ADVERTISEMENTREMOVE AD

स्ट्रोक: दुनिया में मौत और विकलांगता की बड़ी वजह, कैसे पाएं काबू?

कैसे करें स्ट्रोक के लक्षणों की पहचान? 

Updated
फिट
5 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

स्ट्रोक दुनिया भर में मौत और विकलांगता की बड़ी वजहों में से एक है. लेकिन ये पूरे हालात का सिर्फ एक हिस्सा है. कभी-कभी स्ट्रोक के बाद सबसे कठिन अकेलेपन का एहसास होता है.

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के मुताबिक हर साल 1.5 करोड़ लोग स्ट्रोक से पीड़ित होते हैं.

दुनिया में 8 करोड़ स्ट्रोक सर्वाइवर्स हैं. इनमें से 5 करोड़ स्ट्रोक सर्वाइवर्स किसी न किसी तरह की अक्षमता के साथ जी रहे हैं.

इंडियन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी की साल 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में स्ट्रोक के मामले बहुत ज्यादा हैं.

इससे भी बुरी बात ये है कि स्ट्रोक, इसके रिस्क फैक्टर्स और लक्षणों को लेकर जागरुकता की भी काफी कमी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

स्ट्रोक आखिर है क्या?

स्ट्रोक, जिसे ब्रेन अटैक भी कहते हैं, तब होता है जब मस्तिष्क तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाने वाली ब्लड वैसल (रक्त वाहिकाएं) ब्लॉक हो जाती हैं या फट जाती हैं. ऐसे में दिमाग की कोशिकाएं फंक्शन नहीं कर पातीं या नष्ट होने लगती हैं. इस तरह से उन कोशिकाओं से नियंत्रित होने वाला शरीर का हिस्सा प्रभावित होता है.

55 की उम्र के बाद स्ट्रोक का खतरा महिलाओं में हर 5 में से 1 को और पुरुषों में हर 6 में से 1 को होता है.  

हालांकि स्ट्रोक किसी को भी, कहीं भी और किसी भी उम्र में पड़ सकता है.

दो तरीके का होता है स्ट्रोक

मस्तिष्क दो तरह के स्ट्रोक, इस्कैमिक और हेमोरेजिक से प्रभावित होता है. स्ट्रोक के 80 फीसदी मामले इस्कैमिक होते हैं.

कैसे करें स्ट्रोक के लक्षणों की पहचान? 
स्ट्रोक के 80 फीसदी मामले इस्कैमिक होते हैं
(फोटो: www.stroke-india.org)
  1. इस्कैमिक स्ट्रोक में धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं.
  2. हेमोरेजिक स्ट्रोक में ब्लड वैसल्स फट जाती हैं.

स्ट्रोक के लक्षण

  • चेहरे, हाथ या पैर (खासकर शरीर के एक तरफ) अचानक कमजोरी या सुन्न हो जाना
  • अचानक भ्रम, बोलने या कुछ समझने में परेशानी
  • एक या दोनों आंखों से देखने में परेशानी
  • अचानक चलने में परेशानी, चक्कर आना, संतुलन बनाने में दिक्कत या तेज सिरदर्द

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ केके अग्रवाल के मुताबिक स्ट्रोक (सेरेब्रो वैस्कुलर एक्सीडेंट) के कारण होने वाली विकलांगता अस्थायी या स्थायी हो सकती है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि मस्तिष्क में ब्लड फ्लो कितना है और उससे कौन सा हिस्सा प्रभावित हो रहा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

स्ट्रोक के चेतावनी संकेतों की पहचान

अगर आपको लगता है कि आपके सामने किसी को स्ट्रोक अटैक पड़ा है, तो इसकी पहचान के लिए F.A.S.T पर ध्यान दें.

  • F. Face drooping: स्माइल करने को कहें. क्या कुछ असामान्य नजर आ रहा है?
  • A. Arm Weakness (बाजुओं में कमजोरी): दोनों हाथ ऊपर उठाने को कहें. क्या एक हाथ नीचे की तरफ जाता लगता है?
  • S. Speech Difficulty: क्या उसे बोलने में तकलीफ हो रही है? उसे कुछ आसान से वाक्य बोलने को कहें. क्या वो ऐसा कर पा रहा है?
  • T. Time to call hospital: वक्त पर हॉस्पिटल पहुंचाने का इंतजाम करें.
स्ट्रोक वाले किसी भी व्यक्ति को जल्द से जल्द अस्पताल ले जाया जाना चाहिए और क्लॉट डिजॉल्विंग थेरेपी दी जानी चाहिए. 
डॉ केके अग्रवाल, अध्यक्ष, हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया
कैसे करें स्ट्रोक के लक्षणों की पहचान? 
रोगी को समय पर हॉस्पिटल ले जाना जरूरी होता है
(फोटो: iStock)

डॉक्टर्स कहते हैं कि इलाज में देरी होने पर लाखों न्यूरॉन्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और मस्तिष्क के अधिकतर कार्य प्रभावित होते हैं. इसलिए रोगी को समय पर हॉस्पिटल ले जाना जरूरी होता है क्योंकि इलाज के लिए कई मेडिकल डिवाइसेज और सुविधाओं की जरूरत होती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

किसी को स्ट्रोक अटैक करने पर क्या ना करें?

