उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में वेबसीरीज देखकर साइबर फर्जीवाड़े का धंधा शुरू करने का मामला सामने आया है. एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया गया है जो नेटफ्लिक्स की 'जामताड़ा' सीरीज को देखकर अपने करतूतों को अंजाम देने में जुटा हुआ था. मैनपुरी पुलिस ने ओटीपी मांगकर फर्जीवाड़ा कर रहे इस अंतरराज्यीय गैंग के तीन सदस्यों को दबोचा है. इन बदमाशों से मोबाइल, कम्प्यूटर और कैश बरामद किए गए हैं.
कैसे हुआ इस फर्जीवाड़े का भंडाफोड़?
अलकेश कुमार, मैनपुरी के करहल के रहने वाले हैं. उनके पास एक फोन आया था कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिला है. फिर बैंक मैनेजर का दावा करते हुए दूसरा फोन अलकेश कुमार के पास आया. इस कॉल में कहा गया कि आपको बैंक अकाउंट से 2 लाख 53 हजार की धनराशि दी जाएगी. इसको लेकर अलकेश से एक OTP मांगा गया और 35 हजार 500 रुपये तुरंत कट गए.
अलकेश ने शिकायत मैनपुरी पुलिस में दर्ज कराई. साइबर सेल ने इस फर्जीवाड़े के भंडाफोड़ का जिम्मा उठाया. सबसे पहले अकाउंट ट्रेस किया गया, जिसमें पैसे गए थे. इस अकाउंट से जितने अकाउंट लिंक थे, सबको देखा गया. ऐसे में एक कनेक्शन मिला जिसमें कानपुर के एक गिरोह के हाथ की बात सामने आई.
जामताड़ा से प्रेरित थे बदमाश
पुलिस को पूछताछ में पता चला है कि ये गिरोह नेटफ्लिक्स की 'जामताड़ा' सीरीज देखकर प्रेरित था. और इसे ही देखकर साथ ही अखबारों में जामताड़ा से जुड़ी खबरें पढ़कर गिरोह प्लानिंग भी कर रहा था.
कमीशन का लालच देकर ये दूसरों के अकाउंट में पैसे मंगवाते थे जैसे ही पैसा आ जाता था, जनसेवा केंद्र के माध्यम से पैसे को निकाल लिया जाता है.
इस गिरोह के सदस्यों के बारे में पूछताछ पर पता चला कि ये डेढ़ साल से कुछ खास काम नहीं कर रहे थे, आमदनी का कोई बड़ा साधन नहीं था, लेकिन अचानक से गिरोह के सदस्यों ने राइसमिल, बोलेरो, ट्रैक्टर समेत कई चल-अचल संपत्ति बना ली है. बदमाशों से पूछताछ में पता चला है कि इन लोगों ने कानपुर के आसपास के जिलों से फर्जी आईडी पर सिम लिया है और ये काम ये अपने गांव में बैठे बैठे ही करते थे. इन लोगों के खातों की जानकारी में करोड़ों रुपये के ट्रांजेक्शन की बात सामने आई है.
तीन लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है. अब पुलिस ये पता लगा रही है कि ये फर्जीवाड़ा कबसे चल रहा है और इसमें कितने लोग और शामिल हैं.
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