advertisement
अरुण जेटली ने अपने पांचवे बजट में मिडिल क्लास के कई उम्मीदों पर पानी फेर दिया. पिछले कुछ दिनों से लगातार ये चर्चा चल रही थी कि ये मोदी सरकार का 2019 के चुनाव के पहले का आखिरी बजट है और इस बजट में सरकार सबको खुश करने की कोशिश करेगी. लेकिन ज्यादा फोकस किसानों और मिडिल क्लास पर रहेगा.
तमाम जानकार ये कह रहे थे कि मिडिल क्लास को खुश करने के लिए सरकार टैक्स स्लैब में फेरबदल करेगी. इनकम टैक्स में छूट की न्यूनतम सीमा तीन लाख या पांच लाख रुपये करने से लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं. जानकारों के बार-बार कहने पर मिडिल क्लास को भी भरोसा हो चला था कि कुछ न कुछ अच्छी खबर तो जरूर मिलेगी. लेकिन वित्तमंत्री ने इनकम टैक्स की दरों में कोई बदलाव न करके इस भरोसे पर पानी फेर दिया.
बुजुर्ग लोगों के लिए कुछ कदम जरूर उठाए गए हैं, जैसे हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम की सीमा 30,000 रुपये से बढ़ा कर 50,000 रुपये, बैंक एफडी और पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट आदि पर मिलने वाले ब्याज पर छूट की सीमा 10,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई है. लेकिन दूसरी तरफ इनकम टैक्स देने वालों के लिए सरकार ने एजुकेशन और हेल्थ सेस 3 परसेंट से बढ़ाकर 4 परसेंट कर दिया है.
शहरी मिडिल क्लास ने पिछले कुछ समय में निवेश और कमाई के लिए म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार का रास्ता पकड़ना शुरू किया था. वित्तमंत्री ने उस रास्ते पर भी आज एक स्पीड ब्रेकर लगा दिया.
हालांकि ये टैक्स म्यूचुअल फंड कंपनी देगी, लेकिन कमाई आपकी कम होगी. मान लीजिए कि पहले आपको 100 रुपये डिविडेंड मिलता था, अब वो 90 रुपये हो जाएगा.
तो कुल मिलाकर इस बजट में ऐसा कुछ नहीं है, जिससे आपकी जिंदगी में कोई बड़ा बदलाव आ जाए. हां, अगर आप शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में पैसे लगाते हैं, तो आपकी कमाई थोड़ी कम जरूर हो जाएगी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 01 Feb 2018,10:53 PM IST