देश में सबसे पहले कोरोना संक्रमण (COVID 19) का मामला केरल की एक मेडिकल की छात्रा का था. पिछले साल जनवरी में चीन के वुहान से केरल लौटी छात्रा कोविड पॉजिटिव पाई गई थी. अब छात्रा बिना लक्षणों के कोरोना से फिर पीड़ित हो गई है. छात्रा को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है.
कोरोना के कोई लक्षण नहीं
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार त्रिशूर की जिला चिकित्सा अधिकारी केजे रीना ने कहा कि छात्रा घर में क्वारंटीन थी उसी दौरान वह संक्रमित पाई गई है, हालांकि अभी तक उनके परिवार से कोई संक्रमित नहीं पाया गया है. उन्होंने आगे बताया कि कोरोना से दोबारा संक्रमित हो जाना कोई नई बात नहीं है. कई स्वास्थ्य कर्मचारी भी इससे दोबारा संक्रमित हो चुके हैं.
परिवार वालों ने बताया कि जब छात्रा दिल्ली जाने की योजना बना रही थी तब उनकी दोबारा जांच कारवाई गई और वो पॉजिटिव पाई गई हैं. कोरोना के कोई भी लक्षण छात्रा में नहीं हैं. इसके साथ उनको कोरोना वैक्सीन की पहली डोज भी लग चुकी है.
छात्रा महामारी के चलते वापस वुहान नहीं जा पा रही है क्योंकि वुहान में भारतीय छात्रों को अभी आने की अनुमति नहीं है. छात्रा जब पिछले साल जनवरी में कोरोना पॉजिटिव पाई गईं थी तब उन्हें 1 महीने तक अस्पताल में भर्ती रखा गया था.
पिछले साल छात्रा ने हिंदुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में बताया था कि उसने कभी नहीं सोचा था कि वो कोरोना से संक्रमित होगी. लेकिन संक्रमित होने के बाद उसे अपने परिवार की फिक्र ज्यादा हो रही थी. क्योंकि वुहान से लौटने के बाद वह उनसे मिली थी.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने पिछले साल जनवरी से अक्टूबर के बीच दोबारा कोरोना संक्रमित होने के आंकड़ों का पता लगाया था और उस बीच यह आंकड़ा 4.5% था. नई दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ जेनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) ने एक रिसर्च में यह पाया कि अप्रैल तक दिल्ली में फिर से वायरस से संक्रमण का यह आंकड़ा 10% था. साथ ही जांच में यह भी पाया गया कि इन लोगों में एंटीबॉडी बढ़ने के बजाय ज्यादा घट रही थी. इसके लिए शोधकर्ताओं ने 10 अलग अलग जगहों से 1000 लोगों के सैंपल लिए थे और जांच की थी.
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