प्याज की लगातार बढ़ती कीमतों के बीच केंद्र सरकार ने इसके स्टोरेज की सीमा को तय कर दिया है. कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट की तरफ से ये जानकारी दी गई है. जिसमें बताया गया है कि तत्काल प्रभाव से प्याज का स्टॉक तय सीमा से ज्यादा नहीं होगा. होलसेल के लिए स्टोरेज लिमिट 25 मीट्रिक टन रखी गई है वहीं रीटेलर्स 2 मीट्रिक टन तक प्याज का स्टोरेज कर सकते हैं.
प्याज की कीमतों में देखे जा रहे उछाल के बाद कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट की सेक्रेट्री लीना नंदन ने कहा कि सरकार लगातार इस पर नजर बनाए हुए है और जरूरत के मुताबिक राज्यों में प्याज की सप्लाई हो रही है. उन्होंने बताया कि अब तक राज्यों को कुल 35 हजार मीट्रिक टन प्याज की सप्लाई हो चुकी है. जिससे कि प्याज के दामों में स्थिरता बनी रहे. उन्होंने आगे कहा,
“हम एक देश के तौर पर प्याज के बड़े कंज्यूमर हैं. प्याज की प्रोडक्शन के लिए लगातार जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन सितंबर के दूसरे हफ्ते के बाद देखा गया कि तेजी से प्याज के दाम बढ़ने लगे. इसे रोकने के लिए हमने स्टोरेज पर लिमिट तय करने का फैसला किया है. वहीं ये पहली बार है जब हमने 1 लाख मीट्रिक टन प्याज का बफर स्टॉक बनाया है, इस स्टॉक से हम प्याज की बढ़ती कीमतों पर कुछ लगाम लगा सकते हैं.”
100 रुपये किलो के करीब प्याज
हर साल की तरह इस बार भी प्याज लोगों के आंसू निकालने वाला है. मौजूदा हालात से तो यही लगता है. क्योंकि कई शहरों में प्याज की कीमतें कुछ ही दिन में 100 रुपये किलो तक पहुंच सकती हैं. राजधानी दिल्ली में प्याज 50 रुपये किलो को पार कर चुका है. वहीं मुंबई और पुणे में प्याज करीब 100 रुपये किलो तक बिक रहा है. ये भी कहा जा रहा है कि त्योहारों के बाद प्याज के दाम में और बढ़ोतरी हो सकती है. अब अगर अगले कुछ दिनों में प्याज की कीमतें यूं ही आसमान छूती रहीं तो कहीं न कहीं इसका असर बिहार चुनाव पर भी दिख सकता है. इसीलिए केंद्र सरकार की कोशिश रहेगी कि बफर स्टॉक के जरिए प्याज की कीमतों पर लगाम लगाए.
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