- रिटेल महंगाई दर 5 पर्सेंट के करीब पहुंच गई है.
- 15 महीनों में ये सबसे उंचे स्तर पर है.
- महंगाई के लिए प्याज टमाटर भी जिम्मेदार
- कच्चे तेल की कीमतें 65 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंची
- 2015 के बाद पहली बार कीमतें 65 डॉलर तक पहुंची हैं
अगर आपको लग रहा है कि आपका बजट बिगड़ रहा है, महीने का खर्च बढ़ गया है तो आप सही सोचते हैं. लेकिन इस मन में गिल्टी फीलिंग मत लाइए कि फिजूल खर्ची की वजह से ऐसा हुआ है. जेब खाली करने के लिए खाने-पीने का चीजें जिम्मेदार हैं. नवंबर में लगातार तीसरा महीने महंगाई दर बढ़ी है और ये 3.58 फीसदी से बढ़कर पांच परसेंट के करीब पहुंच गई है.
रिजर्व बैंक ने इसी महीने अनुमान बताया था कि महंगाई में बढ़ोतरी होगी लेकिन मौजूदा महंगाई दर मध्यम अवधि के लिए रिजर्व बैंक के अनुमान से भी ज्यादा है.
महंगाई के लिए प्याज टमाटर जिम्मेदार
महंगाई दर में बढ़ोतरी की मुख्य वजह सर्दियों में भी सब्जियों के दाम में आए उछाल है. सीएसओ (सेंट्रल स्टेटिस्टिक्स ऑफिस) के आंकड़ों के मुताबिक रिटेल महंगाई दर अक्टूबर में 3.58 परसेंट, सितंबर में 3.28 परसेंट और नवंबर में 4.88 परसेंट रही है.
सब्जियों में सबसे ज्यादा 22.5 परसेंट बढ़ोतरी हुई है. खासतौर पर प्याज, टमाटर के दाम लंबे समय से ऊंचाई पर बने हुए हैं. जुलाई में महंगाई दर न्यूनतम स्तर पर थी.
ब्लूमबर्ग क्विंट रिसर्च के मुताबिक प्याज टमाटर के दाम अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में 30 परसेंट तक बढ़े हैं. इनके दाम सामान्य तौर पर दामों के हिसाब से तीन गुना ज्यादा हैं. अगले दो माह में महंगाई दर में और बढ़ोतरी का खतरा है. अनुमान है कि सब्जियों के दाम अब मार्च 2018 में ही कम होने के आसार हैं, जब नई फसल आएगी.
प्याज के दाम में बढ़ोतरी की वजह बेमौसम बारिश को भी माना जा रहा है. देश में प्याज की कुल पैदावार का 40 परसेंट इसी मौसम में होता है. नमी ज्यादा होने की वजह से इसे स्टोर करने में सड़ने का खतरा होता है. दिसंबर अंत तक प्याज की फसल बाजार में आ पाएगी. जबकि टमाटर की अगली फसल मार्च-अप्रैल तक ही आएगी इसलिए मार्च के बाद ही दाम घटने की उम्मीद रखें.
क्रूड महंगा हुआ महंगाई और बढ़ने का खतरा
कच्चे तेल के दाम में लगातार तेजी से भी महंगाई दर पर दबाव बना हुआ है. नवंबर में ब्रेंट क्रूड करीब 10 परसेंट उछलकर 65 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है. यही कच्चा तेल पेट्रोल- डीजल और फ्यूल के दाम बढ़ाएगा जो महंगाई को और बढ़ा सकते हैं. 2015 के बाद पहली बार कच्चा तेल 65 डॉलर से ज्यादा हो गया है.
ब्लूमबर्ग क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक, कच्चे तेल की एक अहम पाइपलाइन में दिक्कत आ जाने की वजह से ये कीमतें बढ़ी हैं. फिलहाल पाइपलाइन के रिपेयर होने में करीब दो हफ्तों का समय लगेगा. जिस पाइपलाइन में ये दिक्कत आई है वो तकरीबन आधी दुनिया में कच्चे तेलों की कीमतों में दाम बढ़ा सकती है.
जानकारों के मुताबिक क्रूड के महंगा होने से अगर पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते हैं तो महंगाई दर में चौथाई परसेंट बढ़ोतरी हो सकती है.
रिजर्व बैंक भी हैरान
रिजर्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि मध्यम अवधि में महंगाई दर 4.3 से 4.7 परसेंट के आसपास रहेगी लेकिन ये पांच परसेंट के पास पहुंच गई है. रिजर्व बैंक ने इसी वजह से ब्याज दरों में कोई कमी नहीं की थी.
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