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सुपर हीरो बन अपने बच्चे को बचाएं, टीका जरूर लगवाएं: शिल्पा शेट्टी

‘इस वर्ल्ड इम्यूनाइजेशन वीक अपने बच्चों के हीरो बनें. उन्हें टीका लगवाएं.’

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मेरा बेटा सुपर हीरोज का फैन है. वह सभी नई फिल्में देखता है और अपने एक्शन फिगर के साथ खेलना पसंद करता है. हीरोज दूसरों को बचाने, इंसाफ को बढ़ावा देने और आखिर में बुराई पर जीत के प्रतीक होते हैं. लेकिन हीरोज सिर्फ फिल्मों में नहीं होते.

असल जिंदगी में भी कुछ हीरोज होते हैं, जो पर्दे के पीछे काम करते हैं, जो दशकों से हमें जानलेवा बीमारियों के खतरे से सुरक्षा दे रहे हैं. ये हीरोज चुपचाप हर दिन हमारी एक खास चीज की रक्षा कर रहे हैं- वो है हमारी सेहत.

हमारे आसपास मौजूद ये हीरोज इसी एक मकसद के लिए काम कर रहे हैं. साइंटिस्ट, रिसर्चर और मेडिकल एक्सपर्ट अपने ज्ञान और विशेषज्ञता का इस्तेमाल हमारी रक्षा करने के नए तरीके खोजने में कर रहे हैं.

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ये लोग बिना रुके, बिना थके सालों तक काम करते हैं, वैक्सीन जैसे इलाज और बचाव के टूल्स डेवलप करते हैं.

ये उनका ही प्रयास रहा है कि आज हम उस स्मॉलपॉक्स (चेचक) के खात्मे में कामयाब रहे, जिसके कारण कुछ दशक पहले हजारों बच्चों और व्यस्कों की जान चली जाती थी.

हाल ही में भारत के वैज्ञानिकों ने गंभीर किस्म के डायरिया से निपटने के लिए एक वैक्सीन तैयार की है.

इनके अलावा और हीरोज हैं, जो समस्या के दूसरे हिस्सों को सुलझाते हैं. इनोवेटर्स होते हैं, जो तकनीकी समाधानों के जरिए दुनिया भर में जीवन रक्षक मेडिकल टूल्स उपलब्ध कराने में मदद करते हैं.

हेल्थ वर्कर्स होते हैं, जो आगे बढ़कर कई तरह की समस्याओं का सामना करते हुए दुर्गम इलाकों तक पहुंचते हैं ताकि देशभर के बच्चों का वैक्सीनेशन हो सके.

ये इन्हीं हीरोज की देन है कि पिछले दो दशकों में चाइल्ड हेल्थ में सुधार लाने में भारत ने प्रगति की है. आज, 1990 की तुलना में एक बच्चे के पांच साल की उम्र में जीवित रहने की संभावना तीन गुना अधिक है.

हमारे देश का टीकाकरण कार्यक्रम लाभार्थियों की संख्या, भौगोलिक प्रसार और कवर किए गए क्षेत्रों की विविधता के मामले में दुनिया में सबसे बड़ा है.

वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, हेल्थकेयर वर्कर्स और पॉलिसीमेकर्स- इन रियल लाइफ हीरोज ने जो हासिल किया है, उसका कोई मुकाबला नहीं है.

अपने बच्चे को टीका लगवाने वाले पैरेंट्स हैं सुपर हीरो

सुपर हीरोज की एक ओर कैटेगरी है, जिन पर अक्सर हमारा ध्यान ही नहीं जाता. वो हैं, पैरेंट्स, जी हां, आपके और मेरे जैसे पैरेंट्स.

वो पैरेंट्स जिन्होंने ये ठान रखा है कि वो अपने बच्चों को खसरा, न्यूमोनिया और डायरिया जैसी गंभीर और यहां तक कि जानलेवा बीमारियों, जिनसे बचा जा सकता है, उन बीमारियों से बचाएंगे. वो पैरेंट्स जो अपने बच्चों के लिए जरूरी सभी वैक्सीन्स लगवाते हैं.

ऐसे पैरेंट्स न सिर्फ अपने बच्चों को इन बीमारियों से सुरक्षित कर रहे हैं, बल्कि ये सुनिश्चित कर रहे हैं कि पूरा देश सुरक्षित हो.

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बीमारियों से बचाव के अलावा टीके लगवाने के और भी फायदे हैं. वैक्सीनेशन बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक होता है.

इससे प्रोडक्टिविटी बढ़ती है, स्वास्थ्य पर खर्च घटता है और आर्थिक विकास होता है, जो परिवार और देश दोनों के लिए अहम है.

हमारे बच्चों के लिए दुनिया को सुरक्षित बनाने का काम करने वाला हर नायक सराहना का हकदार है. पैरेंट्स के तौर पर हमें उनकी कड़ी मेहनत को पहचानने की जरूरत है.

इस वर्ल्ड इम्यूनाइजेशन वीक अपने बच्चों के हीरो बनें. उन्हें टीका लगवाएं और संभव है कि आज जो बीमारियां हमें चिंतित करती हैं, वो दूर हो जाएं.

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