दिल्ली उच्च न्यायालय ने मिंट अखबार को उस लेख को हटाने का निर्देश दिया है, जिसमें यूट्यूबर गौरव तनेजा के खिलाफ कथित रूप से मानहानिकारक बयान दिए गए थे।
1 मई को तनेजा के ट्वीट ने सोशल मीडिया पर खूब चर्चा और बहस छेड़ दी थी। इसने कहा: हिंदू धर्म जीवन का एक विज्ञान आधारित तरीका है। 3 दिसंबर 1984 को, दो परिवार भोपाल गैस रिसाव से अप्रभावित रहे। उन्होंने नियमित (हवन) किया, जो प्रदूषण के लिए एक प्राकृतिक उपाय है।
बाद में, मिंट के एक पत्रकार ने कुछ वैश्विक ब्रांडों को टैग करते हुए और उनके साथ उनके जुड़ाव पर सवाल उठाते हुए इसे रीट्वीट किया। मिंट ने तनेता के वीडियो का हवाला देते हुए उन्हें नारी विरोधी, बाल शोषक और पशुओं को प्रताड़ित करने वाला बताया।
8 मई को, मिंट ने क्या ब्रांडों को घिनौने प्रभावकों का समर्थन करना बंद नहीं करना चाहिए? नाम का लेख छापा।
प्रस्तुतियां सुनने के बाद, हाल के एक आदेश में, न्यायमूर्ति अमित बंसल ने कहा: एक बालिका के कान छिदवाने को बाल शोषण नहीं कहा जा सकता है। बाल शोषण के आरोप गंभीर आरोप हैं और उचित देखभाल और सत्यापन के बिना नहीं किए जा सकते। यह लेखक के विचारों के आधार पर नहीं हो सकता है।
उन्होंने कहा, निस्संदेह, एक व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा व्यक्त किए गए विचारों की आलोचना करने का अधिकार है और इस तरह की आलोचना को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत कवर किया जाएगा। हालांकि, पत्रकारिता की स्वतंत्रता और स्वतंत्र भाषण की आड़ में किसी व्यक्ति के चरित्र पर शातिर हमले नहीं किए जा सकते हैं।प्रथम ²ष्टया, उपरोक्त वीडियो में बाल शोषण के आरोपों को प्रमाणित करने के लिए कुछ भी नहीं है।
अदालत ने मिंट को एक सप्ताह के भीतर अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से लेख को हटाने का निर्देश दिया।
इसमें कहा गया है कि पेपर को किसी भी ऑनलाइन या ऑफलाइन प्लेटफॉर्म पर वादी के संबंध में लेख या किसी अन्य मानहानिकारक सामग्री को पोस्ट करने, प्रसारित करने या प्रकाशित करने से रोक दिया गया है।
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