2018 में एकता कपूर की ऑल्ट बालाजी की ‘गंदी बात’ वेब सीरीज हिट होने के बाद ‘गंदी बात सीरीज-2’भी रिलीज हुई. अब सीरीज-2 के तहत ही 11 अप्रैल को एक नया स्पेशल एपिसोड 'गुड़िया रानी' रिलीज किया गया है.
इस स्पेशल एपिसोड में वैसे मर्दों की मानसिकता के बारे में दिखाया गया है जो औरत को सिर्फ एक ही नजर से देखते हैं और अपना काम निकलने के बाद उससे पल्ला झाड़ लेते हैं. गुड़िया रानी की कहानी ऐसे ही एक मर्द से औरतों के बदले की कहानी है.
गुड़िया रानी की कहानी
स्पेशल एपिसोड ‘गुड़िया रानी’ में किशन नाम के एक ट्रक ड्राइवर की कहानी दिखाई गई है, जो शादी का झांसा देकर लड़कियों का यौन शोषण करता है. जब लड़कियां उससे शादी की बात करती हैं, तो किशन उन्हें रास्ते से हटा देता है. किशन लड़की को एक गुड़िया की तरह इस्तेमाल कर उसे फेंक देता है. फिर एक दिन वो खुद अपने बुने हुए जाल में फंस जाता है.
एक दिन वो खुद को ऐसे घर में बंद पाता है, जहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं होता है. एक गुड़िया उसे जंजीरों में जकड़ देती है. वो चीखता है, चिल्लाता है लेकिन उसकी कोई नहीं सुनता. आखिकार जब वो पूछता है कि उसका कसूर क्या है, क्यों उसके साथ ऐसा हो रहा है? तो गुड़िया उसे उसके गुनाहों की याद दिलाती है.
फ्लैश बैक में कहानी चलती है कि कैसे उसने कई लड़कियों को धोखा दिया था. अंत में कहानी खुलती है और पता चलता है कि गुड़िया रानी कोई और नहीं बल्कि उसकी सताई हुई लड़कियों का ही बुना जाल है, जिनके साथ उसने धोखा किया था.
गुड़िया रानी की 'गंदी बात'
गंदी बात सीरीज को ऑल्ट बालाजी ने इस तरह प्रोजेक्ट किया था कि सिर्फ मॉर्डन और शहरी इलाकों में ही नहीं, देश ग्रामीणों में भी रिलेशनशिप और शारीरिक संबंधों को लेकर वैसी ही कुंठा और कहानियां हैं. लेकिन इन कहानियों को जिस तरह से फिल्माया गया है उससे संदेह होता है कि मकसद कोई सामाजिक संदेश देना है या फिर सिर्फ सॉफ्ट पॉर्न को देशी भाषा में परोसना है.
गुड़िया रानी के मामले में भी यही संदेह होता है. ये बात सच है कि हमारे समाज में आज भी महिलाओं के खिलाफ बड़े जुल्म हो रहे हैं और इसके खिलाफ महिलाओं में घुटन है. वो इसके खिलाफ बोलना चाहती हैं. लेकिन ‘गुड़िया रानी’ का क्लाईमैक्स आधी आबादी पर हो रहे जुल्म का जवाब शायद ही है.
औरतों के साथ ऐसा बर्ताव आर्थिक आजादी से भी जुड़ा है. ऐसा लगा कि दो सीरीज में ढेर सारी 'गंदी बातें' करने के बाद भी जब मन नहीं भरा तो एक और स्पेशल एपिसोड बना डाला. एक ट्रक ड्राइवर के जाल में लड़कियां फंसती जाती हैं और फिर उससे बदला लेती हैं, प्लॉट रियलिस्टिक नहीं लगता. किसी फिल्म या एपिसोड या सीरीज का असल हासिल वो सवाल हैं जो इन्हें देखने के बाद दर्शक के जेहन में उठते हों.
दर्शक उस मुद्दे पर कुछ सोचने को मजबूर हो जाए? सवाल ये है कि क्या दर्शक ये एपिसोड देखने के बाद उस गंभीर समस्या के बारे में सोचेगा, जो निर्माताओं ने उठाया है, या फिर उसके दिमाग में वो 'गंदी' तस्वीरें ही तैरती रह जाएंगी जो इसमें खीची गईं हैं?
सीरीज के स्पेशल एपिसोड में इतनी सारी सिनेमाई आजादी लेकर भी कुछ स्पेशल बात नहीं कही गई, यही है 'गुड़िया रानी' की 'गंदी बात'.
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