चीन ने गुरुवार को भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के युद्ध संबंधी बयान पर हैरानी जताते हुए प्रतिक्रिया दी है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने सवाल उठाया कि क्या यह भारत सरकार की राय भी है. क्या सेनाध्यक्ष को इस तरह के बयान देने का अधिकार है, वह भी ऐसे समय जब दो माह चले डोकलाम विवाद के बाद दोनों देशों के नेताओं की सकारात्मक मुद्दों को लेकर मीटिंग हुई है.
गेंग ने मोदी और शी के बीच द्विपक्षीय मुलाकात को याद करते हुए रावत के बयान पर अचरज जताया. उन्होंने कहा कि भारतीय मीडिया का एक धड़ा भी रावत के बयान पर ‘स्तब्ध’ है.
जनरल रावत के बयान के एक दिन पहले बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की मीटिंग हुई थी. इसमें दोनों देशों की सीमा पर शांति बनाए रखने पर सहमति जताई गई थी.
क्या बोले थे रावत
जनरल बिपिन सिंह रावत ने नई दिल्ली में कहा था,
जहां तक हमारे उत्तरी विरोधी (चीन) का सवाल है तो ताकत दिखाने का दौर शुरू हो चुका है. धीरे-धीरे भूभाग पर कब्जा करना और हमारी सहने की क्षमता को परखना हमारे लिए चिंता का सबब है. इस तरह के हालातों के लिए तैयार रहना चाहिए जहां धीरे-धीरे संघर्ष, जंग में बदल सकते हैं.
डोकलाम विवाद पर बोले चीन के विदेश मंत्री
डोकलाम विवाद पर टिप्पणी करते हुए चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि सीमा विवाद से भारत-चीन संबंधों पर असर पड़ा है, लेकिन मोदी और शी के बीच सहमति बनने से दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार भी हुआ है.
उन्होंने कहा कि ‘दोनों देशों को दोनों नेताओं के बीच बनी सहमति पर साथ काम करने की जरूरत है और संबंधों को पटरी पर लाने के लिए की जरूरत है. द्विपक्षीय संबंध बेपटरी नहीं होना चाहिए और दोनों देशों के बीच कोई भी विवाद नहीं उत्पन्न होना चाहिए.’
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