ADVERTISEMENTREMOVE AD

World Pulses Day| खाने में क्यों शामिल करें दालें, जानिए फायदे

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

(एक हेल्दी डाइट के लिए दालों की क्या भूमिका होती है और दलहन फसलें पृथ्वी और हमारे पर्यावरण के लिए कितनी खास हैं, इस पर जागरुकता लाने के लिए 10 फरवरी को वर्ल्ड पल्सेस डे मनाया जाता है. इस मौके पर जानिए खाने में तरह-तरह की दालें और ड्राई बीन्स हमारी सेहत के लिए कितनी फायदेमंद हैं.)

भारत में दालें हमारी डेली डाइट का अहम हिस्सा हैं, दाल-रोटी या दाल-चावल ज्यादातर परिवारों में रोजाना खाया जाता है. इसके अलावा सांभर, दही-बड़े, फरे, छोले, कई तरह की सब्जियों में कोई न कोई दाल या ड्राई बीन्स मुख्य सामग्री होती है.

अरहर, चना, मसूर, उरद, मूंग, काबुली चना, राजमा, ड्राई मटर, ड्राई बीन्स से आप वाकिफ होंगे. ये दलहन में आते हैं, दलहन यानी वो अन्न जिनसे दाल बनती हो.

ये खासकर उन क्षेत्रों में प्रोटीन का एक आदर्श स्रोत हैं, जहां मांस और डेयरी भौतिक या आर्थिक रूप से सुलभ नहीं हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

न्यूट्रिशनल वैल्यू के नाते हमारी सेहत के लिए बेहद खास हैं दालें और ड्राई बीन्स

प्लांट बेस्ड प्रोटीन का बेस्ट सोर्स

  • दालें प्लांट बेस्ड प्रोटीन का सबसे बढ़िया सोर्स होती हैं.

इसलिए वेजिटेरियन लोगों के लिए इनका सेवन और महत्वपूर्ण हो जाता है.

हालांकि दालों को इन्कम्पलीट प्रोटीन कहा जाता है क्योंकि इनमें एक या एक से अधिक आवश्यक अमीनो एसिड की आंशिक रूप से कमी होती है.

मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में चीफ डाइटीशियन डेलनाज टी चंदूवाडिया बताती हैं कि इसी गैप को भरने के लिए दालों को दूसरे अनाज के साथ कंबाइन किया जाता है.

दालों को जब चावल, आटा या दूसरे अनाज (जो सल्फर वाले एमिनो एसिड से भरपूर होते हैं) के साथ खाया जाता है, तो आवश्यक एमिनो एसिड की पूर्ति हो जाती है.

लो फैट और नो कोलेस्ट्रॉल

  • दलहनों में फैट यानी वसा कम होता है और इसमें कोई कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है, जो हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में योगदान कर सकता है.
कई शोध हुए हैं, जो बताते हैं कि दालें कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकती हैं, वेट मैनेजमेंट और ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने में मददगार हो सकती हैं.
डेलनाज टी चंदूवाडिया, चीफ डाइटीशियन, जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई

लो सोडियम और हाई पोटेशियम

  • दालों में सोडियम भी कम होता है. लो सोडियम वाली चीजें खाकर हाइपरटेंशन से बचने में मदद मिल सकती है.
  • दालों में पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है, जो हार्ट हेल्थ के लिए अच्छा है और पाचन, मांसपेशियों के कार्यों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

चंदूवाडिया बताती हैं कि ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने वाला प्रभाव दालों में पोटेशियम की अधिक मात्रा होने के नाते ही होता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हाई फाइबर और लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स

  • दलहन हाई फाइबर फूड में आते हैं, जो पाचन में मदद करने के लिए आवश्यक है और हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मददगार होता है.
दालों में मौजूद फाइबर के कारण आपका पेट लंबे समय तक भरा रहता है और इसलिए वजन घटाने की कोशिश कर रहे लोगों के लिए डाइट में दालों को जगह देना फायदेमंद है.
डेलनाज टी चंदूवाडिया, चीफ डाइटीशियन, जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई
  • दालें और ड्राई बीन्स कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ हैं. ये ब्लड शुगर और इंसुलिन के लेवल को स्थिर करने में मदद करती हैं, इस तरह डायबिटिक लोगों के लिए उपयुक्त होती हैं और वजन को मैनेज करने में भी सहायता देती हैं.
दालों में जिस तरह का फाइबर मौजूद होता है, वो हमारे शरीर को सिंपल शुगर नहीं देता है. उसके पाचन के लिए शरीर को उसे ब्रेक करने में वक्त लगता है और इसलिए दालें ब्लड शुगर लेवल में अचानक वृद्धि नहीं करती हैं.
डेलनाज टी चंदूवाडिया, चीफ डाइटीशियन, जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई

इन्हीं फायदों के कारण हेल्द एक्सपर्ट्स डायबिटीज और दिल की बीमारियों जैसे गैर-संचारी रोगों के मैनेजमेंट के लिए इनके सेवन की सिफारिश करते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

आयरन और फोलेट का सोर्स

  • दालें आयरन का अच्छा स्रोत हैं. आयरन की कमी को कुपोषण के सबसे प्रचलित रूपों में से एक माना जाता है और यह एनीमिया के सबसे सामान्य प्रकारों में से एक है.
दालों से हमारे शरीर में आयरन के अवशोषण में मदद के लिए, इन्हें विटामिन C वाली चीजों (उदाहरण के लिए दाल करी पर नींबू का रस) के साथ मिलाकर खाएं.
  • दालें फोलेट (एक B-विटामिन) का एक उत्कृष्ट स्रोत हैं, जो तंत्रिका तंत्र के कार्य के लिए आवश्यक है और विशेष रूप से गर्भावस्था के दौरान महत्वपूर्ण होता है.
  • दालें ग्लूटेन-फ्री भी होती हैं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

चंदूवाडिया ये भी बताती हैं कि दालों में ओलिगोसैकराइड कार्बोहाइड्रेट होता है, जो प्रतिरोधी स्टार्च से भरपूर होते हैं और गुड बैक्टीरिया के प्रोडक्शन में मदद देते हैं, जो कि एक स्वस्थ आंत का आधार बनता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए फिट आपको डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह देता है.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×