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नवरात्र का पर्व देशभर में बहुत ही धूम-धाम से मनाया जा रहा है. कई लोगों ने सप्तमी तो, कुछ ने अष्टमी का व्रत रखा. इसलिए आज हम आपको सप्तमी और अष्टमी, दोनों दिन की पूजा विधि बताएंगे. इसके साथ ही नवमी पर होने वाले कन्या पूजन की विधि, शुभ मुहूर्त के बारे में भी जानकारी देंगे.
सप्तमी को लोग मां कालरात्रि की पूजा करते हैं. मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए मां कालरात्रि का रूप उत्पन्न किया था. ऐसा माना जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से बुरे समय का नाश होता है और घर में सुख-समृद्धि बनती है.
मां दुर्गा के सातवें रूप मां कालरात्रि की पूजा सुबह 4 बजे से 6 बजे तक की जाती है. सप्तमी का रात तिल या सरसों के तेल की अखंड ज्योत जलाएं. सिद्धकुंजिका स्तोत्र, अर्गला स्तोत्रम, काली चालीसा, काली पुराण का इस दिन पाठ किया जात है. इस रात दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण पाठ किया जाता है.
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
13 अप्रैल को सुबह 08:16 बजे तक अष्टमी मनाई जाएगी इसके बाद नवमी की तिथि लग जाएगी. 13 अप्रैल को लोग महानवमी का व्रत रखेंगे और 14 अप्रैल 2019 की सुबह 6 बजे तक नवमी मनाई जाएगी.
मां महागौरी की पूजा करने के लिए सबसे पहले चौकी पर एक घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश की स्थापना की जाती है. उसी चौकी पर श्री गणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका, सप्त घृत मातृका की स्थापना भी होती है. अब व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक, सप्तशती मंत्रों से मां महागौरी के साथ समस्त स्थापित देवताओं की पूजा करें.
इसमें आवाहन, आसन, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी,सिंदूर, मंत्र पुष्पांजली आदि करें. इसके बाद प्रसाद दे कर पूजा का समापन करें.
अगर आपके घर अष्टमी पूजा होती है तो पूजा के बाद कन्याओं को भोजन कराया जाता है.
मां की पूजा फल, फूलों की मालाएं, लड्डू, पान, सुपारी, लोंग आदि के साथ करनी चाहिए. पूजा करने के लिए सबसे पहले मां की प्रतिमा को जल, दूध, दही से स्नान करवाने के बाद वस्त्र पहनाकर रोली, चंदन, सिंदूर, मेहंदी और काजल जैसी श्रृंगार की वस्तुएं भेंट की जाती हैं.
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
नौवां दिन नवरात्र पर्व का अंतिम दिन होता है. ये महानवमी के रूप से भी जाना जाता है. इस दिन लोग कन्या पूजन करते हैं. लोग घर में नौ या 11 लड़कियों को भोजन कराते हैं. इन लड़कियों को मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है. लड़कियों को भोजन कराने से पहले उनके पैर धोए जाते हैं. भोजन के अंत में लड़कियों को तरह-तरह के उपहार दिए जाते हैं.
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