ADVERTISEMENTREMOVE AD

रमेश देव नहीं रहे:मराठी फिल्म से की शुरुआत,हिंदी में सपोर्टिंग रोल से मिली पहचान

हिंदी में रमेश देव की पहली फिल्म थी 1962 में रिलीज हुई 'आरती'.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

हिंदी और मराठी फिल्मों के जाने-माने कलाकार रमेश देव (Ramesh Deo) का 2 फरवरी को मुंबई के कोकिलाबेन अंबानी अस्पताल में हार्ट अटैक से निधन हो गया. वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे. 30 जनवरी को ही उन्होंने अपना 93वां जन्मदिन मनाया था.

उनके बड़े बेटे अजिंक्य ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "मेरे पिता कि पिछले कुछ दिनों से तबीयत ठीक नहीं चल रही थी. बुधवार सुबह से उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रगही थी. इसलिए हमने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया, शाम को वो चल बसे."

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मराठी फिल्मों से की एक्टिंग करियर की शुरुआत

30 जनवरी 1926 को महाराष्ट्र के अमरावती में जन्मे रमेश देव का बचपन कोल्हापुर में बीता. उन्होंने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत एक मराठी फिल्म में कैमियो रोल से की थी. उन्होंने 1951 में आई फिल्म 'पातलाची पोर' में एक कैमियो रोल किया था. इसके बाद उन्होंने कई मराठी फिल्मों में विलेन का किरदार निभाया.

हिंदी में उनकी पहली फिल्म थी 1962 में रिलीज हुई 'आरती'.

कई दशकों के अपने करियर में, रमेश देव ने कई टेलीविजन शो और विज्ञापनों में काम करने के अलावा 450 से ज्यादा हिंदी और मराठी फिल्मों में काम किया है.

हिंदी में रमेश देव की पहली फिल्म थी 1962 में रिलीज हुई 'आरती'.

सपोर्टिंग रोल में मिली खूब पहचान

रमेश देव को 'आनंद' फिल्म से काफी पहचान मिली, जिसमें उन्होंने अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना के दोस्त का किरदार निभाया था. फिल्म 'आनंद', 'जोरू का गुलाम', 'आप की कसम', 'प्रेम नगर' और 'अशांति' जैसी फिल्मों में सपोर्टिंग किरदार निभाए हैं.

रमेश देव ने कई फिल्म-सीरियलों को प्रोड्यूस भी किया और उन्होंने 8 मराठी फिल्मों को डायरेक्ट भी किया, जिसमें 'चोर चोर', 'जीवा साखा' और 'सेनानी सने गुरुजी' शामिल है.

जनवरी 2013 में, पुणे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (PIFF) में उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था.

उन्होंने एक्टर सीमा देव से शादी की थी. उनका बड़े बेटे अजिंक्य, 'आन', 'तान्हाजी' जैसी कई फिल्मों में काम कर चुके हैं. वहीं, छोटे बेटे, अभिनय ने 'डेली बेली', 'फोर्स 2' और 'ब्लैकमेल' फिल्म डायरेक्ट की है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×