक्स विभाग के जान-पहचान के लोगों- कोई भी व्यक्ति जिसे वो मदद के लिए प्रभावशाली मानते हैं- से मदद लेने की पूरी कोशिश करते हैं. जिनसे मदद मांगी जाती है उनमें से कुछ लोग फोन उठाते हैं प्रभाव दिखाने की कोशिश करते हैं, छापे पर नहीं, लेकिन छापे के बाद की जांच पर लेकिन शायद ही कभी उन्हें इसमें सफलता मिलती है.

आगे का रास्ता

अंत में अगर अनुराग कश्यप और पन्नू ने कुछ नहीं किया है, उनके सभी लेन-देन साफ-साफ हैं तो उन्हें डरने की जरूरत नहीं है. बेशक, जिस प्रक्रिया से उन्हें गुजरना होगा वो टैक्सपेयर्स के लिए अपने-आप में एक सजा से कम नहीं है. उन्हें इसे झेलना और सहन करना होगा.

दूसरी ओर, अगर, वो कर चोरी में शामिल हैं तो इसे स्वीकार करने, टैक्स और जुर्माना चुकाने और जीवन में आगे बढ़ने का यही सबसे अच्छा समय है. कश्यप और पन्नू दोनों बहुत ही अच्छी फिल्मी हस्तियां हैं और हम सब चाहते हैं कि वो स्टूडियो लौट जाएं और वही करें जो वो सबसे अच्छी तरह से कर सकते हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 09 Mar 2021,08:12 AM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT