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क्या आयुर्वेद के मुताबिक सेहत के लिए अच्छा नहीं है भुजिया चावल?

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आपने भुजिया चावल के बारे में सुना होगा. धान (छिलके सहित चावल) को भिगोने, फिर आंशिक रूप से उबालने के बाद, उसे सुखाकर जो चावल निकाला जाता है, उसे भुजिया या उसना या सेला चावल (Parboiled Rice) कहते हैं.

एक रीडर ने हमसे सवाल किया, "क्या रोजाना पारबॉयल्ड राइस का सेवन सुरक्षित है?" इस सवाल में कहा गया चूंकि आयुर्वेद में पहले से पके या आंशिक रूप से उबाले गए (parboiled) अनाज के सेवन की मनाही है, तो इसका सेवन कितना सुरक्षित है.

पूछे गए सवाल का स्क्रीनशॉट
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ScienceDirect के एक आर्टिकल के मुताबिक पारबॉयल्ड चावल की उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई और आज दुनिया भर में उपजने वाले कुल धान के एक-चौथाई हिस्से का इस्तेमाल पारबॉयल्ड चावल के लिए किया जाता है. यानी इस तरह के चावल का इस्तेमाल सदियों से और व्यापक तौर पर होता रहा है.

क्या पारबॉयल्ड राइस खाना सुरक्षित है?

अब इस तरह का चावल सेहत के लिए सुरक्षित है या नहीं, ये जानने के लिए हमने कंसल्टेंट न्यूट्रिशनिस्ट रुपाली दत्ता, जीवा आयुर्वेद के डायरेक्टर डॉ प्रताप चौहान और न्यूट्रिशनिस्ट कविता देवगन से बात की.

सभी ने सबसे पहले ये साफ किया कि भुजिया चावल कोई नुकसान करने वाली चीज नहीं है बल्कि सामान्य सफेद चावल के मुकाबले इसमें ज्यादा फाइबर, प्रोटीन और विटामिन B होता है.

प्रोसेस्ड और पॉलिश किए गए सफेद चावल के मुकाबले भुजिया चावल में फाइबर और कुछ पोषक तत्व ज्यादा होते हैं. पानी में घुलने वाले न्यूट्रिएंट्स धान को पहले भिगोने और फिर उबालने के दौरान छिलके से चावल में अवशोषित हो जाते हैं.
रुपाली दत्ता, कंसल्टेंट न्यूट्रिशनिस्ट

न्यूट्रिशनिस्ट कविता देवगन भी इसे सफेद चावल से ज्यादा पोषक बताते हुए कहती हैं, "इसमें रेजिस्टेंट स्टार्च ज्यादा होने के नाते ये ब्लड शुगर भी उतना नहीं बढ़ाता जितना कि सफेद चावल के सेवन से बढ़ता है."

चूंकि ये आंशिक रूप से पका होता है, इसलिए इसमें वो न्यूट्रिएंट्स भी मौजूद होते हैं, जो सफेद चावल में रिफाइनिंग के दौरान नष्ट हो जाते हैं.
कविता देवगन
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क्या है आयुर्वेदिक दृष्टिकोण?

जीवा आयुर्वेद के डायरेक्टर डॉ प्रताप चौहान के मुताबिक आयुर्वेद की दृष्टि से भी भुजिया चावल का सेवन असुरक्षित नहीं कहा जा सकता है. अगर आप चावल खा सकते हैं, तो इससे कोई नुकसान नहीं है और पारबॉयलिंग के भी अपने फायदे हैं.

इस प्रक्रिया के कारण चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम हो जाता है यानी इसे खाने के बाद ब्लड में ग्लूकोज तेजी से नहीं बढ़ता. इसलिए मोटापे और डायबिटीज जैसी कंडिशन में सफेद चावल के मुकाबले पारबॉयल्ड चावल कुछ बेहतर होता है.
डॉ प्रताप चौहान, आयुर्वेदाचार्य

वो कहते हैं कि अगर आपको धान के ऊपरी परत में मौजूद न्यूट्रिएंट्स चाहिए तो आप इस तरह का चावल ले सकते हैं, लेकिन ये बात भी सही है कि आयुर्वेद में ब्राउन राइस को ज्यादा अहमियत दी गई है.

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निष्कर्ष

पारबॉयल्ड राइस रोजाना इस्तेमाल होने वाले सफेद चावल के मुकाबले ज्यादा हेल्दी होता है, लेकिन ब्राउन राइस को एक्सपर्ट्स सबसे ज्यादा पोषक विकल्प बताते हैं.

आयुर्वेद के जानकार भी पारबॉयल्ड राइस खाने को नुकसानदायक नहीं बताते हैं. इसलिए कुलमिलाकर हम ये कह सकते हैं कि पारबॉयल्ड राइस यानी भुजिया चावल खाना असुरक्षित नहीं है.

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