सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को NCLAT के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें NCLAT ने सायरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप का एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बनाए जाने का फैसला दिया था. टाटा संस ने नेशनल कंपनी लॉ एपेलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और 9 जनवरी को होने वाली टीसीएस की बोर्ड की बैठक को देखते हुए इसे स्थगित करने की मांग की थी. हालांकि मिस्त्री पहले ही कह चुके हैं कि वो टाटा संस का चेयरमैन नहीं बनना चाहते.
दिसंबर 2019 में एनसीएलएटी ने मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी चेयरमैन के रूप में बहाल कर दिया था. और आदेश दिया था कि एन. चंद्रशेखरन की टाटा समूह के कार्यकारी चेयरमैन के रूप में नियुक्ति अवैध है.
चेयरमैन नहीं बनूंगा: सायरस
टाटा संस ने साइरस मिस्त्री को कंपनी के चेयरमैन के तौर पर बहाल किए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. लेकिन खुद साइरस मिस्त्री ने कहा था वो टाटा संस की एग्जीक्यूटिव चेयरमैनशिप नहीं लेंगे. इसी के साथ मिस्त्री ने TCS, टाटा टेलीसर्विसेज और टाटा इंडस्ट्रीज की डायरेक्टरशिप भी लेने से इनकार कर दिया है.
क्या है पूरा मामला?
साल 2013 में रतन टाटा ने साइरस मिस्त्री को टाटा संस की कमान सौंपी थी. लेकिन कुछ ही दिनों में दोनों के बीच कई मामलों पर असहमति की खबरें आने लगीं थी.
साइसर मिस्त्री चेयरमैन बनते ही कहते आ रहे थे कि कुछ धंधों को कम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा था कि इस वक्त धंधा बढ़ाया नहीं जा सकता है. जबकि रतन टाटा तब कहा करते थे कि यहां से बहुत तेजी से ग्रोथ होनी चाहिए. 2021 तक बिजनेस बढ़कर 500 मिलियन डॉलर के आसपास हो जाना चाहिए. दोनों में ये मतभेद भी मिस्त्री के जाने का एक कारण थे.
दोनों के बीच तकरार की बड़ी वजह साइसर मिस्त्री की मौजूदगी में टाटा डोकोमो की हैंडलिंग ठीक से नहीं हो पाना भी एक बड़ी वजह माना जाता रहा है. इस मामले में कई केस हुए. इसमें कंपनी को हर्जाना भी भरना पड़ा. अमेरिका के कोर्ट में केस चल रहे हैं.
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