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Chandrayaan-3 की सफलता में WIL कंपनी का अहम योगदान, 5 दशक से है ISRO के साथ

इस कंपनी ने मंगलयान, चंद्रयान 1 और 2; और SLV 3, SSL, PSLV, GSLV MKII और MkIII जैसे मिशनों में भी इसरो का सहयोग किया है.

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चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की चांद के दक्षिणी ध्रूव पर सफल लैंडिंग के साथ भारत ने एक ऐसी उपलब्धि हासिल कर ली है, जो अब तक कोई देश हासिल नहीं कर सका. ऐसा कर भारत पूरी दुनिया के सामने एक स्पेस शक्ति के रूप में स्थापित हो गया है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि चंद्रयान-3 के इस सफलता के पीछे एक ऐसी भारतीय कंपनी का हाथ है, जो पिछले 50 साल से इसरो के साथ काम कर रही है. इस कंपनी का नाम है वालचंदनगर इंडस्ट्रीज लिमिटेड.

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1919 में कंपनी ने देश का पहला शिपिंग यार्ड स्थापित किया था

वालचंदनगर इंडस्ट्रीज लिमिटेड (WIL) पुणे, महाराष्ट्र में स्थित है. इसकी स्थापना 1908 में हुई थी. यह एक हैवी इंजीनियरिंग कंपनी है. यह कंपनी रक्षा, परमाणु और एयरोस्पेस जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में काम करती है. कंपनी की स्थापना सेठ वालचंद ने की थी.

5 अप्रैल 1919 को, वालचंद इंडस्ट्री ने भारत का पहला शिपिंग यार्ड स्थापित किया था और उनकी कोशिशों की वजह से ही पहला स्वदेशी जहाज समुद्र में उतरा था. शिपयार्ड के अलावा, वालचंदनगर इंडस्ट्रीज ने देश को उसकी पहली कार फैक्ट्री और पहला विमान कारखाना का भी तोहफा दिया है.

चंद्रयान-3 की सफलतापूर्ण लैंडिंग में भी वालचंदनगर इंडस्ट्रीज की अहम भूमिका रही है. दरअसल चंद्रयान 3 मिशन के LVM3 लॉन्च वाहन में उपयोग किए जाने वाले महत्वपूर्ण पहले चरण के बूस्टर सेगमेंट S200 का निर्माण वालचंदनगर इंडस्ट्रीज कंपनी ने ही किया है.

इसके अलावा LVM3-M4s सबसिस्टम जैसे फ्लेक्स नोजल कंट्रोल टैंकेज और S200 फ्लेक्स नोजल भी वालचंदनगर ने ही बनाए हैं. इसी कंपनी में इन पार्ट्स की विशेष रूप से प्रूफ प्रेशर-टेस्टिंग भी की गई थी. यही नहीं इस कंपनी ने मंगलयान, चंद्रयान 1 और 2; और SLV 3, SSL, PSLV, GSLV MKII और MkIII जैसे प्रतिष्ठित मिशनों में भी इसरो का सहयोग किया है.

1973 में कंपनी ने इसरो के साथ साझेदारी की थी

वालचंदनगर इंडस्ट्रीज लिमिटेड 1993 में PSLV-D1 के पहले लॉन्च से लेकर अब तक सभी 48 लॉन्चों के लिए अहम हिस्सों को बनाने में शामिल रहा है. दरअसल यह कंपनी पिछले 50 साल से इसरो के साथ काम कर रही है.

साल 1973 में वालचंदनगर इंडस्ट्रीज लिमिटेड कंपनी ने पहली बार इसरो के साथ हार्डवेयर प्रोडक्शन के लिए साझेदारी की थी. उसके बाद से यह विश्वसनीय साझेदारी आज तक कायम है. शिपिंग, एविएशन और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में उनकी उद्यमशीलता की वजह से ही कंपनी को 'Father of Transportation in India' की उपाधि दी गई थी.

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