सोमवार रात अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले में 7 लोगों की मौत हो गई तो वहीं 14 लोग घायल हो गए. ये हमला तब हुआ जब दर्शन कर लौट रहे यात्रियों को लेकर बस, बालटाल से मीर बाजार को ओर जा रही थी तभी करीब रात 8.20 बजे बटेंगो में यह हमला हुआ.
हमले में मरने वाले लोगों की तादाद और ज्यादा बढ़ सकती थी अगर ड्राइवर सलीम अपनी होशियारी से बस को वहां से न निकालते. खबरों के मुताबिक जब आतंकवादी फायरिंग कर रहे थे तो ड्राइवर सलीम ने तेजी से बस को वहां से निकाला और एक सुरक्षित स्थान पर ले जाकर खड़ा कर दिया
गुजरात के वलसाद में रहने वाले सलीम के भाई जावेद ने ANI को बताया कि “वो 7 लोगों की जान नहीं बचा पाया लेकिन बाकियों को सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया. मुझे उस पर गर्व है” जावेद मिर्जा के मुताबिक सलीम ने उन्हें सुबह 9.30 बजे करीब फोन किया और हादसे के बारे में बताया.
एक और चश्मदीद ने बताया कि, “ बस के दाहिने तरफ से हमला किया गया और उस तरफ काफी अंधेरा था. जैसे ही हमला हुआ ड्राइवर ने बस वहां से तेज कर ली और काफी आगे जाकर एक चौक पर बस रोकी' यात्रियों ने बताया 'उस वक्त हम सो रहे थे कि अचानक गोलियां चलने लगी, ऐसा लगा मानो अब हमारी जान नहीं बचेगी.
बस के मालिक हर्ष देसाई ने एक अखबार को अपनी आपबीति सुनाते हुए कहा कि , “ हम श्रीनगर से शाम 6:30 बजे चले. हमारी तीन बसें थीं. 30-35 किमी बाद हमारी बस पीछे रह गई थी. तभी अचानक तीन तरफ से हमारी बस पर अंधाधुंध गोलियां चलने लगीं. हम डर के मारे सीटों के नीचे छुप गए. सिर्फ चीखने की आवाजें सुनाई दे रही थीं तभी दो गोली मुझे चीरती निकल गईं, एक हाथ और दूसरी कंधे पर. फिर फायरिंग की आवाज थम गई. आर्मी के लोगों ने आकर हमें श्रीनगर अस्पताल में पहुंचाया.
हमले के बाद जम्मू और कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अनंतनाग के अस्पताल पहुंचीं और घायलों से मुलाकात की. मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इस घटना से कश्मीर का सिर झुक गया है.
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