वो सिपाही जो देश की सीमाओं पर दुश्मन से डटकर लोहा लेते हैं. कभी दुर्गम पहाड़ों में, तो कभी बर्फीले तूफानों में, कभी हाड़ कंपकंपाने वाली सर्दी में, तो कभी तपते रेगिस्तानों में, कभी मौत की घाटियों में, तो कभी दुश्मन के इलाके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले, देश के महान सपूतों को मेरा सलाम.
नमन उन सिपाहियों को जो बर्फीले तूफानों मे डटकर खड़े होते हुए, खुद तो जम जाते हैं, लेकिन दुश्मन को पैर जमाने का मौका नहीं देते. नमन उन वीरों को जो दुश्मन की गोलियों को अपने सीने पर झेल, खुद तो गिर जाते हैं, लेकिन तिरंगे को नीचे नहीं गिरने देते.
नमन उन सभी सेनानियों को जिन्होंने इस देश की खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी. नमन गुरु गोबिंद सिंह जी को जिन्होंने देश और धर्म की खातिर अपना सर्वस्व कुर्बान कर दिया. नमन झांसी की रानी, तात्या टोपे, भगत सिंह, आजाद, और सुभाष चंद्र बोस जैसे वीरों को, जो देश की खातिर मौत को गले लगा गए.
आज उन सबकी कुर्बानियों की वजह से हम लोग अपने घरों मे चैन से बैठे हैं वरना शायद आज भी हम गुलामी की जंजीरों मे जकड़े हुए होते. सरकारों से हमारी यही दरख्वास्त है कि ऐसे महान सपूतों को, देश की सीमाओं पर भी हर जरूरी सहूलियत मिलनी चाहिए. और हम लोगों को भी इनके परिवारों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए.
वन्दे मातरम्.
B S Vohra
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