दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से अनलॉक गाइडलाइन्स के ऐलान के 5 दिन बाद ही भीड़-भाड़ वाले बाजारों और मॉल की तस्वीरें सामने आई हैं, जिससे इस आशंका को बल मिल रहा है कि कोरोना पाबंदियों के मामले में दिल्ली में शायद बहुत ज्यादा और बहुत जल्दी ढील दे दी गई है.
दिल्ली में शुक्रवार को 0.22 फीसदी पॉजिटिविटी रेट के साथ COVID-19 के 165 नए केस सामने आए और इसके चलते 14 मौतें हुईं.
‘पाबंदियों में ढील का अवैज्ञानिक फैसला’
6 जून को, दिल्ली में सुबह 10 बजे से रात 8 बजे के बीच ऑड-ईवन सिस्टम के साथ बाजार और शॉपिंग मॉल खोलने का ऐलान किया गया था. दिल्ली मेट्रो, प्राइवेट ऑफिस भी 50 फीसदी क्षमता के साथ शुरू किए गए. डाइन-इन रेस्टोरेंट को भी 50 फीसदी क्षमता के साथ खोलने की अनुमति दी गई. हालांकि जिम, सैलून और पब्लिक पार्क को बंद रखने का ऐलान किया गया.
एक महीने पहले ही कोरोना की भयंकर लहर का सामना करने वाले शहर में यह फैसला कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक ‘अवैज्ञानिक’ था.
शनिवार को केजरीवाल ने कहा था, ''अब कोरोना की स्थिति नियंत्रण में है. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना होगा.''
हेल्थ सिस्टम्स एक्सपर्ट डॉक्टर चंद्रकांत लहरिया ने इस मामले पर कहा, ''चूंकि (नए मामलों की) संख्या इतनी कम है, इसमें कोई संदेह नहीं है कि (पाबंदियों में) ढील देने की जरूरत थी. बात बस यह है कि हम इसे कितने अच्छे तरीके से करते हैं.''
इसके साथ ही उन्होंने कहा, ''कुछ मायनों में, यह जून 2020 में हमने जो देखा, उसकी पुनरावृत्ति है, और बाद में दिल्ली में बाद की लहरों के साथ, क्या होता है कि सरकारें ढील दे देती हैं और फिर भूल जाती हैं कि क्या करने की जरूरत है. इस बार ऐसा नहीं होना चाहिए.''
मेदांता अस्पताल के लीवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ एएस सोइन का कहना है, ''लॉकडाउन में चरणबद्ध तरीके से ढील देनी चाहिए.'' उन्होंने कहा, ''हमें पहले सार्वजनिक स्थानों पर बाहरी गतिविधियों को खोलना चाहिए, और फिर सावधानी से हमें इनडोर प्रतिष्ठानों को खोलना चाहिए.''
विशेषज्ञों का कहना है कि यह देखते हुए कि वायरस काफी हद तक हवा के जरिए फैलने वाला है, और वायरस की प्रकृति के बारे में हमारी समझ में अलग-अलग लहरों के बीच तेजी से सुधार हुआ है, तो हमें ज्यादा वैज्ञानिक दृष्टिकोण का इस्तेमाल करना चाहिए था.
‘’पार्क जैसे खुले स्थानों को खोलने पर ध्यान देना चाहिए था और ऐसा नहीं हुआ है. जो खुले हैं वे ऐसे स्थान हैं जहां ट्रांसमिशन ज्यादा है. निर्धारित दिशानिर्देशों के साथ उचित वेंटिलेशन स्थापित करने के लिए इनडोर जगहों को ज्यादा समय दिया जाना चाहिए, और ऐसा नहीं किया गया है.’’डॉक्टर चंद्रकांत लहरिया, पब्लिक सिस्टम्स एक्सपर्ट
डॉक्टर सोइन ने कहा, ''हमें केवल 4-6 लोगों को इकट्ठा होने की अनुमति के साथ शुरू करना चाहिए, वह भी एक ही घर से, और फिर अगले कुछ हफ्तों में डेटा के आधार पर ऊपर जाना चाहिए.''
‘हर्ड-इम्युनिटी के बहाने न करें लापरवाही’
गुरुवार को जारी एम्स-डब्ल्यूएचओ की एक स्टडी ने संकेत दिया कि दक्षिण दिल्ली के शहरी क्षेत्रों में पुनर्वास कॉलोनियों में बच्चों में लगभग 74.7 फीसदी सीरोप्रिवलेंस था.
फिट के साथ पहले के एक इंटरव्यू में, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, डॉक्टर के श्रीनाथ रेड्डी ने हर्ड-इम्युनिटी की चर्चित अवधारणा पर सवाल उठाया था, यह कहते हुए कि इस टर्म का अक्सर दुरुपयोग किया जाता है और हमें अपने उपाय कम करने के लिए इसके पीछे नहीं छिपना चाहिए, विशेष रूप से तब, जब नए वेरिएंट का खतरा ज्यादा बना हुआ है.
यह देखते हुए कि चौथी लहर से पहले भी दिल्ली में हाई सीरोप्रिवलेंस था, शहर फिर भी कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हुआ.
क्विंट के साथ बात करते हुए, डॉ रेड्डी ने पाबंदियों में जल्द ढील देने की 'मूर्खता' को लेकर चेतावनी दी. उन्होंने कहा, "हमें अचानक सख्त लॉकडाउन से मॉल और रेस्टोरेंट में इनडोर भीड़ को अनुमति देने की तरफ नहीं बढ़ना चाहिए. कमर्शियल गतिविधियां सरकारों को टैक्स रेवेन्यू प्रदान करती हैं, जिसका वे विकास की पहल को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करना चाहती हैं, ताकि उन्हें जन समर्थन हासिल हो सके."
‘’हालांकि, जल्दबाजी में किए गए उपाय जो वायरस को खुला रास्ता देते हैं, मनोबल को फिर से चकनाचूर कर देंगे.’’डॉ. के श्रीनाथ रेड्डी
डॉक्टर लहरिया का कहना है, ''अगर आप प्रतिबंध हटा रहे हैं, तो ज्यादा वैज्ञानिक और व्यक्तिगत दृष्टिकोण के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य संचार बढ़ाएं.'' वहीं, डॉक्टर रेड्डी कहते हैं, ''चरणबद्ध ढील ज्यादा विवेकपूर्ण है. यह दृष्टिकोण लोगों को एक संकेत भी देता है कि खतरा अभी भी बना हुआ है और सतर्क व्यवहार को छोड़ना नहीं चाहिए.''
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