तमिलनाडु में शनिवार को एक सर्वदलीय बैठक में समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के लिए संविधान के संशोधन को खारिज करने का एक प्रस्ताव पारित किया गया।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की अध्यक्षता में हुई बैठक में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया गया है।
बैठक में कांग्रेस, पीएमके, एमडीएमके, सीपीएम, सीपीआई, वीसीके, एमएमके, तमिलगा वल्वुरिमाई काची, कोंगुनाडु मक्कल देसिया काची के प्रतिनिधि मौजूद थे, जबकि अन्नाद्रमुक और भाजपा ने बैठक का बहिष्कार किया। अपदस्थ अन्नाद्रमुक नेता ओ. पन्नीरसेल्वम गुट ने भी बैठक का बहिष्कार किया।
प्रस्ताव में कहा गया है कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान में निर्धारित सामाजिक न्याय सिद्धांत के विपरीत है और आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों के खिलाफ भी था।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि यदि ईडब्ल्यूएस लागू किया गया तो इससे राज्य में सामाजिक न्याय के सिद्धांत का विनाश होगा।
उन्होंने कहा, वे सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े को हटा देंगे और हर चीज में आर्थिक रूप से जोड़ देंगे। इसलिए हमने संसद में संशोधन का विरोध किया और इसके खिलाफ मतदान किया।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय की नौ सदस्यीय पीठ ने 1992 में फैसला सुनाया था कि आर्थिक आधार पर आरक्षण अमान्य था।
उन्होंने कहा कि संविधान के संस्थापकों में जवाहरलाल नेहरू और डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को शामिल करना स्वीकार नहीं किया।
मुख्यमंत्री ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए तय मानदंडों पर भी सवाल उठाया और पूछा, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षण मानदंड प्रति वर्ष 8 लाख रुपये तय किया गया है। इसका मतलब है कि जो लोग प्रति माह 66,000 रुपये कमा रहे हैं वह गरीब हैं।
स्टालिन ने कहा कि यह अगड़ी जाति के गरीबों के लिए आरक्षण नहीं, बल्कि अगड़ी जातियों के लिए आरक्षण है। तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी ने ईडब्ल्यूएस को खारिज करने वाले प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर इसका स्वागत किया था।
तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी ने बैठक के बाद मीडियाकर्मियों से कहा कि राज्य सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर करने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन इसे पार्टियों द्वारा दायर किया जाएगा। मंत्री ने यह भी कहा कि तमिलनाडु सरकार ईडब्ल्यूएस आरक्षण को लागू नहीं करेगी और इसके बजाय केवल 69 प्रतिशत आरक्षण लागू करेगी।
के. पोनमुडी ने एआईएडीएमके द्वारा विधायक दल के प्रतिनिधियों की सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार करने पर निराशा व्यक्त की।
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)