'जटायु आतंकवाद से लड़ने वाला पहला व्यक्ति था'. लखनऊ की ऐशबाग रामलीला कार्यक्रम में पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी के बिल्कुल यही शब्द थे. पीएम के जटायु का जिक्र करने के बाद इसे लेकर लोगों के मन में यह सवाल उठने लगा कि जटायु ने ऐसा क्या किया था, जो आज तक उसका जिक्र हो रहा है. और आतंकवाद से रामायण का वास्ता है?
सीताहरण के दौरान रावण से किया युद्ध
जटायु के बारे में जो सबसे ज्यादा आम बात लोगों को पता है, वह यह है कि जटायु ने सीता का हरण कर ले जा रहे रावण से आखिरी दम तक युद्ध किया था, लेकिन रावण के प्रहार से जटायु का एक पंख कट गया जिस वजह से उसकी मौत हो गई थी. जटायु और रावण के इसी यु्द्ध को पीएम आतंकवाद के खिलाफ लड़ा सबसे पहला युद्ध मान रहे हैं.
जटायु के भाई ने की थी राम की मदद
यदि बुराई के प्रतीक रावण के खिलाफ युद्ध करने को 'आतंक के खिलाफ' पहला युद्ध कहा जाए तो इस युद्ध में सिर्फ जटायु ही नहीं बल्कि उनके भाई 'सम्पाति' ने भी मदद की थी. वह सम्पाति ही था, जिसने राम को लंका पार जाने का रास्ता बताया था.
सूर्य तक लगाई थी रेस
वृत्तासुर नाम के राक्षस का वध होने के बाद सम्पाति और जटायु को खुद पर घमंड हो गया. दोनों ने तय किया कि विंध्याचल में सूर्य के छिपने तक उसका पीछा किया जाए. इसके बाद जटायु के पंख जलने लगे तो सम्पाति ने उसे अपने पंखों में छिपा लिया, जिसके बाद जटायु तो बच गया, लेकिन सम्पाति के पंख जल गए और उसने उड़ने की शक्ति खो दी.
केरल के कोल्लम जिले में है जटायु पार्क
राम ने घायल जटायु की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार किया. जिस जगह जटायु का अंतिम संस्कार किया गया था, वह जगह केरल के कोल्लम जिले में है. जहां जटायु नेचर पार्क के नाम से जटायु का स्कल्पचर भी लगाया गया है.
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