आर्टिकल 370 (Article 370) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने आर्टिकल 370 को रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा है. वहीं, जम्मू कश्मीर में 30 सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को कदम उठाने का निर्देश दिया है. चलिए जानते हैं कि कोर्ट ने अपने फैसले में क्या-क्या कहा?
इस मामले तीन फैसले पढ़े गए, एक सीजेआई का खुद का फैसला, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत का एक फैसला और जस्टिस एसके कौल और जस्टिस संजीव खन्ना का एक फैसला. हालांकि ये तीनों फैसले एक दूसरे से सहमति रखते हैं केवल तीनों फैसलों की बातों में थोड़ा सा अंतर है.
सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 को रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा है.
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की वैधता बरकरार रखी. अदालत ने कहा कि जबकि 2019 में जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित करना एक अस्थायी कदम था, इसलिए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल हो.
अदालत ने कहा कि, केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख के पुनर्गठन को बरकरार रखा गया है. इसका मतलब लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश रहेगा.
सीजेआई ने कहा कि, "हम निर्देश देते हैं कि भारत के चुनाव आयोग द्वारा 30 सितंबर तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाएं. राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाएगा."
शीर्ष अदालत ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा अगस्त 2019 का आदेश जारी करने के लिए अनुच्छेद 370(3) के तहत शक्ति के प्रयोग में कोई गड़बड़ी नहीं है. हम राष्ट्रपति की शक्ति के प्रयोग को वैध मानते हैं.
अदालत ने कहा कि, आर्टिकल 370 एक अस्थायी प्रावधान था.
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत में विलय के बाद जम्मू-कश्मीर के पास कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है.
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