मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019यूपी चुनाव: क्या CM योगी को उनके गढ़ में चुनौती देकर चंद्रशेखर आजाद ने गलती की?

यूपी चुनाव: क्या CM योगी को उनके गढ़ में चुनौती देकर चंद्रशेखर आजाद ने गलती की?

चंद्रशेखर आजाद को कांशीराम की राजनीति के ब्रांड के असली उत्तराधिकारी के रूप में खुद को स्थापित करना चाहिए था.

अमिताभ तिवारी
नजरिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>यूपी चुनाव: क्या CM योगी को उनके गढ़ में चुनौती देकर चंद्रशेखर आजाद ने गलती की?</p></div>
i

यूपी चुनाव: क्या CM योगी को उनके गढ़ में चुनौती देकर चंद्रशेखर आजाद ने गलती की?

(फोटो- अलटर्ड बाई क्विंट)

advertisement

(भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और बीजेपी उम्मीदवार योगी आदित्यनाथ को उनके गढ़ में चुनौती देने के फैसले ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है. क्विंट आजाद के इस फैसले के निहितार्थ और उसके असर पर चर्चा कर रहा है. यह विकास कुमार के आर्टिकल के जवाब में काउंटरव्यू है. आप विकास कुमार के पक्ष को यहां पढ़ सकते हैं.)

भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) ने घोषणा की है कि वह गोरखपुर (सदर) से सूबे के मुख्यमंत्री और बीजेपी उम्मीदवार योगी आदित्यनाथ के खिलाफ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. उनकी पार्टी- आजाद समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 33 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के अपने फैसले की घोषणा की है.

आजाद समाज पार्टी के प्रेस रिलीज के अनुसार आजाद बाबा साहब अंबेडकर के 'बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय' के आदर्श वाक्य को आगे बढ़ाने के लिए चुनाव लड़ेंगे. समाजवादी पार्टी ने अभी तक इस सीट से उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. चंद्रशेखर आजाद को उम्मीद है कि अन्य धर्मनिरपेक्ष दल इस मुकाबले में उनका समर्थन करेंगे.

समाजवादी पार्टी के साथ एक असफल गठबंधन

भीम आर्मी मई 2017 में सहारनपुर में दलितों और उच्च जाति के ठाकुरों के बीच संघर्ष के दौरान चर्चा में आयी, जिसके बाद आजाद को रासुका (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया था. चंद्रशेखर आजाद 16 महीने जेल में रहने के बाद सितंबर 2018 में रिहा हुए, इसलिए उनकी बीजेपी और योगी से कड़वाहट व्यक्तिगत है, जो समझ में भी आती है.

उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने की कोशिश की, जो विफल रही. उन्होंने कहा कि 'सभी चर्चाओं के बाद अंत में मुझे लगा कि अखिलेश यादव इस गठबंधन में दलितों को नहीं चाहते, उन्हें सिर्फ दलित वोट बैंक चाहिए. उन्होंने बहुजन समाज के लोगों को अपमानित किया, मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन गठबंधन नहीं हो सका”.

लोकसभा चुनाव के दौरान भी, उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की बात कही थी, लेकिन बाद में पीछे हट गए. आजाद बीजेपी और उसके वैचारिक जनक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के आलोचक रहे हैं. उन्होंने फरवरी 2020 में आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया और उसे सीधे चुनाव लड़ने की चुनौती भी दी.

उनकी पार्टी की पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुछ पकड़ है, लेकिन सूबे के पूर्वी हिस्से में सीमित प्रभाव है, और इसलिए सीएम योगी को उन्हीं के गढ़ में चुनौती देने का उनका निर्णय आश्चर्य दे डालता है.

'रावण', जैसा कि उन्हें प्यार से कहा जाता है, ने उन अम्बेडकरवादी पार्टियों से मोहभंग करने वाले दलित नौजवानों के बीच कुछ लोकप्रियता हासिल की है, जो उनके उत्थान और कारण के लिए काम करने में विफल रहे हैं.