मैक्स हेल्थकेयर में न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ मनोज लिखते हैं कि स्ट्रोक की वजह से रोगी की जान जा सकती है या फिर वो स्थाई तौर पर विकलांग हो सकता है. इसलिए स्ट्रोक पड़ने के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

1. मरीज को सोने ना दें

ये जरूरी है कि स्ट्रोक के दौरान मरीज को सोने ना दिया जाए क्योंकि ये जानलेवा साबित हो सकता है.

2. मरीज को खुद से हॉस्पिटल ना ले जाएं

ये सलाह दी जाती है कि स्ट्रोक पड़ने पर मरीज के लिए तुरंत एंबुलेंस की व्यवस्था की जानी चाहिए. मरीज को खुद ड्राइव ना करने दिया जाए.

3. मरीज को कुछ भी खाने-पीने को ना दें

मरीज को कुछ खाने-पीने के लिए नहीं देना चाहिए क्योंकि स्ट्रोक के दौरान शरीर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, इसलिए चोकिंग का खतरा बढ़ जाता है.

4. खुद से कोई दवा ना दें

किसी को ब्रेन स्ट्रोक पड़ने पर उसे खुद से कोई दवा ना दें. आमतौर पर लोगों को लगता है कि एस्पिरिन देने से मरीज को आराम मिलता है बल्कि ऐसा नहीं होता, अगर स्ट्रोक रक्त वाहिकाओं से फटने से हुआ है, तो एस्पिरिन की वजह से हालत और खराब हो सकती है.

इसके लक्षणों को पहचान कर तुरंत चिकित्सीय सहायता के जरिए स्ट्रोक के कारण मौत या अक्षमता की आशंका कम की जा सकती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या हैं स्ट्रोक के जोखिम कारक?

मैक्स हेल्थकेयर में न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट की डॉ डॉ विन्नी सूद इस लेख में बताती हैं, स्ट्रोक के कुछ जोखिम कारकों को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, जैसे:

  • बढ़ती उम्र
  • स्ट्रोक की फैमिली हिस्ट्री या जेनेटिक कारक

ऐसे रिस्क फैक्टर जिन पर कंट्रोल संभव है

  • हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन
  • हाई कोलेस्ट्रॉल
  • डायबिटीज
  • स्मोकिंग और शराब का सेवन
  • मोटापा या जरूरत से ज्यादा वजन
  • जंक फूड का सेवन
  • तनाव
  • आरामतलब जीवनशैली
जीवनशैली में थोड़ा सा बदलाव लाकर जैसे बीपी पर निंयत्रण और एक्सरसाइज से स्ट्रोक के कम से कम आधे मामलों में बचाव संभव है.
डॉ विन्नी सूद, न्यूरोलॉजी, मैक्स हेल्थकेयर

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक स्मोकिंग छोड़कर, शराब का सेवन सीमित कर, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल पर काबू पाकर, डायबिटीज मैनेज कर, कमर की साइज और वजन पर ध्यान देकर, हेल्दी डाइट अपनाकर और रेगुलर एक्सरसाइज कर स्ट्रोक से बचा जा सकता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारत में तेजी से बढ़ रहा स्ट्रोक का खतरा

एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर साल 18 लाख से ज्यादा स्ट्रोक के मामले सामने आते हैं. इनमें से लगभग 15 फीसद मामले 30 और 40 साल से ऊपर के लोगों को प्रभावित करते हैं.

फोर्टिस अस्पताल (नोएडा) में न्यूरोसर्जरी विभाग के वरिष्ठ न्यूरो एवं स्पाइन सर्जन डॉ राहुल गुप्ता के मुताबिक कुछ समय पहले तक युवाओं में स्ट्रोक के मामले सुनने में नहीं आते थे, लेकिन अब युवाओं में भी ब्रेन स्ट्रोक अपवाद नहीं है.  
ADVERTISEMENTREMOVE AD

ठंड में ब्रेन स्ट्रोक का ज्यादा खतरा क्यों?

नोएडा के फोर्टिस अस्पताल के न्यूरो सर्जन और ब्रेन स्ट्रोक विशेषज्ञ डॉ गुप्ता के मुताबिक ज्यादा ठंड में होने वाली मौतों का मुख्य कारण ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक होता है. उनके अनुसार सर्दियों में शरीर का ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जिसके कारण रक्त धमनियों में क्लॉटिंग होने से स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है.

इस मौसम में रक्त गाढ़ा हो जाता है और उसमें लसीलापन बढ़ जाता है, रक्त की पतली नलिकाएं संकरी हो जाती हैं, जिससे रक्त का दबाव बढ़ जाता है.

इसके अलावा सर्दियों में लोग कम पानी पीते हैं, जिसके कारण रक्त गाढ़ा हो जाता है और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.

डॉ गुप्ता सर्दियों में अधिक मात्रा में पानी और तरल पदार्थ लेने की सलाह देते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

(इनपुट: आईएएनएस, स्ट्रोक एसोसिएशन)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×