नई दिल्ली, 8 दिसम्बर (आईएएनएस)| दिल्ली में अनधिकृत बैग मैन्युफैक्चरिंग फैक्टरी में रविवार को लगी आग में 43 लोगों की मौत हो गई और बहुत से दूसरे लोग अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
यह घटना बीते 25 सालों में देश में हुई आग दुर्घटनाओं में सबसे गंभीर है। ये आग की नौ घटनाएं हैं, जिसने बीते 25 सालों में देश को हिला दिया।
23 दिसंबर, 1995-डबवाली-हरियाणा
स्कूल के वार्षिक दिवस समारोह के बाद आग व भगदड़ मचने से 442 लोगों की मौत हो गई, जिसमें 225 स्कूली बच्चे थे। हॉल परिसर में 1500 लोग एक शामियाने में जमा थे, जिसके गेट बंद थे।
23 फरवरी 1997-बारिपदा-ओडिशा
यह आग एक संप्रदाय के धार्मिक कार्यक्रम के दौरान लगी और भगदड़ के बाद बारिपदा में 23 फरवरी 1997 को 206 लोगों की मौत हो गई। यह आग हताहतों की संख्या के मामले में दूसरी सबसे बड़ी आग त्रासदी थी। इसके अतिरिक्त भगदड़ में 200 लोगों को चोटें आई, जब भक्त आग से बचने की कोशिश कर रहे थे।
10 अप्रैल 2006-मेरठ-उत्तर प्रदेश
यहां एक उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स मेले के दौरान लगी भीषण आग से 100 लोगों की मौत हो गई। आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट था।
16 जुलाई, 2004-कुंभकोणम-तमिलनाडु
एक अस्थायी मिडडे मील रसोई घर में लगी आग से 94 स्कूली बच्चों की मौत हो गई। रसोई घर की आग की लपटें पहली मंजिल की कक्षाओं तक पहुंच गई जहां 200 छात्र मौजूद थे।
9 दिसंबर, 2011-कोलकाता-पश्चिम बंगाल
इमारत के बेसमेंट में इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किस से आग लग गई और इससे आग व धुआं एएमआरआई अस्पताल तक पहुंच गई और 89 लोगों की मौत हो गई।
13 जून, 1997-उपहार सिनेमा
आग की यह भयावह घटना बॉलीवुड फिल्म 'बॉर्डर' की स्क्रिनिंग के दौरान हुई, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
5 सितंबर 2012-शिवकाशी-तमिलनाडु
यह हादसा शिवकाशी में पटाखा मैन्युफैक्चरिंग के दौरान मजदूरों के रासायनों के मिलाने की वजह से विस्फोट से हुआ और आग लग गई, जिसमें 54 लोग मारे गए और 78 लोग घायल हो गए।
23 जनवरी, 2004-श्रीरंगम-तमिलनाडु
शादी के समारोह के दौरान आग लगने से 50 लोगों की मौत हो गई और 40 लोग घायल हो गए।
15 सितंबर, 2005-खुसरोपुर-बिहार
तीन अनधिकृत पटाखा मैन्युफैक्चरिंग ईकाई में विस्फोट से आग लगने से 35 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग घायल हुए।
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