योगी के खिलाफ लड़ने का निर्णय से उन्हें लाइमलाइट और मीडिया कवरेज मिलेगा. जो लोग उन्हें उत्तर प्रदेश के बाहर नहीं जानते हैं, उन्हें उनके बारे में पता चल जाएगा, और अगले दो महीनों के लिए उन पर काफी चर्चा होगी.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

BSP का कमजोर होना एक अवसर था

हालांकि, मेरी राय में, चंद्रशेखर आजाद वही गलती दोहरा रहे हैं जो 2014 में अरविंद केजरीवाल ने की थी. केजरीवाल और इंडिया अगेंस्ट करप्शन का पूरा अभियान कांग्रेस या UPA2 के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ था. हालांकि, जब आम चुनाव लड़ने की बात आई, तो केजरीवाल ने वाराणसी से नरेंद्र मोदी को चुनौती देने का फैसला किया.

यह गलत प्राथमिकताओं का स्पष्ट संकेत था. अगर अरविंद केजरीवाल ने अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा होता तो आज आम आदमी पार्टी की राह कुछ और होती. AAP को अब इस बात का अहसास है और अब वह उन राज्यों में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही है जहां कांग्रेस और बीजेपी का सीधा मुकाबला है.

यदि चंद्रशेखर आजाद दलित अधिकारों के चैंपियन के रूप में उभरना चाहते हैं, तो उनके पास 2022 में एक शानदार अवसर था. बहुजन समाज पार्टी के कमजोर होने ने उन्हें दलितों के वास्तविक प्रतिनिधि के रूप में उभरने का अवसर प्रदान किया.

उन्हें BSP सुप्रीमो मायावती पर अपने हमलों को फिर से शुरू करने और उन्हें बीजेपी की बी-टीम के रूप में ब्रांड करने की आवश्यकता थी- एक आरोप जो मायावती ने चंद्रशेखर के खिलाफ लगाया था जब उन्होंने लोगों और मीडिया का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करना शुरू कर दिया था.

आम चुनाव के बाद मायावती द्वारा SP के साथ गठबंधन को समाप्त करने के बाद, चंद्रशेखर ने मायावती पर बहुजन आंदोलन को कमजोर करने का आरोप लगाया था. उन्होंने भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने और भाई आनंद कुमार, भतीजे आकाश आनंद को पार्टी के शीर्ष पदों पर नियुक्त करने के लिए भी बहनजी की आलोचना की थी.

आजाद को दलितों के बीच अपना आधार बनाना चाहिए

यूपी की आबादी में दलितों की आबादी 21% हैं. पिछले कुछ चुनावों से इसके एक वर्ग, विशेष रूप से गैर-जाटव बीजेपी की तरफ जाना शुरू कर दिया है. मायावती अपने मूल जाटव वोट बैंक पर पकड़ बनाने में सफल रही हैं. BSP के द्वारा अस्तित्व के संकट का सामना करने के साथ, बीजेपी और एसपी दोनों ने इस वोट बैंक को भुनाने के प्रयास तेज कर दिए हैं.

चंद्रशेखर आजाद को दलितों के बीच आधार बनाना चाहिए और राज्य में BSP को रिप्लेस करने प्रयास करना चाहिए. वो युवा हैं और उसके हिस्से में लंबी उम्र है. उन्हें बिजनौर या इटावा की आरक्षित विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहिए था, जहां से मायावती और कांशीराम सांसद चुने गए थे.

चंद्रशेखर आजाद को कांशीराम की राजनीति के ब्रांड के असली उत्तराधिकारी के रूप में खुद को स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए था. रणनीतिक रूप से, एक डेब्यू करने वाले खिलाड़ी को टॉप के खिलाड़ी को चुनौती देने से पहले प्रतियोगिता को समझने की कोशिश करनी चाहिए. यह एक क्रमिक और चरण-दर-चरण प्रक्रिया है. यदि कोई कूदकर और नंबर एक स्लॉट पर कब्जा करने की कोशिश करता है, तो वे सामान्य रूप से गिर जाते हैं. व्यक्तिगत कड़वाहट किसी बड़े उद्देश्य पर हावी नहीं होना चाहिए. आजाद को मेरी शुभकामनाएं.

(लेखक एक स्वतंत्र राजनीतिक टिप्पणीकार हैं और उनका ट्विटर हैंडल @politicalbaaba है. यह एक ओपिनियन पीेस है. ऊपर व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT