सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित BBC डॉक्यूमेंट्री को सेंसर करने से रोकने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है, साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है.
बता दें कि डॉक्यूमेंट्री को सोशल मीडिया और ऑनलाइन चैनलों पर प्रतिबंधित कर दिया गया है, लेकिन कुछ छात्रों ने देश भर के अलग-अलग विश्वविद्यालयों के परिसरों में इसकी स्क्रीनिंग की है. शर्मा की याचिका में तर्क दिया गया था कि बीबीसी डॉक्यूमेंट्री ने 2002 के दंगों के पीड़ितों के साथ-साथ दंगों के परिदृश्य में शामिल अन्य संबंधित व्यक्तियों की मूल रिकॉडिंग के साथ वास्तविक तथ्यों को दर्शाया है और इसे न्यायिक न्याय के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
पत्रकार एन. राम, तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा, और वकील प्रशांत भूषण ने डॉक्यूमेंट्री के लिंक के साथ अपने ट्वीट को हटाने के खिलाफ एक अलग याचिका दायर की है, राम और अन्य द्वारा दायर याचिका में कहा गया है- बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की सामग्री और याचिकाकर्ता नंबर 2 (भूषण) और 3 (मोइत्रा) के ट्वीट भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत संरक्षित हैं. डॉक्यूमेंट्री की सामग्री अनुच्छेद 19(2) के तहत निर्दिष्ट किसी भी प्रतिबंध या आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 69ए के तहत लगाए गए प्रतिबंधों के अंतर्गत नहीं आती है.
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