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Gujarat Election: कांग्रेस KHAM थ्योरी से 149 सीटें जीती थी, अबकी बार करेगी काम?

Gujarat Assembly Election 2022: कांग्रेस ने गुजरात में आदिवासी सुखराम राठवा को नेता प्रतिपक्ष बनाया है.

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गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election 2022) में बीजेपी (BJP), कांग्रेस (Congress) और आम आदमी पार्टी (AAP) गुजरात में सर्दी के मौसम में सियासी पारा चढ़ाये हुए हैं. गुजरात की राजनीति दशकों से नरेंद्र मोदी के इर्द गिर्द घूम रही है. लेकिन एक वक्त था जब पत्रकार से राजनीति में आये माधव सिंह सोलंकी गुजरात की राजनीति की धुरी हुआ करते थे. उन्होंने गुजरात में एक नहीं बल्कि दो बार एक थ्योरी से चुनाव जीता. इस थ्योरी को खाम (KHAM) कहा गया, जिसके बारे में हम नीचे बात करेंगे कि ये क्या है? इस वक्त क्यों चर्चा में है, क्योंकि इस थ्योरी से कांग्रेस ने एक बार गुजरात में रिकॉर्ड 149 सीटें जीती थीं. जो आज तक नरेंद्र मोदी भी नहीं तोड़ पाये, हालांकि बीजेपी ने इस बार 150 पार का नारा दिया है.

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खाम (KHAM) थ्योरी क्या है?

  • K= Kshatriya

  • H= Harijan

  • A= Adivasi

  • M= Muslim

1980 में जब जनता पार्टी सरकार गिरने के बाद राज्य में चुनाव का ऐलान हुआ तो कांग्रेस ने 107 दिनों तक सीएम रहे माधव सिंह सोलंकी को चुनावी कमान सौंप दी. वो एक जातीय समीकरण लेकर आये, जिसे खाम थ्योरी का नाम दिया गया. जिसमें K का मतलब था क्षत्रिय, H का मतलब हरिजन, A का मतलब आदिवासी और M का मतलब था मुस्लिम. माधव सिंह सोलंकी की अगुवाई में कांग्रेस ने इस थ्योरी से 1980 में 182 सीटों में से 141 सीटों पर जीत दर्ज की. इसी के सहारे कांग्रेस ने 1985 का चुनाव भी लड़ा और 149 सीटें जीतकर सरकार बनाई. जो आजतक रिकॉर्ड है.

इस थ्योरी की काट के लिए बाद में जनता दल के चिमनभाई पटेल एक और थ्योरी लेकर आये जिसके बारे में नीचे बात करेंगे लेकिन पहले जानिए कि इस थ्योरी का जिक्र अभी क्यों?
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KHAM थ्योरी अभी क्यों चर्चा में है? गुजरात में कांग्रेस ने चुनाव से कुछ समय पहले कई बदलाव किये हैं. जो इस ओर इशारा कर रहे हैं कि एक बार फिर कांग्रेस खाम थ्योरी को आजमाना चाहती है, जरा देखिए उन्होंने नेता प्रतिपक्ष को बदला है और पाटीदार परेश धानाणी को हटाकर आदिवासी सुखराम राठवा को लेकर आये हैं. प्रदेश अध्यक्ष उन्होंने ओबीसी नेता जगदीश ठाकोर को बनाया है और दलित चेहरे के रूप में उनके पास जिग्नेश मेवानी हैं. मुस्लिम समुदाय में कांग्रेस के लिए पहले अहमद पटेल एक बड़े फैक्टर के तौर पर काम करते थे जिनकी मृत्यु के बाद कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि उनकी बेटी के सहारे चुनाव में लीड ले सकते हैं.

हालांकि इसमें असदुद्दीन ओवैसी कांग्रेस के सामने आ सकते हैं, जो इस बार गुजरात में चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन शायद कांग्रेस ये मानकर चल रही है कि हमेशा की तरह बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय उन्हें ही वोट करेगा. हालांकि इस सबमें एक सवाल और है कि जिस थ्योरी की बात कांग्रेस के लिए की जा रही है उसके सहारे वो कितने वोटों को साध सकती है और वो कितनी सीटों में कन्वर्ट हो सकता है. तो कितनी सीटों में कन्वर्ट हो सकता है वो ऊपर हम आपको उदाहरण दे चुके हैं.

रही बात इन चारों समुदायों की संख्या की तो इस वक्त गुजरात में करीब 14 प्रतिशत क्षत्रिय, करीब 8 फीसदी दलित, करीब 15 फीसदी आदिवासी और लगभग 10 फीसदी मुस्लिम हैं.

KHAM थ्योरी से कांग्रेस को कितने वोट मिले?

  • 1980 में कांग्रेस को 51.04 फीसदी वोट मिले थे और सीटें 75 से बढ़कर 141 हो गईं

  • 1985 में कांग्रेस को 55.55 प्रतिशत वोट मिले और 149 सीटें जीती

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खाम थ्योरी की काट चिमनभाई पटेल ने निकाली थी...KHAM थ्योरी के जवाब में 1990 में जनता दल के चिमनभाई पटेल एक और थ्योरी लेकर आये जिसे कोकम(KOKAM) कहा गया. पहले चिमनभाई भी कांग्रेस में हुआ करते थे. उन्होंने जो सामाजिक संगठन साधा था उसमें को का मतलब था कोली, क का मतलब था कणबी और म का मतलब मुस्लिम था. इसका फायदा ये हुआ कि चिमनभाई पटेल की पार्टी सबसे ज्यादा 70 सीटें जीतकर बड़ी पार्टी बनी और गठबंधन की सरकार बनाई. चिमनभाई पटेल की अगुवाई वाले जनता दल को 29.36 फीसदी वोट मिले थे.

इस सबके बीच रोचक बात ये है कि खाम और कोकम दोनों ही थ्योरी लाने वाले नेताओं के बेटे अब कांग्रेस में हैं. माधव सिंह सोलंकी के बेटे भरत सोलंकी और चिमनभाई पटेल के बेटे सिद्धार्थ पटेल भी कांग्रेस में ही हैं.

बीजेपी की रणनीती पर भारी पड़ेगी कांग्रेस की थ्योरी? कांग्रेस गुजरात में 27 साल से सत्ता से दूर है और वापसी की पुरजोर कोशिश कर रही है. जिसके सामने मजबूत बीजेपी है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य में उनके और अमित शाह के सहारे एक बार फिर जीत तक पहुंचना चाहती है और 150 पार का नारा दे रही है. गुजरात में कुल 182 सीटें हैं, जिनके लिए इस बार कांग्रेस और बीजेपी के अलावा आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM भी किस्मत आजमा रही हैं.

गुजरात चुनाव से जुड़ी क्विंट हिंदी की पूरी कवरेज आप यहां क्लिक कर देख सकते हैं.

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