बीजू जनता दल (बीजेडी) के पूर्व सांसद बैजयंत जय पांडा सोमवार शाम भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए. हालांकि, पांडा के बीजेपी में शामिल होने पर उनकी पूर्व पार्टी की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. लेकिन ओडिशा में बीजेपी के कार्यकर्ताओं और नेताओं का मानना है कि पांडा की एंट्री "गेम चेंजर नहीं" तो नहीं है, लेकिन पार्टी को इससे कुछ फायदा जरूर होगा.
बीजेपी नेताओं का मानना है कि ओडिशा में नवीन पटनायक को चुनौती देने के लिहाज से पांडा की एंट्री पार्टी के लिए प्लस प्वॉइंट है. बता दें, बीजेडी नेता नवीन पटनायक ओडिशा के लोकप्रिय नेता हैं और साल 2000 से लगातार मुख्यमंत्री हैं.
पार्टी विरोधी गतिविधियों की वजह से बीजेडी ने कर दिया था निलंबित
बैजयंत जय पांडा को बीजेडी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आधार पर पार्टी से निलंबित कर दिया था. इसके बाद उन्होंने पार्टी और लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. पांडा ओडिशा की केंद्रपाड़ा सीट का दो बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. इसके अलावा वह एक बार राज्यसभा में भी राज्य का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.
बीजेडी ने उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों में शामिल होने का भी आरोप लगाया था. हालांकि, पांडा ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था.
बैजयंत जय पांडा बीजेपी के लिए कितने फायदेमंद?
- ओडिशा बीजेपी नेताओं का कहना है कि पांडा बड़े जनाधार वाले नेता नहीं हैं, लेकिन वह राज्य में बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में पार्टी की मदद कर सकते हैं
- बीजेपी कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि पांडा की बीजेपी में एंट्री पार्टी के लिए इसलिए भी मददगार हो सकती है क्योंकि उनकी पत्नी ओडिशा के न्यूज चैनल ओटीवी की मालकिन हैं
- पांडा ओडिशा के तटीय इलाकों वाली महत्वपूर्ण सीटों पर प्रभाव रखते हैं, जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है
- ओडिशा बीजेपी के नेताओं का मानना है कि बैजयंत पांडा के जरिये बीजेपी चुनावों में यह संदेश मजबूती से दे सकती है कि बीजेडी के अपने लोग भी उसकी गलत नीतियों से तंग आ चुके हैं और उसे छोड़कर जा रहे हैं
- बीजेपी अभी भी राज्य में बीजेडी से काफी पीछे है. ऐसे में पांडा को ओडिशा के तटीय इलाकों में बीजेपी को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं
- ओडिशा के कटक, जगतसिंहपुर, जाजपुर और भद्रक जैसे तटीय जिलों में बीजेपी के पास युवा नेताओं की कमी है, जिसे पांडा पूरा कर सकते हैं
इसके अलावा ओडिशा बीजेपी के बड़े नेताओं का मानना है कि पांडा बीजेपी के लिए मददगार ही साबित होंगे. क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि वह कम से कम कुछ सालों तक "विनम्रता" के साथ काम करेंगे, और किसी तरह की कोई डिमांड नहीं करेंगे.
ओडिशा में 21 लोकसभा सीटें हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेडी ने 20 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि बीजेपी को केवल एक सीट सुंदरगढ़ पर जीत मिली थी. इस सीट का प्रतिनिधित्व आदिवासी मामलों के मंत्री जुएल ओराम करते हैं.
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले बीजेपी ओडिशा को प्राथमिकता वाले राज्यों के रूप में देख रही है.
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