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ऊंचे कद के गठीले शरीर पर तराशी मुकम्मल मांसल की कारीगरी...तूफान के आने से पहले वाली खामोशी से भरे नक्श वाला मर्दाना चेहरा...भारी गले की खनकार भरी गंभीर आवाज...और भारी-भरकम हथियारों से लैस दुश्मनों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाता हुआ एक 'लार्जर देन लाइफ' जांबाज योद्धा- जिसके स्क्रीन पर आते ही दर्शकों के दिलो-दिमाग में जोश और रोमांच की लहरें हिलोरें मारने लगती हैं. जुबां पर आरनॉल्ड श्वार्जनेगर का नाम आते ही जेहन में यही तस्वीर उभरती है. ये एक अदना सा परिचय है हॉलीवुड के इस बेमिसाल एक्शन स्टार का. 72 साल की उम्र में आरनॉल्ड एक बार फिर हाजिर हैं 'टर्मिनेटर' सीरीज की नई फिल्म 'डार्क फेट' लेकर.
वैसे तो हॉलीवुड ने एक से बढ़कर एक एक्शन स्टार दिए हैं, लेकिन जो बात आरनॉल्ड की शख्सियत में है, वो उनके कद को इस कैटेगरी में सबसे ऊंचा बनाती है. आरनॉल्ड के सबसे बड़े फैन में से एक होने के नाते इनकी एक्शन फिल्मों को देखकर बड़े होने से जुड़ी बचपन की तमाम दिलचस्प यादें हैं.
जिस दौर में केबल टीवी नहीं थी और मनोरंजन के लिए दूरदर्शन ही अपने आप में सबसे अच्छा माध्यम हुआ करता था, उस दौर में हॉलीवुड की फिल्में देखने के दो ही जरिए थे- सिनेमाघर और घर में किराये पर वीडियो चलवाना. कानपुर में मेरे घर से सबसे नजदीकी सिनेमाघर में अमूमन हिंदी फिल्में ही लगा करती थीं और जिन सिनेमाघरों में हॉलीवुड की एक्शन फिल्में रिलीज होतीं, वे काफी दूर थे. तब 'मल्टीप्लेक्स कल्चर' हमारे शहर में नहीं आया था. लिहाजा, किराये के वीडियो में ये शौक पूरा होता था. संडे या फिर त्योहारी छुट्टी में 'वीडियोवाला' बाकायदा रिक्शे पर बड़े से कलर टीवी और वीसीआर को लदवाकर घर आता, और हम मोहल्ले के दोस्तों के साथ बैठकर आरनॉल्ड और सिल्वेस्टर स्टेलन की एक्शन फिल्मों का लुत्फ उठाते.
इस तरह आरनॉल्ड की 'टर्मिनेटर' और स्टेलन की 'रैम्बो' सीरीज की फिल्में देखकर मेरे बड़े भइया और मैं इन दोनो के सबसे बड़े फैन में शुमार हो गए. इन दोनों एक्शन स्टार्स की हर फिल्म देखने के साथ इनके प्रति हमारी दीवानगी लगातार बढ़ती गई.
ये दीनानगी महज पोस्टरों तक सीमित नहीं थी. पॉकेट मनी के पैसों से खरीदे गए इन सितारों के तमाम स्टीकर्स भी हमारे कलेक्शन की शान बढ़ाते थे. इसके अलावा अखबारों और पत्रिकाओं में छपने वाले इनकी हर एक तस्वीर को हम काटकर हिफाजत से रख लेते और अपने बढ़ते 'खजाने' पर इठलाते. साथ ही अपने दोस्तों के सामने इस खजाने की शेखी बघारने का कभी कोई मौका नहीं चूकते. हिंदी फिल्मों के सितारों के पोस्टर और फोटो इकठ्ठा करने वाले यार-दोस्तों के बीच खुद को हॉलीवुड सितारों का फैन बताना किसी स्वघोषित 'लग्जरी' से कम नहीं था. इसे कच्ची उम्र की नादानी कहा जाए या लड़कपन की नासमझी, लेकिन न जाने क्यों ऐसा करके मुझमें खुद को बाकियों से बेहतर मानने की गलतफहमी पनपने लगी थी.
