राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठतम नेताओं में से एक और लालू यादव के करीबी माने जाने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह ने 9 सितंबर को पार्टी से इस्तीफा दे दिया. लेकिन ऐसा लगता नहीं कि लालू प्रसाद यादव उन्हें इतनी आसानी से 'कहीं' जाने देने वाले हैं. दिल्ली AIIMS में भर्ती रघुवंश ने आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद को एक लेटर लिखकर इस्तीफे का ऐलान करते हुए कहा-
“कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 32 वर्ष तक आपके पीठ पीछे खड़ा रहा, लेकिन अब नहीं.”
इस लेटर के जवाब में लालू प्रसाद ने भी एक लेटर रघुवंश प्रसाद को लिखा है. लेटर में कहा गया है,
“आप जल्द स्वस्थ हों, फिर बैठकर बात करेंगे, आप कहीं नहीं जा रहे हैं.”
लालू प्रसाद ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि एक चिट्ठी मीडिया में चलाई जा रही है. उसपर भरोसा ही नहीं हो रहा है. चार दशकों में हमने हर राजनीतिक, सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं में मिल बैठ कर ही विचार किया है.
बीजेपी-जेडीयू बता रहे हैं सही फैसला?
बीजेपी और जेडीयू उनके इस कदम को सही फैसला बता रहे हैं. जेडीयू के प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि सिंह वरिष्ठ नेता है. उन्हें यह कदम पहले उठाना चाहिए था. आलोक ने कहा कि आरजेडी अब बबूल का वृक्ष हो गया है, इस कारण लोग वहां से भाग रहे हैं. जेडीयू में सिंह के आने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि कोई भी पार्टी सिंह जैसे बड़े नेता का स्वागत करेगा.
क्यों नाराज थे रघुवंश प्रसाद?
सिंह पूर्व सांसद रामा सिंह के पार्टी में आने की सूचना के बाद से नाराज थे. उन्होंने इससे पहले ही पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर यह संकेत दे दिया था. इस बीच हालांकि आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने अस्पताल में जाकर पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंह से मुलाकात की थी और उन्हें मनाने की भी कोशिश की थी.
रघुवंश प्रसाद सिंह लालू के सबसे करीबी नेता माने जाते रहे हैं और वो पार्टी की शुरूआती दिनों से ही लालू यादव के साथ रहे हैं. वे यूपीए की केंद्र सरकार में मंत्री पद भी संभाल चुके हैं.
फिलहाल सिंह की तबियत खराब है वे दिल्ली एम्स में भर्ती हैं. इस कारण उनसे सीधे संपर्क नहीं हो पा रहा है.
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