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Chandrayaan-3 को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली कल्पना कालाहस्ति कौन हैं?

IIT खड़गपुर से इंजीनियरिंग, चंद्रयान-2 का हिस्सा, चंद्रयान-3 को सफल बनाने वाली महिला सांइटिस्ट के बारे में कितना जानते हैं आप?

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इसरो (ISRO) ने चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) को चांद पर लैंडिंग कराकर इतिहास रच दिया है. यह भारत (India) के साथ साथ इसरो की भी बड़ी उपलब्धि है. इसरो का दुनिया भर में डंका बज रहा है. चंद्रयान-3 के मिशन को सफल बनाने में कल्पना कालाहस्ती (Kalpana Kalahasti) का भी नाम शामिल है. कल्पना कालाहस्ती चंद्रयान -3 मिशन की एसोसिएट डायरेक्टर हैं. इसके पहले कल्पना चंद्रयान -2 मिशन का भी हिस्सा रहीं थीं. एक रिपोर्ट के मुताबिक चंद्रयान-3 के मिशन को पूरा करने में 54 महिला साइंटिस्ट का योगदान है.

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कौन हैं कल्पना कालाहस्ती?

स्नैपशॉट
  • कल्पना कालाहस्ती चंद्रयान-3 मिशन की एसोसिएट डायरेक्टर हैं.

  • कल्पना आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले की रहने वाली हैं.

  • कल्पना का बचपन से ही इसरो में जाने का सपना था.

  • इसरो में जाने के सपने को पूरा करने के लिए कल्पना ने आईआईटी खड़गपुर में दाखिला लिया.

  • उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया.

साल 2003 में इसरो से जुड़ीं कल्पना, चंद्रयान-2 में भी रहीं शामिल

मद्रास हाईकोर्ट के कर्मचारी की बेटी कल्पना कालाहस्ती ने साल 2000 में इसरो से जुड़ने के बाद श्रीहरिकोटा रिसर्च सेंटर में लगभग पांच साल तक रहीं.

बैंगलोर में काम करने के दौरान वो सेटेलाइट को बनाने वाली टीम में भी शामिल थीं.

2019 में श्रीहरिकोटा रिसर्च सेंटर से लांच हुए चंद्रयान -2 के मिशन में भी कल्पना शामिल थीं.

चंद्रयान 3 मिशन की सफल लैंडिंग के पीछे 5 लोग, कल्पना उनमें से एक

चंद्रयान 3 मिशन को सफल बनाने में पांच लोगों का अहम योगदान रहा, जिसमें कल्पना के अलावा इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ, प्रोजेक्ट डायरेक्टर वीरमुथुवेल, यू आर राव सैटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर एम संकरन , मिशन डायरेक्टर एम श्रीकेनाथ का नाम शामिल हैं. इस पूरे मिशन की कल्पना एसोसिएट डायरेक्टर रहीं.

"हमने अपना लक्ष्य हासिल किया"

कल्पना कालाहस्ती के करीबियों के मुताबिक कोविड के दौरान भी कल्पना अपने मिशन को पूरा करने में जुटी थीं. चंद्रयान 3 के चांद पर सकुशल लैंडिंग के बाद कल्पना ने अपनी बात दुनिया के सामने रखी. उन्होंने कहा कि...

"यह मेरे और मेरी टीम के लिए सबसे यादगार पल है. हम पिछले कई सालों से यही प्रयास कर रहे थे. हमने चंद्रयान 2 के असफल होने के बाद फिर से एक नए सिरे से काम करना शुरू किया था और आज हमने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया".

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