भारत को नए साल की शुरुआत में कोरोना वायरस वैक्सीन का तोहफा मिल गया है. रविवार को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन 'कोविशील्ड' और भारत बायोटेक की 'कोवैक्सीन' को इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन (EUA) दिए जाने का ऐलान किया है. जानिए DCGI की अनुमति और दोनों वैक्सीन के बारे में बड़ी बातें:
- ‘कोविशील्ड’ को ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया है. पुणे का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) इसका मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर है. एस्ट्राजेनेका ने बताया है कि उसकी वैक्सीन 90% तक प्रभावी है और इसके कोई खास साइड इफेक्ट्स भी नहीं है. ये प्रभाव एक डोज के बाद आधी डोज दिए जाने के आधार पर था. चार हफ्ते के अंतराल पर दो डोज दिए जाने पर इसका प्रभाव करीब 70% है.
- ऑक्सफोर्ड -एस्ट्राजेनेका ने DCGI के सामने विदेशों में 18 साल से ज्यादा उम्र के 23,745 लोगों पर किए गए क्लीनिकल ट्रायल का सेफ्टी, इम्यूनोजेनेसिटी और एफिशिएसी डेटा सबमिट किया. वैक्सीन की एफिशिएसी 70.42% पाई गई है. सीरम इंस्टीट्यूट ने देश में 1600 लोगों पर हुए फेज 2/3 क्लीनिकल ट्रायल का भी डेटा पेश किया, जिसकी तुलना विदेश के डेटा से की गई. सीरम इंस्टीट्यूट का देश में चल रहा क्लीनिकल ट्रायल जारी रहेगा.
- भारत के लिए ये वैक्सीन इसलिए भी उपयुक्त है क्योंकि ये फाइजर और मॉडर्ना के मुकाबले काफी सस्ती है और इसका रखरखाव भी आसान है. वैक्सीन को फ्रिज के तापमान पर ही रखा जा सकता है. इसे रखने के लिए डीप कोल्ड स्टोरेज की जरूरत नहीं होती.
- ये वेक्टर वायरल टेक्नोलॉजी पर आधारित वैक्सीन है. इसे एडिनोवायरस से बनाया गया है, जो सामान्य सर्दी-खांसी जैसे लक्षण पैदा करता है. ये वैक्सीन शरीर में इम्यून प्रतिक्रिया शुरू करती है और कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनती हैं.
- ब्रिटेन ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी देने वाला पहला देश बन गया है. मेडिसिंस एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (MHRA) की सिफारिश के बाद 30 दिसंबर को ब्रिटेन की सरकार ने मंजूरी दी.
- ‘कोवैक्सीन’ को हैदराबाद की भारत बायोटेक ने ICMR और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ मिलकर बनाया है. ये भारत की पहली स्वदेशी वैक्सीन है.
- भारत बायटेक की ‘कोवैक्सीन’ को वीरो सेल प्लेटफॉर्म पर तैयार किया गया है, जिसका सुरक्षा और एफिशिएसी को लेकर ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा रहा है. DCGI ने प्रेस रिलीज में बताया कि कंपनी ने जानवरों की अलग-अलग प्रजातियों में सेफ्टी और इम्यूनोजेनेसिटी डेटा सबमिट किया है.
- 800 सबजेक्ट्स पर भारत बायोटेक का फेज 1 और फेज 2 क्लीनिकल ट्रायल किया गया, जिसमें पाया गया कि वैक्सीन अच्छा इम्यून रिस्पॉन्स देती है. भारत में 25,800 वॉलन्टियर्स पर फेज 3 एफिशिएसी ट्रायल शुरू किया गया है, जिसमें अभी तक 22,500 लोगों को वैक्सीन दी गई है. DCGI के मुताबिक, अभी तक का डेटा बताता है कि वैक्सीन इस्तेमाल के लिए सुरक्षित है.
- भारत बायोटेक की वैक्सीन की कीमत को लेकर अभी तक कोई खुलासा नहीं किया गया है. हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक कुछ समय पहले भारत बायोटेक के एमडी डॉक्टर कृष्ण एला ने कहा था कि, वैक्सीन की कीमत पानी की बोतल से भी कम होगी. तभी से कयास लगाए जा रहे हैं की वैक्सीन की कीमत 100 रुपये के आसपास हो सकती है.
- दो वैक्सीन को अनुमति देने के अलावा, एक तीसरे वैक्सीन कैंडिडेट को क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति दी गई है. DCGI ने कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड को वैक्सीन के फेज 3 ट्रायल को जारी रखने की अनुमति दे दी है. कंपनी का फेज 1 और फेड 2 क्लीनिकल ट्रायल भारत में 1000 लोगों पर किया जा रहा है.
सीरम इंस्टीट्यूट ने 6 दिसंबर को DCGI को इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन के लिए आवेदन किया था. वहीं, भारत बायोटेक ने 7 दिसंबर को आवेदन दिया था.
भारत में कोविड वैक्सीन के लिए सबसे पहले अनुमति फाइजर ने मांगी थी. फाइजर ने 4 दिसंबर को ऑथोराइजेशन के लिए अप्लाई किया था, हालांकि कंपनी को अभी तक अनुमति नहीं मिली है. ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा जैसे देशों में फाइजर की वैक्सीन को अनुमति मिलने के बाद वैक्सीनेशन भी शुरू हो गया है.
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