दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi Highcourt) ने गुरुवार, 27 अप्रैल को दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) के एक फैसले को पलट दिया है. 2002 के गुजरात दंगों में पीएम मोदी की कथित भूमिका पर बीबीसी डॉक्यूमेंट्री (BBC Documentory) की स्क्रीनिंग पर छात्र नेता लोकेश चुघ को विश्वविद्यालय से प्रतिबंधित करने के दिल्ली विश्वविद्यालय के आदेश को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
डीयू ने लोकेश चुघ- जो भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) के राष्ट्रीय सचिव हैं, उन्हें एक साल के लिए परीक्षा देने से रोक दिया था. क्योंकि, उन्होंने कथित तौर पर एक विरोध प्रदर्शन किया था, जहां विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई थी.
डीयू ने इस हफ्ते की शुरुआत में अदालत से कहा था कि डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग बिना अनुमति के की गई और प्रतिबंध के बावजूद विरोध प्रदर्शन आयोजित करना "घोर अनुशासनहीनता" थी.
हालांकि, न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने आदेश को रद्द कर दिया और लोकेश चुघ का एडमिशन बहाल कर दिया है.
अदालत ने बार और बेंच के मुताबिक आदेश दिया कि...
"अदालत 10 मार्च, 2023 के आदेश को बनाए रखने में असमर्थ है. विवादित आदेश को निष्क्रिय किया जाता है. याचिकाकर्ता का एडमिशन बहाल किया जाता है. आवश्यक परिणाम का पालन किया जाएगा."
हाई कोर्ट ने हालांकि कहा कि, "दिल्ली विश्वविद्यालय लोकेश चुघ के खिलाफ अन्य कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है क्योंकि नेचुरल जस्टिस के सिद्धांतों का पालन न करने के कारण प्रतिबंध आदेश को रद्द कर दिया गया है."
दिलचस्प बात यह है कि कुछ दिनों पहले, दिल्ली विश्वविद्यालय ने उच्च न्यायालय में तर्क दिया था कि 27 जनवरी को डीयू की आर्ट्स फैकल्टी में हुए विरोध प्रदर्शनों के पीछे लोकेश चुघ 'मास्टरमाइंड' थे.
केंद्र सरकार ने 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' शीर्षक वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को 'प्रोपेगंडा' और 'कोलोनियल माइंडसेट की सोच' करार दिया था.
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