इनकम टैक्स देने वाले हर शख्स के आंख-कान सालाना आम बजट पर लगे रहते हैं, ताकि उसे तुरंत ये पता चल सके कि सरकार अगले वित्त वर्ष में उसकी जेब में कितने अतिरिक्त रुपए डालने जा रही है.
देश में जब इन दिनों आम चुनाव के लिए माहौल गरमा रहा है, तो जनता अंतरिम बजट को भी आम बजट के बराबर अहमियत देने लगी थी. उम्मीद थी कि केंद्र सरकार किसानों, नौजवानों और मध्यम वर्ग को ध्यान में रखकर कुछ बड़े ऐलान करेगी. ऐसे में जब कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने इनकम टैक्स की छूट सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने का ऐलान किया, तो लगा कि मध्यम वर्ग को सरकार ने एक बड़ा तोहफा दे दिया है.
लोकसभा में सत्ता पक्ष के सांसदों के मेज थपथपाने के शोर में कहीं ये तथ्य छिप-सा गया था कि दरअसल ये छूट सीमा सभी टैक्सपेयर्स के लिए नहीं है.
जब फाइनेंस बिल की बारीकियों और वित्त मंत्री के शब्दों पर गौर किया, तो पता चला कि उन्होंने कितनी चतुराई से महफिल लूट ली.
पीयूष गोयल ने ऐलान किया है कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आयकर की मौजूदा दरें बनाई रखी जाएंगी. साथ ही जिन करदाताओं की टैक्सेबल इनकम सालाना 5 लाख रुपए तक है, उन्हें टैक्स में पूरी छूट मिलेगी. वित्तमंत्री ने ये भी कहा कि इससे ‘करीब 3 करोड़’ मध्यमवर्गीय करदाताओं को टैक्स बेनेफिट मिलेंगे.
साफ है कि ये बेनेफिट सभी करदाताओं को नहीं मिलने वाले. अब इस ऐलान की बारीकी को समझाते हैं.
इनकम टैक्स एक्ट में एक सेक्शन 87ए है, जिसके तहत अगर किसी की टैक्सेबल इनकम साढ़े तीन लाख रुपए से कम है, तो उसे अधिकतम 2,500 रुपए की टैक्स छूट मिलती है. सरकार ने टैक्सेबल इनकम की इसी सीमा को बढ़ाकर 5 लाख कर दिया है, जिसका मतलब है कि अधिकतम टैक्स छूट 12,500 रुपए की मिल सकेगी.
एक बार फिर से दोहराना जरूरी है कि ये टैक्स बेनेफिट सिर्फ उसी करदाता को मिलेंगे, जिसकी टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपए से कम है. जैसे ही ये 5 लाख की सीमा को पार करेगी, करदाता को मौजूदा स्लैब के मुताबिक ही टैक्स देना होगा, क्योंकि उनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है.
आम करदाताओं के लिए
सरकार के इस ऐलान से सुपर सीनियर सिटिजन्स को कोई अतिरिक्त फायदा नहीं होगा, क्योंकि वो पहले से ही 5 लाख रुपए तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं देते.
हां, 5 लाख रुपए तक की सालाना इनकम के दायरे में आने वाले सीनियर सिटीजन को सेक्शन 87ए की बढ़ी हुई लिमिट का फायदा जरूर होगा. एक उदाहरण से देखते हैं कि आम करदाताओं को नए वित्त वर्ष में टैक्स छूट का कितना फायदा मिलेगा.
इस इनकम कैटेगरी को सबसे ज्यादा फायदा
साफ है कि सबसे ज्यादा फायदा उन लोगों को होने जा रहा है, जो साढ़े तीन लाख से पांच लाख रुपए तक की इनकम कैटेगरी में आते हैं. अब बात कर लेते हैं कि किस तरह के दूसरे फायदे मिडिल क्लास को होंगे, जिनका ऐलान वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अपने बजट भाषण में किया है.
- सैलरीड क्लास के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 रुपए से बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया गया है. यानी सभी वेतनभोगी कर्मचारियों को कम से कम सालाना 500 रुपए की टैक्स बचत होगी.
- दूसरे सेल्फ ऑक्युपाइड घर पर अब तक लागू नोशनल रेंट (कल्पित किराए) पर टैक्स नए वित्त वर्ष से नहीं देना होगा. अभी तक के नियमों के मुताबिक अगर किसी करदाता के नाम दो घर थे, तो एक घर को सेल्फ ऑक्युपाइड मानकर टैक्स छूट मिलती थी. दूसरा घर अगर खाली भी हो तो भी उस पर नोशनल रेंट के हिसाब से इनकम टैक्स देना होता था. अब ये नियम खत्म करने का एलान किया गया है.
- बैंकों या डाकघरों की सावधि जमा योजनाओं (एफडी) से मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस की सीमा को मौजूदा 10,000 से बढ़ाकर 40,000 कर दिया गया है. इससे छोटे जमाकर्ताओं को फायदा होगा.
- सेक्शन 54 के तहत मिलने वाले कैपिटल गेन्स टैक्स छूट के दायरे में अब दो मकान आएंगे. यानी अगर एक मकान बेचकर आप दो मकान भी खरीदते हैं, तो आपको 2 करोड़ रुपए तक के कैपिटल गेन्स पर टैक्स छूट का पूरा फायदा मिलेगा. अब तक ये छूट केवल एक मकान खरीदने तक सीमित थी. हालांकि ये छूट पूरे जीवन काल में एक ही बार मिलेगी.
निश्चित रूप से मोदी सरकार के इस अंतरिम बजट में ज्यादा फायदा मध्यम वर्ग के उन लोगों को पहुंचाने की कोशिश की गई है, जो कम आय वर्ग में आते हैं. उनकी जेब में साल भर में साढ़े बारह हजार रुपए तक अतिरिक्त आएंगे, जो एक बड़ी राहत है. लेकिन जिन लोगों को निराशा हाथ लगी है, उन्हें अब नई सरकार के बनने और फिर उसके पूर्ण बजट पेश करने का इंतजार करना होगा.
(धीरज कुमार जाने-माने जर्नलिस्ट हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)