भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने नए साल पर इतिहास रच दिया है. ISRO ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और बड़ी छलांग लगाई है. भारत का पहला अंतरिक्ष-आधारित सोलर ऑब्जर्वेट्री, आदित्य-एल1 सैटेलाइट (Aditya L1 Satellite) 6 जनवरी को शाम 4 बजे अपनी निर्धारित कक्षा में पहुंच गया है. आदित्य-एल1 को ‘लैग्रेंज प्वाइंट 1’ (L1) के आसपास एक 'हेलो ऑर्बिट' (Halo Orbit) में स्थापित किया गया है. ‘एल1 प्वाइंट’ पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है और पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है.
इस उपलब्धि के साथ ही आदित्य एल-1 सूरज की स्टडी कर रहे NASA के चार अन्य सैटेलाइट्स के समूह में शामिल हो गया है. ये सैटेलाइट्स हैं- WIND, Advanced Composition Explorer (ACE), Deep Space Climate Observatory (DSCOVER) और नासा-ESA का ज्वाइंट मिशन सोहो यानी सोलर एंड हेलियोस्फेयरिक ऑब्जर्वेटरी.
आदित्य-L1 के हेलो ऑर्बिट में प्रवेश करने पर ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा, "यह हमारे लिए बहुत संतुष्टिदायक है क्योंकि यह एक लंबी यात्रा का अंत है. लिफ्ट-ऑफ से लेकर अब तक 126 दिन बाद यह अंतिम बिंदु पर पहुंच गया है. इसलिए अंतिम बिंदु तक पहुंचना हमेशा एक चिंताजनक क्षण होता है, लेकिन हम इसके बारे में बहुत आश्वस्त थे. तो जैसा अनुमान लगाया गया था वैसा ही हुआ."
PM मोदी बोले- यह हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण
आदित्य L1 के अपने मंजिल पर पहुंचने पर पीएम मोदी ने खुशी जाहिर करते हुए ट्वीट किया, "भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की. भारत की पहली सोलर ऑब्जर्वेटरी आदित्य-एल1 अपने मंजिल तक पहुंची. यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं. हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे."
L1 प्वाइंट क्या है?
‘लैग्रेंज प्वाइंट’ वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाएगा. ‘हेलो’ कक्षा, एल 1 , एल 2 या एल 3 ‘लैग्रेंज प्वाइंट’ में से एक के पास एक आवधिक, त्रि-आयामी कक्षा है. ISRO के मुताबिक, "अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेन्जियन बिंदु 1 (एल 1) के आसपास 'हेलो ऑर्बिट' में रखने की योजना है, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है."
एल1 प्वाइंट’ के चारों ओर ‘हेलो’ कक्षा में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है. आदित्य एल-1 के जरिए वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अध्ययन संभव हो सकेगा.
आदित्य-एल1 मिशन का लक्ष्य
आदित्य एल-1 मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं और पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है.
PTI की रिपोर्ट के अनुसार, ISRO प्रमुख ने कहा था कि डेटा सूर्य की गतिशीलता को समझने में बहुत उपयोगी होगा और यह भी बताएगा कि यह हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करता है.
"एक बार जब यह सफलतापूर्वक एल1 बिंदु पर पहुंच जाएगा तो यह अगले पांच सालों तक वहां रहेगा और सभी डेटा इकट्ठा करेगा, जो अकेले भारत के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं."
आदित्य एल1 में सात पेलोड लगे हैं:
विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC)
सोलर अल्ट्रा-वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT)
आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX)
प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (PAPA)
सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS)
हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS)
एडवांस्ड ट्राई-एक्सियल हाई रेजॉलूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर
ISRO ने 8 दिसंबर 2023 को घोषणा की थी कि आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान पर लगे सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) उपकरण ने सूरज की पहली फुल-डिस्क तस्वीरों को सफलतापूर्वक कैप्चर किया है. इसरो ने इसकी तस्वीरें भी शेयर कीं
127 दिन के सफर के बाद मंजिल पर पहुंचा आदित्य एल-1
बता दें कि आदित्य एल-1 मिशन को 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा से ISRO ने लॉन्च किया था. पीएसएलवी ने 63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान के बाद उसने पृथ्वी की आसपास की अंडाकार कक्षा में आदित्य-एल1 को स्थापित किया था. आदित्य एल-1 127 के सफर के बाद अपनी मंजिल पर पहुंचा है.
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