इसरो (ISRO) ने चांद पर चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लैंडिंग कराकर इतिहास रच दिया है. भारत दुनिया का एकलौता देश है, जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की है. इसके साथ ही चांद पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है. चंद्रयान का मुख्य मिशन चांद पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग का था, जो पूरा हो गया. इसके बाद चंद्रयान का मेन काम शुरू होगा. चंद्रयान-3 अपने साथ कई पेलोड्स लेकर गया है, जो पृथ्वी पर वैज्ञानिकों को चांद के बारे में समझाने में मदद करेंगे.
23 अगस्त की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Landing) चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल रहा. अब इसके बाद चांद की सतह पर लैंडर 'विक्रम' अपना काम शुरू करेगा.
विक्रम लैंडर से एक रैंप खुलेगा, जिससे छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और कमांड मिलते ही चांद की सतह पर मूव करेगा.
चलिए अब विस्तार से जानते हैं कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर में लगे पेलोड का काम क्या है?
विक्रम में लगे हैं चार पेलोड्स
विक्रम लैंडर में चार पेलोड्स लगे हैं- रंभा, चास्टे, इल्सा और एरे. Radio Anatomy of Moon Bound Hypersensitive ionosphere and Atmosphere (RAMBHA) चांद की सतह पर प्लाज्मा कणों के घनत्व का पता लगाएगा और इसकी मात्रा और बदलाव की भी जांच करेगा.
चांद का तापमान जांचेगा चास्टे
दूसरा पेलोड है चास्टे (ChaSTE) यानी Chandra’s Surface Thermo physical Experiment- यह चांद के ध्रुवीय क्षेत्र के निकट चांद के तापमान की जांच करेगा.
तीसरा पेलोड का नाम Instrument for Lunar Seismic Activity यानी इल्सा है. इल्सा लैंडिंग के साइट के करीब सिस्मीसिटी को मापेगा. वहीं, चांद के क्रस्ट और मेंटल के बारे में भी जानकारी जुटाएगा.
चौथा पेलोड एरे (LRA) LASER Retroreflector Array चांद की डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा.
प्रज्ञान रोवर में लगे हैं दो पेलोड्स
अब प्रज्ञान रोवर पर लगे दो पेलोड्स के बारे में जानते हैं. पहले का नाम Laser Induced Breakdown Spectroscope यानी LIBS है. दूसरे का नाम Alpha Particle X-Ray Spectrometer -APXS है. LIBS चांद की सतह पर केमिकल्स, उनकी मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा. इसके साथ ही, इस पेलोड का काम चांद की सतह पर मौजूद खनिज का पता लगाना भी है.
APXS चांद के लैंडिंग स्थल के आसपास चांद की मिट्टी और चट्टानों की एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा जैसे-मैग्निशियम, एल्युमुनियम, कैल्शियम, पोटेशियम, सिलिकन, टिन और लोहा.
14 दिन मून मिशन की लाइफ
बता दें कि लैंडर और रोवर का मिशन लाइफ एक लुनार डे है यानि पृथ्वी के 14 दिन के बराबर. वहीं, लैंडर चांद के सतह को करीब 2 मीटर / सेकेंड के बराबर या उससे कम की वर्टिकल वेलोसिटी से छुएगा. वहीं, इसकी हॉरिजेंटल वेलोसिटी 0.5 मीटर / सेकेंड के बराबर या उससे कम होगी.
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