रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) ने ब्रह्मास्त्र (Brahmastra) और शमशेरा (Shamshera) से पहले अजब प्रेम की गजब कहानी (Ajab Prem Ki Gajab Kahani) और बचना ऐ हसीनों (Bachna Ae Haseeno) जैसी फिल्मों से बाॅलीबुड (Bollywood) के रोमांटिक-कॉमेडी जॉनर पर एक अलग ही छाप छोड़ी. अब रणबीर 8 मार्च को अपनी नई रिलीज- तू झूठी मैं मक्कार (Tu Jhoothi Main Makkar) के साथ इसी रूप में लौट आए हैं.
इस फिल्म में रणबीर ब्रेक-अप एक्सपर्ट रोहन अरोड़ा (मिकी) का किरदार निभाते हुए अच्छी एक्टिंग की है. अगर कुछ बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए गए मौकों को छोड़ दें तो वे अच्छी एक्टिंग के कारण फिल्म से तालमेल बनाने में कामयाब रहे.
रणबीर के द्वारा बोले गए कुछ डायलाॅग्स 'अजीब' हैं. लेकिन वह कुछ लाइन्स को थोड़े बचकानेपन के साथ बोलने की पूरी कोशिश करते हैं जो कई बार काम कर जाता है. इसके अलावा फिल्म में लीड एक्टर्स की पिछली फिल्मों का जिक्र भी आता है. इसमें से कुछ आपको एंटरटेन करते हैं जबकि कुछ बेवजह फिट किए गए लगते हैं.
इस फिल्म की लीड एक्ट्रेस श्रद्धा कपूर, निशा मल्होत्रा (टिन्नी) का किरदार निभा रही हैं. उनको देखना हवा के नए झोंके की तरह है. उनका करैक्टर कई परतों में दबा एक आयामी प्रतीत होता है. फिल्म में कुछ जगह उनका किरदार बहुत अच्छा है हालांकि कहीं-कहीं जगह वह पकड़ खोने लगती हैं.
फिल्म की कहानी सिंपल है जिसमें मिकी और टिन्नी बैचलर्स हैं जो कि एक-दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं और शादी करने का तय करते हैं. लेकिन उनमें से एक इससे पीछे हट जाता है. रणबीर कपूर और श्रद्धा कपूर के बीच बेशक शानदार केमिस्ट्री है और एक रोमांटिक-कॉमेडी फिल्म के लिए, इससे अच्छी बात क्या हो सकती है.
यह फिल्म पुरानी फिल्मों की याद दिलाती है. ऐसा लगता है मानो 'तू झूठी मैं मक्कार' बॉलीवुड की पुरानी रूलबुक से एक पन्ना निकालता है और कहानी में कई डांस नंबरों को शामिल करता है. सवाल है कि क्या इतने सारे म्यूजिकल नंबर्स का कोई मतलब है ? शायद नहीं लेकिन प्रीतम और अमिताभ भट्टाचार्य के म्यूजिकल नंबर्स अमूमन जुबान पर चढ़ने वाले होते हैं.
अगर फिल्म के दूसरे किरदारों की बात की जाए जो कि काफी मजेदार हैं, वो हैं डिंपल कपाड़िया जो मिकी की मां रेणु का किरदार निभा रही हैं. और जतिंदर कौर, जो मिकी की दादी के किरदार में हैं. दोनों की एक मजेदार काॅमेडिक कैमिस्ट्री दिखाई गई है.
कॉमेडियन अनुभव सिंह बस्सी भी इस फिल्म में नजर आए. वह मिकी उर्फ रोहन के सबसे अच्छे दोस्त और पार्टनर-इन-क्राइम की भूमिका निभा रहे हैं. इसमें भी वह अपने शानदार कॉमिक टाइमिंग के साथ वन लाइनर्स बोलते हुए नजर आए. लेकिन जोक्स से परे, उन्होंने अपने करैक्टर की यादगार छाप छोड़ने के लिए कुछ खास नहीं किया. और फिल्म में एक अच्छे दोस्त बन कर ही रह गए.
हालांकि, फिल्म की सबसे बड़ी समस्या कुछ ऐसी है जो हमने डायरेक्टर रंजन की फिल्मों में पहले भी देखी है.
इस फिल्म में प्यार और हिंसा कहीं ने कहीं जुड़े हुए हैं जिसमें मजाकिया तौर पर मेल किरदारों को थप्पड़ मारा जाता है. यह एक तरीके से गलत है क्योंकि अगर ऐसा ही फीमेल किरदार के साथ हो तो वह गलत रूप में दर्शाया जाएगा. यह तो वही बात हो गई कि 'आदमी तो सह लेगा'.
यहां तक की कहानी में मुख्य किरदारों के बीच झगड़े में स्त्री की अधिक चिंता को गलत दिखाया गया.
यह फिल्म निर्देशक लव रंजन और राहुल मॉडी ने लिखी है. जो इससे पहले प्यार का पंचनामा 2 और सोनू के टीटू की स्वीटी में उनके साथ काम कर चुके हैं.
मिकी और उनके परिवार के रूप में कपूर के परफेक्ट कॉमेडिक प्रदर्शन के कारण दूसरे हाफ में स्क्रिप्ट काफी जोर पकड़ती है.
इस फिल्म की एक खामी यह है कि यह रंजन की पुरानी फिल्मों की तरह है. जैसे कि अभिनेता कार्तिक आर्यन के प्यार का पंचनामा में 'प्रॉब्लम ये है की' मोनोलॉग वायरल होने के बाद प्रसिद्धि मिली. इस फिल्म में मोनोलॉग पर मोनोलॉग बोले गए हैं जो कि एक हद तक ही पसंद आते हैं.
फिल्म के डीओपी सांथना कृष्णन रविचंद्रन की सिनेमैटोग्राफी ऐसी है जैसे कि फिल्म दिल्ली की जगह पैरेडाइस में शूट हुई हो. हर फ्रेम इतना साफ है कि यह किसी विज्ञापन की तरह नजर आ रहा है.
पहली नजर में इसे मनोरंजक भी माना जा सकता है. हालांकि, एक बार जब आप इसके परतों को हटाना शुरू कर देते हैं, तो इसकी खामियां सामने आ जाती हैं.
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