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सेलेब सुसाइड की खबर के बाद क्यों बढ़ जाते हैं खुदकुशी के मामले?

सुसाइड की रिपोर्टिंग कैसे करें, इस बारे में खास तौर पर सावधान रहने की जरूरत है

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(अगर आपके मन में भी खुदकुशी का ख्याल आ रहा है या आपके जानने वालों में कोई इस तरह की बातें कर रहा हो, तो लोकल इमरजेंसी सेवाओं, हेल्पलाइन और मेंटल हेल्थ NGOs के इन नंबरों पर कॉल करें.)

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सुसाइड की रिपोर्टिंग और खासकर किसी सेलिब्रिटी के मामले में पूरे मीडिया जगत को सावधानी बरतने की जरूरत क्यों है, ये हाल में सामने आए कुछ मामलों से जाहिर होता है.

इंडियाटाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद देश के अलग-अलग शहरों से चार नाबालिगों की कथित खुदकुशी से मौत के मामले सामने आए हैं.

रिपोर्ट में बताया गया है कि टीवी पर एक्टर की मौत से जुड़ी खबर आने के बाद वैसी ही खुदकुशी करने की कोशिश की गई.

दरअसल खुदकुशी के मामले की कोई खबर दर्शकों या रीडर्स तक पहुंचाने के दौरान ये मीडिया की जिम्मेदारी है कि इस दौरान काफी सतर्कता, संवेदनशीलता और खास सावधानी बरती जाए ताकि उस खबर का कोई नकारात्मक असर न पड़े.

ऐसे आंकड़े मौजूद हैं, जो ये बताते हैं कि किसी सेलिब्रिटी की सुसाइड से मौत के बाद सुसाइड के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई.

इंडियन लॉ सोसाइटी के सेंटर फॉर मेंटल हेल्थ लॉ एंड पॉलिसी के डायरेक्टर और कंसल्टेंट साइकियाट्रिस्ट डॉ सौमित्र पथारे बताते हैं कि खासकर किसी सेलिब्रिटी के सुसाइड में कॉपीकैट सुसाइड को लेकर कई एविडेंस हैं.

सुसाइड की किसी एक घटना की देखा-देखी उसी तरह की कोशिश करना कॉपीकैट सुसाइड कहलाता है.

डॉ पथारे बताते हैं,

फिल्मस्टार या रॉकस्टार के फैन्स में कॉपीकैट सुसाइड की आशंका हो सकती है. इसलिए मीडिया को किसी सेलिब्रिटी के सुसाइड में खास ख्याल रखने की जरूरत है, विशेष तौर पर युवा हस्तियों को लेकर, ताकि कॉपीकैट सुसाइड जैसे मामले न हों.

इस रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में कॉमेडियन रॉबिन विलियम्स की मौत के बाद सुसाइड के मामलों में लगभग 10% वृद्धि हुई, खासकर अधेड़ उम्र के पुरुषों में इसके बाद खुदकुशी से ज्यादा मौत हुई.

भारत में इसे लेकर विशेष रूप से कोई डेटा नहीं है और इसका प्रभाव किस हद तक पड़ता है, इसका पता नहीं है, लेकिन दर्शकों पर मीडिया द्वारा पेश की गई चीजों का असर होता है.

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फोर्टिस हेल्थकेयर में मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेज डिपार्टमेंट की हेड और क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ कामना छिब्बर कहती हैं,

यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि सेलिब्रिटी की खुदकुशी से जुड़ी मौत के बारे में बेहद संवेदनशीलता से रिपोर्टिंग की जाए क्योंकि सेलिब्रिटी रोल मॉडल होते हैं और बहुत से लोग, विशेष रूप से युवा, उनका अनुसरण करते हैं. इस तरह की घटनाओं से वे जो अर्थ और तर्क निकालेंगे, वह उकसावा हो सकता है, जो आगे कॉपीकैट सुसाइड की वजह बन सकता है.

खुदकुशी की रिपोर्टिंग पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशानिर्देशों के अनुसार, खुदकुशी में इस्तेमाल किए तरीकों का विवरण देना, घटना का बारीकी से ब्योरा देना और रिपोर्ट को चित्रों या शब्दों से सनसनीखेज बनाना, इनसे हर कीमत पर बचने की जरूरत बताई गई है.

डॉ पथारे के मुताबिक खराब रिपोर्टिंग से आत्महत्या के मामले बढ़ सकते हैं, वहीं अच्छी रिपोर्टिंग से सुसाइड रेट को कम करने में मदद मिल सकती है. जरूरी है कि सुसाइड की कोई खबर सामने आए, तो हमारा फोकस जागरुकता लाने पर होना चाहिए न कि उससे सनसनी फैलाना.

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