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वो फैन ही क्या जो अपने 'आराध्य सितारे' की स्टाइल कॉपी करने की कोशिश न करे. मेरे बड़े भाई ने तो आरनॉल्ड को अपना गुरु मानते हुए बाकायदा वर्जिश करके बॉडी बनानी शुरू कर दी थी. मैं भी गाहे-बगाहे अपने हाव-भाव में आरनॉल्ड की नकल उतारने की कोशिशें करता. चाहे आरनॉल्ड की तरह काला चश्मा और जैकेट पहनकर खुद को शीशे में निहारना हो, या फिर चलने-फिरने के अंदाज और बोलने के लहजे में उनकी नकल उतारना, मैं खुद को आरनॉल्ड समझने का कोई मौका नहीं चूकता.
एक बार स्कूल में एक दिलचस्प वाकया हुआ. हिंदी की क्लास चल रही थी. इतने में एनुअल फंक्शन के सिलसिले में मुझे एक टीचर ने स्टाफ रूम में बुलवा भेजा. मुझे बुलाने के लिए आए लड़के के साथ जब मैं क्लास से निकलकर जाने लगा तो हिंदी के टीचर ने मुझसे पूछा - शौभिक, क्लास खत्म होने से पहले वापस आ जाओगे?
मेरी इस हरकत के पीछे एक सोची-समझी शरारत थी, ये हिंदी की टीचर भांप नहीं पाईं, लेकिन क्लास में पसरे सन्नाटे को तोड़ते हुए स्टूडेंट्स के ठहाके गूंज उठे. पहले तो टीचर थोड़ा सकपकायीं, फिर बच्चों की हंसी के बीच अपनी खीज को छुपाते हुए थोड़ी तल्खी से बोलीं- "ठीक है, जल्दी आना." मैं भी तेज कदमों से निकल गया, और क्लास के बाहर निकलते ही एक शरारती हंसी मेरे मुंह से फूट पड़ी. ऐसे तमाम किस्से और भी हैं.
आरनॉल्ड की शख्सियत के कई पहलू हैं, जो लोगों के लिए प्रेरणा और मिसाल हैं - एक महानतम बॉडी बिल्डर, एक बेमिसाल एक्टर और एक बेहतरीन राजनेता. एक प्रोफेशनल बॉडी बिल्डर के तौर पर उन्होंने जो मुकाम हासिल किये, वो सबको नसीब नहीं होते. उनकी झोली में 'मिस्टर यूनिवर्स' के 5 खिताब और 'मिस्टर ओलंपिया' के 7 खिताब हैं. इन कामयाबियों के चलते बॉडी बिल्डिंग के इतिहास में वो एक 'लीजेंड' माने जाते हैं. कई साल तक उन्होंने बॉडी बिल्डिंग की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं 'Muscle & Fitness' और 'Flex’ के लिए कॉलम लिखे. उनकी लिखी किताब 'The New Encyclopedia of Modern Bodybuilding' को बॉडी बिल्डिंग का 'बाइबल' माना जाता है.
एक राजनेता के तौर पर श्वार्जनेगर की तीसरी पारी भी बेहद कामयाब रही. वे रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य है. साल 2003 में वे अमेरिका के कैलिफोर्निया के गवर्नर के रुप में चुने गए. इस पद पर वे साल 2011 तक, यानी 2 कार्यकाल तक रहे. इस दौरान उन्होंने जनता की खूब सेवा की.
आरनॉल्ड का जबरा फैन होने के पीछे मेरे पास एक नहीं कई कारण हैं. जिस तरह से उन्होंने अपनी जिंदगी के अलग-अलग दौर को बेहद सुंदर और शानदार तरीके से जीया, वो अपने आप में एक गाथा है...एक ऐसी गाथा, जो उनकी फिल्मों के किरदारों से कहीं ज्यादा 'लार्जर दैन लाइफ' है.
आरनॉल्ड ! मेरे ऑल टाइम फेवरेट हीरो, तुम्हारे जैसी करिश्माई शख्सियत न तुमसे पहले कभी कोई हुआ है, न तुम्हारे बाद कभी कोई होगा. अनकही वजहों के लिए तुम्हारा अनगिनत शुक्रिया.
देखें वीडियो- Reese का रोल प्ले करते-करते Terminator बन गए अर्नोल्ड श्वार्जनेगर
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