उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की जांच अब अंजाम तक पहुंच चुकी है. गुरुग्राम के एक रिसॉर्ट में 1000 से ज्यादा अभ्यर्थियों को लीक पेपर की Answer Key रटाए जाने के सनसनीखेज खुलासे के बाद जांच में मिली जानकारी से एसटीएफ की टीम अब लीक के सोर्स तक पहुंच गई है.
यूपी एसटीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने क्विंट हिंदी को बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का पेपर परीक्षा से 12 दिन पहले गुजरात के अहमदाबाद जिले के एक वेयरहाउस से लीक हुआ था. यह वेयरहाउस ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (टीसीआई) नाम की प्राइवेट लॉजिस्टिक्स कंपनी का था जिसके पास अहमदाबाद स्थित एक प्रिंटिंग प्रेस में प्रश्न पत्र छपने के बाद उसे उत्तर प्रदेश ले आने की जिम्मेदारी थी. एसटीएफ ने इस मामले में टीसीआई कंपनी के दो कर्मचारियों समेत तीन लोगों की गिरफ्तारी की है.
सील्ड ट्रंक बॉक्स तोड़ने के लिए पटना से आया था डॉक्टर
यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में जिन तीन अभियुक्तों की सबसे ज्यादा संलिप्तता नजर आ रही है वह है रवि अत्री, अभिषेक शुक्ला, राजीव नयन मिश्रा और डॉक्टर शुभम मंडल. नोएडा का रहने वाला अभियुक्त रवि अत्री, साल 2007 में हरियाणा के रोहतक जिले से एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान ऑल इंडिया प्रीमेडिकल और प्रीडेंटल टेस्ट (एआईपीएमटी) परीक्षा पेपर लीक मामले में छह अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार हुआ था. पटना निवासी शुभम मंडल पेशे से डॉक्टर है.
प्रयागराज जिले का रहने वाला अभिषेक शुक्ला टीसीआई कंपनी में काम कर चुका है और उसको यह बात पता था कि पेपर छापने वाली कंपनी का टीसीआई से प्रश्न पत्रों की सप्लाई का एग्रीमेंट था. पेपर लीक करने की नीयत से अभिषेक शुक्ला ने टीसीआई कंपनी के दो कर्मचारी शिवम गिरी और रोहित पांडे को अपने साथ जोड़ लिया. अभिषेक ने दोनों को निर्देश दिया था कि प्रतियोगी परीक्षा का प्रश्न पत्र आए तो उसे अलर्ट कर दे. और ऐसा ही हुआ. 2 फरवरी 2024 को शिवम गिरी ने अभिषेक शुक्ला को फोन कर सूचना दी कि उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र भेजे जाने के लिया आया हुआ है.
5 फरवरी 2024 को अभिषेक शुक्ला, रवि अत्री, डॉक्टर शुभम मंडल और राजीव नयन मिश्रा टीसीआई कंपनी के खेड़ा अहमदाबाद स्थित सप्लाई चेन विभाग पहुंचे. वहां इन चारों की मुलाकात टीसीआई कर्मचारी शिवम गिरी और रोहित पांडे से हुई. एसटीएफ से पूछताछ के दौरान शिवम गिरी ने बताया कि लगभग रात 11:30 बजे डॉक्टर शुभम मंडल, शिवम गिरी और रोहित पांडे अंदर गए जहां यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा के दो सेट प्रश्न पत्र रखे थे. शुभम मंडल प्रश्न पत्र से भरे दो ट्रक बॉक्स उठाकर एक ऑफिस केबिन में ले गए जहां कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था. ट्रंक बॉक्स में सामने ताला व सील लगा था इसलिए शुभम मंडल ने दोनों ट्रंक बॉक्स के पिछले भाग को प्लास और पेचकस से उखाड़ कर उसमें रखे पेपरों में से एक पेपर निकालकर उसकी फोटो मोबाइल से खींचकर वापस पेपर को ट्रंक बॉक्स में रखकर उसे बंद कर दिया.
दो चरणों में लीक हुआ यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा प्रश्न पत्र
5 फरवरी 2024 को जिस तरीके से ट्रक बॉक्स को तोड़कर पेपर लीक किया गया था. ठीक वैसे ही 8 फरवरी 2024 को तीसरे कोड का पेपर लीक हुआ. एक बार फिर शिवम गिरी और रोहित पांडे डॉक्टर शुभम मंडल को टीसीआई कंपनी की सप्लाई चेन विभाग लेकर गए और वहां पुराने तरीके से बॉक्स खोलकर पेपर निकाला गया. मोबाइल से उसकी कॉपी बनाई गई और वापस उसे रख दिया गया. पेपर लीक करने में नकल माफियाओं का सहयोग करने के लिए शिवम गिरी को तीन लाख रुपये तो वही रोहित पांडे को ढाई लाख रुपये अलग-अलग अकाउंट से मिले.
पेपर लीक होने के बाद रवि अत्री और उसके साथियों ने अलग-अलग नकल करने वाले सक्रिय गिरोहों को लीक हुआ पेपर उपलब्ध कराया. इसी कड़ी में यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का लीक पेपर दिल्ली पुलिस विक्रम पहल के पास भी पहुंचा. उसने गुरुग्राम के एक रिसॉर्ट में 1000 से अधिक अभ्यर्थियों को इकट्ठा कर लीक पेपर का Answer Key रटवाया था. एसटीएफ की मानें तो इस मामले में कई अभियुक्त अभी फरार हैं और उनकी गिरफ्तारी के बाद पेपर लीक से जुड़े और कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आ सकते हैं.
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