77वें कान्स फिल्म फेस्टिवल (Cannes 2024) में FTII के छात्र चिदानंद एस नाइक की फिल्म 'सनफ्लावर वर द फर्स्ट वन्स टू नो' (SUNFLOWERS WERE THE FIRST ONES TO KNOW…) ने ला सिनेफ अवॉर्ड अपने नाम किया. फिल्म को फर्स्ट प्राइज मिला है.
वहीं दूसरा पुरस्कार कोलंबिया विश्वविद्यालय के आसिया सेगालोविच की फिल्म 'आउट ऑफ द विडो थ्रू द वॉल' और ग्रीस के थेसालोनिकी को मिला है. तीसरा पुरस्कार NFTS यूके की भारतीय मूल की छात्रा मानसी माहेश्वरी की फिल्म 'बनीहुड' को मिला है. मानसी उत्तर प्रदेश के मेरठ की रहने वाली हैं.
FTTI में पढ़ाई करते हुए बनाई फिल्म
डॉक्टर से फिल्ममेकर बने FTTI के छात्र चिदानंद एस नाइक ने यह फिल्म पुणे के भारतीय इंस्टीट्यूट ऑफ फिल्म टेलीविजन संस्थान के टेलीविजन विंग में बनाई थी. फिल्म कंपेनियन से बातचीत में चिदानंद ने बताया था कि फिल्म की कहानी कन्नड़ लोककथा पर आधारित है, जो एक ऐसी बुजुर्ग महिला के बारे में है जो मुर्गियां चुराती है. बुजुर्ग महिला की गलतियों की सजा उसके बेटे को मिलती है, जिसका गांव में उठना-बैठना बंद करवा दिया जाता है.
इंटरव्यू में उन्होंने आगे बताया था,
"जब मैंने पुणे में अपने क्लासमेट्स को इस फिल्म के बारे में बताया तो उन्हें आइडिया पंसद आया लेकिन इस कहानी के बारे में कभी सुना नहीं था. और मैं काफी आश्चर्यचकित हुआ और सबसे पूछने लगा कि क्या आपने इसके बारे में नहीं सुना, लेकिन कर्नाटक में बच्चा-बच्चा इस लोककथा के बारे में जानता है. इस फिल्म को मैं बचपन से बनाना चाहता था."
अपनी फिल्म को कान्स फिल्म फेस्टिवल में मिले इस सम्मान की खुशी व्यक्त करते हुए और वैरायटी मैगजीन से बात करते हुए चिदानंद ने कहा,
"हमारे पास केवल चार दिन ही थे. मुझे ये कहा गया था कि मुझे ये फिल्म नहीं बनानी चाहिए. यह कर्नाटक की लोककथाओं पर आधारित मूवी है. ये वो कहानियां हैं, जिन्हें सुनकर हम बड़े हुए हैं. मैं इस आइडिया को बचपन से ही अपने साथ लेकर चल रहा था."
कान्स फिल्म फेस्टिवल में पहले विजेता को 15000 यूरो, दूसरे विजेता को 11,250 यूरो और तीसरे को 7,500 यूरो मिले हैं.
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